Skip to content
13 June 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • तीर्थ यात्रा
  • धर्मस्थल

श्री घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग के लिए जाने से पहले की संपूर्ण जानकारी | Grishneshwar Jyotirlinga Temple

admin 20 November 2021
Ghhrishneshwar_Jyotirling Darshan Maharashtra
Spread the love

अजय सिंह चौहान || वैसे तो किसी भी यात्रा पर जाने से पहले हम लोग बहुत सी तैयारियां कर लेते हैं लेकिन हमें यह नहीं मालुम होता है कि जहां हम जा रहे हैं उस स्थान पर कब जाना चाहिए? कब नहीं जाना चाहिए? कैसे जाना चाहिए? कितना खर्च हो सकता है? वहां क्या-क्या सुविधाएं और असुविधाएं हो सकती हैं? उस स्थान का महत्व क्या है? उसका इतिहास क्या है? वहां की कला और संस्कृति का इतिहास क्या है? उसकी भौगौलिक स्थिति कैसी है? और उसके अलावा भी वहां आस-पास में क्या कोई और ऐसे स्थान हैं जहां जाकर इस यात्रा को यादगार बनाया जा सकता है।

महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर से मात्र 30 किलोमीटर की दूरी पर वेरुल नामक एक छोटे से गांव में जहां स्थित है श्री घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग। यह ज्योतिर्लिंग हिंदू धर्म के पवित्र धर्मस्थलों में से एक है।

घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग का महत्व –
हिन्दू धर्म और पुराणों के अनुसार जहाँ-जहाँ भगवान शिव स्वयं प्रगट हुए उन स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है। धर्मग्रंथों के अनुसार इन ज्योतिर्लिंगों की संख्या 12 है। जिनमें सबसे अंतिम और 12वां स्थान श्री घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग का माना जाता है। येलगंगा नामक नदी के तट पर स्थित घृष्‍णेश्‍वर महादेव का यह मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में दौलताबाद से महज 11 किलोमीटर दूर और औरंगाबाद से 30 किलोमीटर की दूरी पर वेरुल नामक एक छोटे से गांव में स्थित है।

हिन्दू धर्मग्रंथों में इस ज्योतिर्लिंग को कुम्कुमेश्वर नाम भी दिया गया है। इस ज्योतिर्लिंग को घुश्मेश्वर या घृष्णेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। रुद्रकोटीसंहिता, शिव महापुराण के अनुसार यह ज्योतिर्लिंग बारहवें तथा अंतिम क्रम पर आता है। धर्म-शास्त्रों के अनुसार घृष्णेश्वर दर्शन के बाद ही 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा को पूर्ण माना जाता है।

मंदिर का इतिहास –
मुस्लिम शासन के दौरान इस घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। इस मंदिर के विनाश और पुनर्निर्माण का अपना एक इतिहास है। इसका इतिहास बताता है कि 13 वीं और 14 वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत और मुगल मराठाओं के बीच कई बार युद्ध हुए। उन युद्धों का बूरा असर हिंदू धर्म के लगभग सभी मंदिरों पर पड़ा, लेकिन कहा जाता है कि सोमनाथ मंदिर की तरह ही इस मंदिर को भी बुरी तरह से तोड़ दिया गया था। और उसका परिणाम यह हुआ कि इसके पत्थरों की प्राचीनतम कलात्मक नक्काशी और मूर्तियां हमेशा के लिए खो गईं।

मुगल साम्राज्य के पतन के बाद 16 वीं शताब्दी में वेरूल के मालोजी भोसले और शिवाजी महाराज के बाद इंदौर की महारानी अहल्याबाई ने व्यक्तिगत तौर पर घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का जितना हो सका पुनर्निर्माण करवाया। यह वही महारानी अहिल्याबाई होलकर थीं जिन्होंने अपने समय में वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और गया के विष्णुपद मंदिर जैसे और भी कई मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया था।

मंदिर का वास्तुशिल्प –
घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की शिल्प कारीगरी जितनी आकर्षक और मनमोहक है उतना ही सुंदर इसके आस-पास का नजारा भी है। यानी अन्य मंदिरों से थोड़ा हट कर यह मंदिर शहर की भीड़भाड़ से दूर एक सादगी से परिपूर्ण छोटे से वेरुल नामक गांव में स्थित है। यह मंदिर प्राचीन मध्ययुगीन हिन्दू शिल्पकला के लिए जाना जाता है। इस मंदिर में प्रवेश के लिए तीन द्वार हैं जिसमें एक महाद्वार कहलाता है और अन्य दो को पक्षद्वार कहा जाता है।

यदि बात घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के गर्भगृह के बारे में की जाय तो इसका आकार 17 गुणा 17 फिट बताया जाता है जो अन्य ज्योतिर्लिंगों के गर्भगृहों की अपेक्षा देखने में बड़ा और खुला-खुला है। इस कारण यहां श्रद्धालुओं को पूजन अभिषेक करने के लिए पर्याप्त जगह मिल जाती है। इस गर्भगृह के अंदर शिवलिंग यानि ज्योतिर्लिंग का आकार भी देखने में अन्य ज्योतिर्लिंगों से थोड़ा बड़ा है। इस ज्योतिर्लिंग को अपने आप में विशिष्ट माना जाता है क्योंकि यह पूर्वाभिमुखी ज्योतिर्लिंग है।

चार धाम यात्रा पर जाने से पहले कुछ जरूरी सुझाव | Char Dham Yatra

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की संपूर्ण जानकारी । About Bhimashankar Jyotirling

मंदिर की संरचना –
मंदिर के गर्भगृह के ठीक सामने एक सभा मंडप है। यह सभा मंडप मजबूत पत्थरों के स्तंभों पर आधारित है और इन स्तंभों पर की गई नक्काशी मंदिर की सुन्दरता को दर्शाती है। यह सभा मंड़प 24 खम्भों पर बनाया गया है। इन पत्थरों पर अति उत्तम नक्काशी उकेरी गई है। इसकी दीवार की कमान पर गणेशजी की मूर्ति तथा मंडप के मध्य में कछुआ दर्शाया गया है।

इस मंदिर को इसकी आकर्षक शिल्प कारीगरी के लिए भी जाना जाता है। इस परिसर में मुख्य मंदिर के अलावा अन्य छोटे बड़े मंदिर भी हैं जो आकर्षक हैं। मंदिर में कई जगहों पर पशु पक्षी, फूल पत्ते और मनुष्यों की अनेक भावपूर्ण मुद्राओं को बड़ी ही सुन्दरता से उकेरा गया है।

इस घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की उंचाई के लगभग आधे भाग तक लाल पत्थर पर भगवान विष्णु के दशावतारों के अलावा अन्य अनेक देवी-देवताओं की शिल्प कारीगरी देखने लायक है। मराठों ने अन्य मंदिरों की तरह ही इस मंदिर की नागरा हिंदू मंदिर वास्तूकला शैली को भी संरक्षित रखा है। पुरातत्व और नागरा वास्तुकला की दृष्टि से यह मंदिर हिंदू धर्म के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।

Ghrishneshwar_Jyotirling Mandir
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर प्राचीन मध्ययुगीन हिन्दू शिल्पकला के लिए जाना जाता है। इस मंदिर में प्रवेश के लिए तीन द्वार हैं जिसमें एक महाद्वार कहलाता है और अन्य दो को पक्षद्वार कहा जाता है।

कब की जानी चाहिए यात्रा –
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की यात्रा पर वैसे तो यहां बारहों मास जाया जा सकता है लेकिन अगर साथ में बच्चे और बुजुर्ग भी हों तो ऐसे में नवंबर से फरवरी की सर्दियों के महीनों में जाने का प्रयास करें।

घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग का यह मंदिर प्रतिदिन सुबह 5ः30 से रात के 9ः30 तक खुला रहाता है। जबकि सावन के पवित्र महीने में यह मंदिर सुबह 3 बजे से रात 11 बजे तक खुला रहता है। इसमें मुख्य त्रिकाल पूजा तथा आरती सुबह 6 बजे और रात 8 बजे होती है। मंदिर परिसर में प्रवेश के पहले अनेकों छोटी-बड़ी पूजन और प्रसाद सामग्री की दुकानें देखने को मिल जायेंगी। जहां से प्रसाद सामग्री खरीदी जा सकती है।

घृष्‍णेश्‍वर मंदिर में ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए मुख्य मंदिर और सभा मंडप में प्रवेश करने से पहले सभी पुरुषों को अपने शरीर से शर्ट एवं बनियान तथा कमर का बेल्ट आदि उतार कर बाहर ही रखना पड़ता है।

इस परंपरा के पीछे क्या कारण है यह तो शायद कोई स्पष्ट रूप से नहीं जानता लेकिन माना जाता है कि दक्षिण भारत के कई मंदिरों में यह प्रथा देखने को मिलती है लेकिन उत्तर तथा मध्य भारत के मंदिरों में यह प्रथा बहुत कम है। यहां विदेशी पर्यटकों की संख्या भी अच्छी खासी देखी जा सकती है।

कैसे पहुंचे –
घृष्णेश्वर महादेव के दर्शनों पर जाने के लिए अगर आप ट्रेन का सहारा लेते हैं तो इसके लिए औरंगाबाद सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग मंदिर औरंगाबाद से 35 किमी की दूरी पर है। और यदि आप साईबाबा के दर्शनों के लिए शिरडी में हैं तो वहां से यह 110 किलोमीटर है। यदि आप मुंबई में हैं तो वहां से 425 किमी की दूरी पर है जबकि पुणे से 250 किमी की दूरी पर स्थित है। और अगर आप हवाई मार्ग से जाना चाहते हैं तो भी इसके लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट औरंगाबाद में ही है जो यहां से मात्र 30 किलोमीटर की दूरी पर है।

औरंगाबाद से घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की दूरी लगभग 45 मिनट में पूरी की जा सकती है और इस रास्ते में दौलताबाद, खुल्दाबाद और एलोरा गुफाएं आदि भी मिलते हैं। घृष्णेश्वर तक पहुंचने के लिए औरंगाबाद और दौलताबाद जैसे यातायात केंद्रों से बस या टैक्सी की सुविधा आसानी से मिल जायेगी।

त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर- तेजस्वी प्रकाश का साक्षी है यह स्थान | Trimbakeshwar Jyotirling Darshan

मंदिर के आस-पास –
घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग मंदिर से मात्र आधा किलो मीटर की दूरी पर स्थित है सन 600 से 1,000 इसवी काल में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित एलोरा की प्रसिद्ध गुफाएँ जो युनेस्को द्वारा विश्व धरोहरों में शामिल हैं। और यहां से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है औरंगजेब की पत्नी रबिया दूरानी का मकबरा है जो बीबी का मकबरा यानि पश्चिम का ताजमहल कहलाता है।

यदि आप इस घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के दर्शनों के साथ-साथ एलोरा गुफाओं को भी देखना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे नजदीकी शहर दौलताबाद और औरंगाबाद है जहां ठहरा जा सकता है। यहां आपके बजट के अनुसार अनेकों छोटे-बड़े होटल आसानी से मिल जायेंगे। और यहां से आप ऑटो रिक्शा के द्वारा आसानी से इस ज्योतिर्लिंग और एलोरा गुफाओं के लिए पहुंच सकते हैं। और यदि आप घृष्णेश्वर पहुंचकर वहां रुकना चाहते हैं तो घृष्णेश्वर मंदिर ट्रस्ट के द्वारा संचालित यात्री निवास में ठहर सकते हैं। यहां भी बजट के अनुरूप अच्छी व्यवस्था है। और अगर आपका बजट थोड़ा ज्यादा है तो इस मंदिर और एलोरा गुफाओं के पास ही में कुछ प्राइवेट होटल्स भी हैं।

About The Author

admin

See author's posts

2,932

Related

Continue Reading

Previous: अद्भुत है 500 साल पुरानी गोबर गणेश की यह प्रतिमा | Gobar Ganesh Mandir
Next: हिंदुत्व की आखिरी उम्मीद अब मोदी-शाह नहीं बल्कि योगी और हेमंत विश्व शर्मा हैं!

Related Stories

Mahakal Corridor Ujjain
  • इतिहास
  • तीर्थ यात्रा
  • विशेष

उज्जैन का पौराणिक ‘रूद्र सरोवर’ आज किस दशा में है

admin 26 February 2025
shankracharya ji
  • अध्यात्म
  • धर्मस्थल
  • विशेष
  • श्रद्धा-भक्ति

शंकराचार्य जी चार धाम शीतकालीन यात्रा में होंगे सम्मिलित

admin 3 December 2024
JOGULAMBA SHAKTIPEETH TEMPLE
  • तीर्थ यात्रा
  • धर्मस्थल
  • विशेष

जोगुलम्बा शक्तिपीठ मंदिर: कब जायें, कैसे जायें, कहां ठहरें?

admin 25 November 2024

Trending News

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास Natural Calamities 1

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

28 May 2025
मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है? 2

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

27 May 2025
आसान है इस षडयंत्र को समझना Teasing to Girl 3

आसान है इस षडयंत्र को समझना

27 May 2025
नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह Nave Word Medal 4

नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह

26 May 2025
युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है? war-and-environment-in-hindi 5

युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

23 May 2025

Total Visitor

077979
Total views : 142031

Recent Posts

  • वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास
  • मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?
  • आसान है इस षडयंत्र को समझना
  • नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह
  • युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved