![Gobar Ganesh Mandir Maheshwar pm](https://i0.wp.com/dharmwani.com/wp-content/uploads/2021/11/Gobar-Ganesh-Mandir-Maheshwar-pm.png?fit=800%2C476&ssl=1)
अजय सिंह चौहान || मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में नर्मदा नदी के किनारे बसे महेश्वर नामक प्राचीन कस्बे के महावीर मार्ग पर एक ऐसा मंदिर है जो दूर से देखने में तो आम मंदिरों की तरह ही दिखता है लेकिन इस मंदिर और इसमें विराजमान भगवान का नाम बुद्धूपने से संबंधित हिन्दी के एक बहुत ही प्रचलित मुहावरे की ओर संकेत करता है। इस मंदिर के कारण यह कस्बा ही नहीं बल्कि माहेश्वर क्षेत्र भी बहुत प्रसिद्ध है। यह मंदिर है गोबर गणेश मंदिर। और इस मंदिर में विराजित भगवान गणेश जी को गोबर गणेश जी कहा जाता है। इस मंदिर के नाम और इसमें विराजे भगवान गोबर गणेश जी के कारण धर्म और अध्यात्मक के क्षेत्र में इस नगर को विशेष पहचान दिलाता है।
गोबर गणेश का यह मंदिर पहली नजर में तो देशभर में स्थित हजारों मंदिरों की तरह ही लगता है, लेकिन इस मंदिर में गोबर से निर्मित गणेश जी की जो प्रतिमा है और इस मंदिर का जो गुंबद है वह आम हिन्दू मंदिरों की तरह नहीं है। यह मंदिर ऐतिहासिक होने के साथ-साथ रहस्यपूर्ण भी है, इसीलिए दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं और भक्तों को कुछ विशेश आकर्षित जरूर करता है।
माहेश्वर नगर के लोगों के अनुसार इस गोबर गणेश मन्दिर की स्थापना गुप्त काल में हो चुकी थी, इसी कारण यह मंदिर एक ऐतिहासिक महत्व का मंदिर है और क्रुर मुगल शासक औरंगजेब ने इस मंदिर के महत्व को देखते हुए इस क्षेत्र के अन्य मंदिरों की तरह ही गोबर गणेश के इस मंदिर को भी तुड़वाकर उस पर एक मस्जिद बनवाने का प्रयास किया था, जिसके कारण मंदिर के गुंबद का आकार आज भी मंदिर की तरह न होकर मस्जिद जैसा ही है, जबकि मंदिर के अंदर की बनावट लक्ष्मी यंत्र की तरह लगती है। लेकिन बाद में स्थानिय लोगों और अन्य श्रद्धालुओं ने यहां पुनः मूर्ति की स्थापना करके, इसमें पूजा-पाठ प्रारंभ कर दिया और इस मंदिर के महत्व को कायम रखा।
श्री गणेश चालीसा || Shri Ganesh Chalisa
आमतौर पर हर पूजा-पाठ में हम गोबर के गणपति बनाकर उनकी पूजा अर्चना करते हैं। क्योंकि मिट्टी और गोबर की मूर्ति में पंचतत्वों का वास माना जाता है और खासकर गोबर में तो मां लक्ष्मी साक्षात वास करती हैं। इसलिए ‘लक्ष्मी तथा ऐश्वर्य’ की प्राप्ति हेतु इसकी पूजा की जाती है।
गोबर से बनी भगवान गणेश की इस मूर्ति के पीछे भी विद्वानों का तर्क है कि मिट्टी और गोबर से बनी मूर्ति की पूजा पंचभूतात्मक होती है। इसलिए गोबर गणेश जी के इस मंदिर में आने वाले भक्तों की मान्यता है कि यहां दर्शन करने से भक्तों को भगवान गणेश के साथ मां लक्ष्मी का भी विशेष आशीर्वाद मिलता है।
महेश्वर में बनी भगवान गोबर गणेश की इस प्रतिमा की पूजा की सार्थकता के बारे में पंडितों और विद्धानों का कहना है कि भाद्रपक्ष शुक्ल चतुर्थी के पूजन के लिए हमारे पूर्वज गोबर या मिट्टी से ही गणपति की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करते थे और आज भी यहां यह प्रथा प्रचलित है। इसी प्रकार गोबर एवं मिट्टी से बनी भगवान गणेश की प्रतिमाओं को ही पूजन में ग्रहण करते हैं।
गोबर गणेश की इस प्रतिमा की स्थापना कब और किसके द्वारा की गई थी इसके विषय में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है लेकिन पुरातत्व विभाग के स्व. विष्णुदत्त श्रीधर वाकणकर ने जब इस मूर्ति का निरीक्षण किया था तो उन्होंने पाया कि 10 फुट ऊंची यह मूर्ति लगभग 500 वर्षों से भी ज्यादा पुरानी है। जबकि कुछ लोग इसे करीब 900 वर्ष पुरानी प्रतिमा भी मानते हैं।
गोबर और मिट्टी से बनी गणेश जी की इस मूर्ति को बनाने में 70 से 75 फीसदी गोबर और 20 से 25 फीसदी मिट्टी और अन्य दूसरी सामग्री का प्रयोग किया गया है। गणेश जी की हर प्रतिमा की तरह ही इस मूर्ति के हाथ में भी लड्डू हैं, रिद्धि-सिद्धि भी इनके साथ विराजित हैं और मूषक भी इनके चरणों में बैठे हुए है। कमल के फूल पर स्थापित गजानन की ये प्रतिमा श्रृंगार होने के बाद ओर भी मनमोहक लगने लगती है।
गणेश विसर्जन का वैज्ञानिक पहलू और धार्मिक मान्यता | Scientific aspect of Ganesh Visarjan
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस संपूर्ण क्षेत्र में इस मंदिर का महत्व और इसके प्रति आस्था इसलिए भी अधिक है क्योंकि इस मन्दिर में आने वाले श्रद्धालुओं को यहां मन की शांति और मनचाही इच्छा पूरी होने का वरदान अवश्य मिलता है। इसलिए गोबर गणेश मंदिर में आने वाले भक्तों की मान्यता है कि यहां दर्शन करने से भक्तों को भगवान गणेश के साथ मां लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है। इसलिए यदि आप भी नर्मदा के किनारे बसे निमाड़ क्षेत्र में कभी भी जाएं तो माहेश्वर में स्थित भगवान गोबर गणेश के इस मंदिर में भगवान गोबर गणेश के दर्शन करन ना भूलें।
गोबर गणेश जी का यह मंदिर मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में नर्मदा नदी के किनारे बसे प्राचीन महेश्वर नामक एक छोटे से शहर के महावीर मार्ग पर स्थित है। प्राचीन महेश्वर का उल्लेख कई पौराणिक ग्रंथों में विस्तार से मिलता है।
गोबर गणेश के इस मंदिर में दर्शनों के लिए साल भर भक्तों की भीड़ लगी रहती है लेकिन गणेश उत्सव और दीपावली के मौके पर यहां दूर-दूर से आने वाले भक्तों की भीड़ बप्पा के दर्शनों के लिए उमड़ती है। गणेश चतुर्थी के दिन इस मूर्ति का विशेष तरीके से श्रृंगार किया जाता है। जिसे देखकर हर किसी का मन प्रसन्न हो जाता है। इस मंदिर की प्राचीनता व प्रसिद्धि के चलते मध्य प्रदेश सरकार द्वारा मंदिर को धार्मिक स्थलों में शामिल किया गया है। मंदिर की देखरेख ‘श्री गोबर गणेश मंदिर जिर्णोद्धार समिति’ करती है।