Skip to content
9 July 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • धर्मस्थल
  • विशेष

विद्याशंकर मंदिर का इतिहास, वर्तमान और सनातन में महत्व

admin 2 July 2023
विद्याशंकर मंदिर का इतिहास, वर्तमान और सनातन में महत्व

इस मंदिर के आस-पास के प्रांगण में पांच अलग-अलग प्रकार के अन्य मंदिर भी हैं जिनमें से यह विद्याशंकर मंदिर सबसे प्रमुख है। इसके गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग को ही विद्या शंकर शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है। शिवलिंग के बाईं ओर विद्या गणपति की काले पत्थर पर उकेरी गई प्रतिमा है तथा दायीं ओर देवी दुर्गा की प्रतिमा है।

Spread the love

AJAY-SINGH-CHAUHAN__AUTHOR

अजय सिंह चौहान || दक्षिण भारत की सशक्त सनातन सांस्कृतिक, परंपरा और समृद्ध वास्तुकला का जीवंत प्रतिनिधित्व करने वाले यहां के प्राचीन एवं ऐतिहासिक मंदिरों की संख्या कोई दो-चार या फिर दस-बीस में नहीं, बल्कि सैकड़ों में है, और इनमें से प्रत्येक मंदिर का अपना अलग प्राचीन इतिहास और महत्व है। दक्षिण भारत के इन्हीं मंदिरों में से आज हम बात करने वाले हैं कर्नाटक राज्य के चिकमंगलूर जिले की श्रृंगेरी तहसील में स्थित ‘विद्याशंकर मंदिर’ की। यह वही श्रृंगेरी नगर है जिसका महत्व आज हिंदू धर्म के चारों धामों और बारह ज्योतिर्लिंगों के समान माना जाता है। क्योंकि इसी श्रृंगेरी नगर में आदि गुरु शंकराचार्य के द्वारा स्थापित पवित्र श्रृंगेरी मठ भी स्थित है।

‘विद्याशंकर मंदिर’ (History of Vidyashankar Temple in Hindi) के निर्माण और इससे जुड़े इतिहास की बात की जाये तो यहां सबसे पहले नाम आता है ऋषि विद्यारण्य का। ‘श्रृंगेरी मठ’ और आदि शंकराचार्य की गुरु शिष्य परंपरा में यहां 14वीं शताब्दी के उस दौर में ऋषि विद्यारण्य को भी श्रृंगेरी मठ के शंकराचार्य के तौर पर पवित्र पद प्राप्त हुआ था। वे ‘विजयनगर साम्राज्य’ की वंश परंपरा से आने वाले हरिहर और बुक्का नाम के उन दो भाईयों के गुरु भी थे, इसलिए वे दोनों भाई अपना शासन चलाने में उनका मार्गदर्शन प्राप्त कर रहे थे। यही कारण था कि दक्षिण में सनातन संस्कृति पुनर्जीवित हुई और विजयनगर राज्य का समृद्ध और सामरिक विस्तार संपूर्ण भारतवर्ष में सबसे अधिक हुआ था। श्री विद्यारण्य ऋषि एक महान तपस्वी, विद्या के भण्डार और अद्भुत प्रतिभावान ऋषि थे।

ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार इस ‘विद्याशंकर मंदिर’ (History of Vidyashankar Temple in Hindi) का निर्माणकाल वर्ष 1338 ई. बताया जाता है। इस हिसाब से यह मंदिर आज से लगभग 685 वर्ष पूर्व बन कर तैयार हुआ था। इसका निर्माण करवाने वाले हरिहर और बुक्का नाम के दो भाई थे जिन्होंने अपने गुरु श्री विद्यारण्य ऋषि के निधन के बाद उनकी याद में इसका निर्माण करवाया था।

होयसल शासक परंपरा से आने वाले हरिहर और बुक्का नामक ये वही दो भाई थे जिन्होंने विजयनगर में स्वतंत्र, समृद्ध और शक्तिशाली हिंदू साम्राज्य की स्थापना की थी। हरिहर और बुक्का ने विजयनगर में स्वतंत्र हिंदू साम्राज्य की स्थापना करने के बाद उसे इतना समृद्धशाली बना दिया था कि संपूर्ण भारत के इतिहास में यह उस समय का सबसे प्रसिद्ध और समृद्धशाली और शक्तिशाली साम्राज्य बन गया था। और यह सब संभव हुआ उनके गुरु और शंकराचार्य श्री विद्यारण्य ऋषि (History of Vidyashankar Temple in Hindi) के आशीर्वाद और परामर्शों के कारण।

श्री विद्यारण्य ऋषि के निधन के बाद हरिहर और बुक्का ने स्मृति के तौर पर उनकी समाधि के ऊपर एक मंदिर का निर्माण करवाया और उसे नाम दिया ‘विद्याशंकर मंदिर’ (History of Vidyashankar Temple in Hindi)। इस मंदिर की वास्तुकला और विशेष नक्काशी इतनी प्रसिद्ध हुई की इसकी चर्चा अखण्ड भारत के कोने-कोने में होनी लगी थी। दूर से देखने पर ‘विद्याशंकर मंदिर’ किसी पुराने रथ के आकार का दिखाई देता है।

इस मंदिर के आस-पास के प्रांगण में पांच अलग-अलग प्रकार के अन्य मंदिर भी हैं जिनमें से यह विद्याशंकर मंदिर सबसे प्रमुख है। इसके गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग को ही विद्या शंकर शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है। शिवलिंग के बाईं ओर विद्या गणपति की काले पत्थर पर उकेरी गई प्रतिमा है तथा दायीं ओर देवी दुर्गा की प्रतिमा है।

श्रृंगेरी नगर तहसील में स्थित इस ‘विद्याशंकर मंदिर’ (History of Vidyashankar Temple in Hindi) का इतिहास बताता है कि इसकी वास्तुकला में दक्षिण भारत की प्राचीन मंदिर वास्तुकला के साथ-साथ विजयनगर साम्राज्य की वास्तुकला की झलक भी दिखाई पड़ती है। मंदिर में छह प्रवेश द्वार हैं और प्रत्येक द्वार पर समृद्ध मूर्तिकला को देखा जा सकता है।

‘विद्याशंकर मंदिर’ की बाहरी दिवारों पर कई विशेष प्रतिमाएं उकेरी गई हैं। ये सभी प्रतिमाएं आदि शंकराचार्य द्वारा परिभाषित की गई उन सभी 6 पंथों के देवी-देवताओं की हैं जिनमें भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, सूर्य देव एवं अन्य कई देवी-देवताओं को विभिन्न मुद्राओं में अंकित किया गया है।

विद्याशंकर मंदिर का इतिहास, वर्तमान और सनातन में महत्व
इस मंदिर के आस-पास के प्रांगण में पांच अलग-अलग प्रकार के अन्य मंदिर भी हैं जिनमें से यह विद्याशंकर मंदिर सबसे प्रमुख है। इसके गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग को ही विद्या शंकर शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है। शिवलिंग के बाईं ओर विद्या गणपति की काले पत्थर पर उकेरी गई प्रतिमा है तथा दायीं ओर देवी दुर्गा की प्रतिमा है।

‘विद्याशंकर मंदिर’ (History of Vidyashankar Temple in Hindi) का वैभव दर्शाता है कि विशाल आकार वाला यह नक्काशीदार मंदिर कर्नाटक राज्य के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। लेकिन, आज देश के अन्य हिस्सों में इसके महत्व और इसकी विशेषता को बहुत ही कम लोग जानते हैं। जबकि एक समय ऐसा भी था जब इसके आवलोकन और इसमें दर्शन-पूजन करने के लिए अखण्ड भारत के उस दौर में दूर-दराज के क्षेत्रों से लोग यहां आते थे। इस बात के प्रमाण यहां उन शिलालेखों पर मिलते हैं जो आज भी यहां साक्षात गवाही दे रहे हैं।

कर्नाटक राज्य के चिकमंगलूर जिले की श्रृंगेरी तहसील में स्थित यह ‘विद्याशंकर मंदिर’ कोई साधारण या आम मंदिरों की भांति नहीं बल्कि कलात्मक नक्काशी और विशेष वास्तु का एक ऐसा मिलाजुला स्वरूप है जो अपने आप में किसी अजूबे से कम नहीं है।

आयताकार आकृति में बने इस ‘विद्याशंकर मंदिर’ (History of Vidyashankar Temple in Hindi) का मुख्य आकर्षण इसके वो सौर्य चिन्ह हैं जो इसकी बाहरी दिवारों के 12 स्तंभों पर अंकित हैं। यही 12 स्तंभ वर्ष के 12 महीनों के 12 राशि चक्रों को प्रदर्शित करते हैं। तकनीकी दृष्टि से इन सभी 12 स्तंभों का आकार एक बराबर नहीं दिखता। जबकि इन सभी 12 स्तंभों के 12 राशि चक्रों की रूपरेखा खगोलीय अवधारणाओं को आधार मान कर तैयार किया गया है। प्रत्येक सुबह जब सूर्य की किरणें मंदिर में प्रवेश करती हैं तो वे वर्ष के उसी महीने का संकेत देने वाले एक विशेष स्तंभ से टकराती हैं जो उस राशि चक्र का होता है। यही तकनीक, इसको सात आश्चर्यों से भी बढ़ कर सम्मान देता है।

इस संपूर्ण ‘विद्याशंकर मंदिर’ (History of Vidyashankar Temple in Hindi) की वास्तुकला एवं नक्काशी की बारीकियां भी किसी आश्चर्य से कम नहीं है। इसकी प्रमुख छत की सुंदर नक्काशी सभी का मनमोह लेती है। इस मंदिर का चाहे भीतरी हिस्सा हो या फिर बाहरी, हर एक हिस्से में अलग-अलग प्रकार के देवी-देवताओं एवं पशु-पक्षियों की आकृतियों को बहुत ही बारीकी से उकेरा गया है।

आस-पास के अन्य प्रमुख शहर –
बात यदि हम श्रृंगेरी नगर की करें तो यहां ‘विद्याशंकर मंदिर’ के अलावा नगर में करीब 40 से अधिक छोटे-बड़े अन्य प्रमुख मंदिर भी हैं। जबकि श्रृंगेरी में आस-पास के अन्य प्रसिद्ध स्थलों में होरनाडू का अन्नपूर्नेश्वरी मंदिर, कुप्पाली का कवी कुवेम्पु संग्रहालय, तीर्थहल्ली के मार्ग पर उलुवे पक्षी अभयारण्य, श्रृंगेरी से 12 कि.मी. दूर किग्गा गाँव के पास सिरिमाने झरना, श्रृंगेरी से लगभग 36 कि.मी. की दूरी पर हनुमानगुंडी झरना तथा श्रृंगेरी से लगभग 80 कि. मी. दूर स्थित प्राचीन उडुपी नगरी भी शामिल है।

विद्याशंकर मंदिर कैसे जाए –
अगर आप भी इस मंदिर में दर्शन करने और इसके आश्चर्यों को देखने के लिए जाना चाहते हैं तो बता दें कि यह मंदिर कर्नाटक राज्य के चिकमंगलूर जिले की श्रृंगेरी तहसील में स्थित है। श्रृंगेरी नगर, मैंगलोर जैसे प्रमुख महानगर से करीब 105 किमी की दूरी पर है इसलिए सड़क, रेल और हवाई मार्ग से मैंगलोर के रास्ते श्रृंगेरी जाया जा सकता है। इसके अलावा सड़क मार्ग के जरिए ‘विद्याशंकर मंदिर’ तक जाने-आने के लिए प्रदेश के हर हिस्से से आसानी से बस, टैक्सी और स्थानीय ऑटो की सुविधाएं मिल जाती है।

About The Author

admin

See author's posts

973

Related

Continue Reading

Previous: Why South Indian movies are closest to the nature & culture ?
Next: फ्रांस की हिंसा से संपूर्ण यूरोप की सांसे थमी, ब्रिटेन में डर का माहौल

Related Stories

Natural Calamities
  • विशेष
  • षड़यंत्र

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

admin 28 May 2025
  • विशेष
  • षड़यंत्र

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

admin 27 May 2025
Teasing to Girl
  • विशेष
  • षड़यंत्र

आसान है इस षडयंत्र को समझना

admin 27 May 2025

Trending News

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास Natural Calamities 1

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

28 May 2025
मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है? 2

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

27 May 2025
आसान है इस षडयंत्र को समझना Teasing to Girl 3

आसान है इस षडयंत्र को समझना

27 May 2025
नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह Nave Word Medal 4

नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह

26 May 2025
युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है? war-and-environment-in-hindi 5

युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

23 May 2025

Total Visitor

078398
Total views : 143094

Recent Posts

  • वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास
  • मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?
  • आसान है इस षडयंत्र को समझना
  • नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह
  • युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved