Skip to content
5 July 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति

निमाड़ का पौराणिक इतिहास और सांस्कृतिक महत्व | History of Nimad-MP

admin 23 December 2021
Nimad Area Map of Madhya Pradesh
Spread the love

अजय सिंह चौहान || मध्य प्रदेश के पश्चिम में स्थित निमाड़ अंचल या निमाड़ क्षेत्र भौगोलिक दृष्टि से प्रकृति का एक अनोखा और अद्भूत वरदान कहा जाता है। क्योंकि जितनी खूबसूरत इसकी संस्कृति और भाषा है उतनी ही अनोखी इसकी भौगोलिक स्थिति भी है। इस निमाड़ क्षेत्र की भौगोलिक सीमाओं में एक तरफ विन्ध्य पर्वत और दूसरी तरफ सतपुड़ा पर्वत खड़े हैं, जबकि इसके बीचों-बीच से विश्व की सबसे पवित्र और प्राचीनतम नदियों में एक नर्मदा नदी बहती है।

नर्मदा नदी के बारे में यह बात बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि इसके किनारों पर बसी मानव सभ्यता भी दुनिया की सबसे प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। नर्मदा के किनारों पर बसी निमाड़ अंचल की मानव सभ्यता और संस्कृति सनातन संस्कृति की पौराणिक, प्राचीन एवं मूल्यवान पहचान है।

नर्मदा को सांस्कृतिक उद्गम का अभिन्न हिस्सा माना जाता है। निमाड़ की संस्कृति को सबसे ज्यादा नर्मदा नदी ने ही प्रभावित किया है। इसका कारण भी यही है कि यह संपूर्ण क्षेत्र हमेशा से प्रकृति पर निर्भर रहा है और यहां की प्रकृति नर्मदा पर आश्रित रही है।

इसके अपने इस खूबसूरत और अनोखे नाम ‘निमाड़’ को लेकर जो हमें अपने पुराणों और ग्रंथों में तथ्य और प्रमाण मिलते हैं उनके अनुसार पौराणिक काल में यही निमाड़ क्षेत्र ‘अनूप जनपद’ कहलाता था।

Jiroti Art - wall painting of Nimad in Madhya Pradesh
निमाड़ के आदिवासी आज भी देश की प्रमुख धरा से दूर हैं

महाकवि कालिदास द्वारा रचित ‘रघुवंश’ महाकाव्य में भी अनूपदेश का उल्लेख मिलता है जिसकी राजधानी माहिष्मति बताई गई है। इसके अलावा सातवाहन वंश की महारानी गौतमी बालश्री का एक शिलालेख जो नासिक में मिला है उसमें भी इस अनूपदेश को भारतवर्ष के मध्य में स्थित भू-भाग बताया गया है।

यहां हम आपको बता दें कि ‘अभिधानचिंतामणि’ नामक संस्कृत के शब्दकोश में अनूपदेश का जो शाब्दिक अर्थ मिलता है उसके अनुसार एक ऐसा भू-भाग जहां जलस्रोत या जहाँ से जल का बहाव निरंतर बना रहता हो उसके किनारे के क्षेत्र को अनूपदेश कहा जाता है। और यहां इसका सीधा सा अर्थ है कि नर्मदा का जल-प्रवाह भी निरंतर बना रहता है इसीलिए इसे अनूपदेश कहा गया है।

महाभारत में भी इस स्थान को ‘सागरानूपवासिन’ के नाम से उल्लेखित किया गया है तथा इसमें अनूपदेश की पश्चिमी सीमा को सागर के उपकण्ठ तक बताया गया है अर्थात् इसे गुजरात के भरूच तक सूचित किया है, यानी जहां जाकर नर्मदा नदी महासागर में समा जाती है। इसी तरह पुराणों में वर्णित माहिष्मति की स्थिति मध्य विंध्य पर्वत के निकट बताई गई है।

इसके अलावा विष्णु पुराण में जिस ‘नर्मदानुप’ का जिक्र किया गया है उसके अनुसार यह स्थान विंध्याचल की पूर्वी श्रेणियों को बताया गया है, जिनमें नर्मदा, ताप्ती और सोन नदी आदि के स्त्रोत स्थित हैं। आज इसे हम नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक के नाम से जानते हैं।

युगों-युगों के रहस्य और आधुनिक इतिहास का साक्षी है महेश्वर

इसके अलावा अनुमान है कि यह भूमि किसी समय में आर्य एवं अनार्य सभ्यताओं की मिश्रित कर्म-भूमि हुआ करती थी। संभवतः यही कारण है आगे चल कर इसे ‘निमार्य‘ नाम से जाना जाने लगा जो कि समय के साथ-साथ भाषा और बोली की सहुलियत और उच्चारण के अनुसार धीरे-धीरे ‘निमार‘ में बदल गया और फिर निमार से ‘निमाड़‘ शब्द प्रचलन में आ गया।

जबकि कुछ जानकार यहां यह भी तर्क देते हैं कि पौराणिक युग में इस क्षेत्र में नीम के घने जंगलों की भरमार हुआ करती थी। इसलिए इस क्षेत्र को नीम झाड़ यानी नीम के पेड़ों वाला देश कहा जाता था। और फिर नीम झाड़ से यह निमाड़ बन गया।

NARMADA RIVER IN OMKARESHWAR OF MP
नर्मदा निमाड़ की सबसे प्रमुख और सबसे पवन नदी है.

निमाड़ के संपूर्ण अंचल में परंपरागत संस्कृति और यहाँ की क्षेत्रिय बोली जिसे निमाड़ी कहा जाता है शत-प्रतिशत एक ही सूनने को मिलती है। हालांकि निमाड़ी बोली में कुछ-कुछ राजस्थानी, गुजराती और मराठी शब्दों का भी प्रभाव पाया जाता है।

नर्मदा के किनारों पर बसी मानव सभ्यता का समय महेश्वर के नावड़ाटौली नामक स्थान पर मिले पुरा साक्ष्यों के आधार पर लगभग ढ़ाई लाख वर्ष माना गया है। इसीलिए प्रागैतिहासिक काल के आदि मानव की शरणस्थली के रूप में सतपुड़ा और विन्ध्य पर्वतों का अपना महत्व और इतिहास है।

संत सिंगाजी महाराज को निमाड़ का कबीर कहा जाता है | Sant Singa Ji Maharaj

महान समाज सुधारकों में से एक थे संत श्री सिंगाजी महाराज | Sant Singa Ji Maharaj

आज भी यहां नर्मदा तट के जो विन्ध्य और सतपुड़ा वन-प्रान्तों में आदिवासी समूह निवास करते हैं उन आदिवासियों का यानी अरण्यवासियों का वर्णन पुराणों और किंवदंतियों में मिलता है। इन आदिवासी समूहों में गौण्ड, बैगा, कोरकू, भील, शबर जैसे नाम सबसे प्रमुख हैं।

निमाड़ की पौराणिक संस्कृति के केन्द्र में सर्वप्रथम ओंकारेश्वर, मांधाता और महिष्मती बसे हुए हैं। वर्तमान में हम जिसे महेश्वर के नाम से जानते हैं वास्तव में यही प्राचीन काल का महिष्मती नगर है।

निमाड़ का इतिहास जनजीवन, कला और संस्कृति से सदैव सम्पन्न रहा है। यहां की पठारों वाली भूमि जितनी कठोर और तपन से भरी दिखती है उतना ही निमाड़ के वासियों के हृदय में कला, संस्कृति, मेल-मिलाप और लोक साहित्य की अनूठी परम्परा के लिए कोमल और निर्मल पाया जाता है। निमाड़ की कला और संस्कृति ही नहीं बल्कि इसका सामरिक इतिहास भी पौराणिक काल से अत्यन्त समृद्ध और गौरवशाली है।

वर्तमान राजनीतिक दृष्टि से देखें तो निमाड़ को दो हिस्सों में पहचाना जाता है – जिनको पूर्वी और पश्चिमी निमाड़ कहा जाता है। जबकि यह संपूर्ण निमाड़ क्षेत्र चार प्रमुख जिलों – बड़वानी, बुरहानपुर, खंडवा और खरगोन में विभाजित किया गया है। इसके पश्चिमी निमाड़ में खरगोन, गोगांव, महेश्वर, सेंधवा, भिकनगाव जैसे छोटे-बड़े कई नगर आते हैं। जबकि पूर्वी निमाड़ में खंडवा, हरसूद, पुनासा जैसे नगर प्रमुख हैं।

About The Author

admin

See author's posts

5,324

Related

Continue Reading

Previous: प्राचीन भारत के कुछ विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालय | Some of the World Famous Universities of Ancient India
Next: इस शिवलिंग पर जल चढ़ाने पर सुनाई देती है ‘ओम‘ की प्रतिध्‍वनि

Related Stories

What does Manu Smriti say about the names of girls
  • कला-संस्कृति
  • विशेष

कन्या के नामकरण को लेकर मनुस्मृति क्या कहती है?

admin 9 May 2025
Jiroti Art is a Holy wall painting of Nimad area in Madhya Pradesh 3
  • कला-संस्कृति
  • विशेष

जिरोती चित्रकला: निमाड़ की सांस्कृतिक धरोहर

admin 22 March 2025
Afghanistan and Pakistan border
  • कला-संस्कृति
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष

पुराणों के अनुसार ही चल रहे हैं आज के म्लेच्छ

admin 25 February 2025

Trending News

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास Natural Calamities 1

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

28 May 2025
मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है? 2

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

27 May 2025
आसान है इस षडयंत्र को समझना Teasing to Girl 3

आसान है इस षडयंत्र को समझना

27 May 2025
नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह Nave Word Medal 4

नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह

26 May 2025
युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है? war-and-environment-in-hindi 5

युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

23 May 2025

Total Visitor

078299
Total views : 142852

Recent Posts

  • वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास
  • मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?
  • आसान है इस षडयंत्र को समझना
  • नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह
  • युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved