Skip to content
22 August 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • Uncategorized
  • कला-संस्कृति
  • विशेष

किसी अजूबे से कम नहीं है जाट राजा नाहर सिंह का महल

admin 15 May 2021
Raja Nahar Singh Palace Faridabad
Spread the love

देश की राजधानी दिल्ली से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर हरियाणा राज्य के फरीदाबाद जिले में बल्लभगढ़ नाम का एक घनी आबादी वाला शहर है। आज यह शहर देश की आजादी के लिए शहीद होने वाले और सन 1857 की क्रांति में की अग्रणी पंक्ति के महान क्रांतिकारियों में से एक जाट राजा नाहर सिंह और उनके जन्मस्थान बल्लभगढ़ किले के नाम से पहचाना जाता है। बल्लभगढ़ के बारे में यह भी कहा जाता है कि इसकी स्थापना सन 1609 में महाराज राम सिंह के पूर्वज बल्लू उर्फ राजा बलराम ने की थी। इसलिए राजा बल्लू के नाम से यह समय के साथ-साथ बल्लभगढ़ बन गया।

वर्तमान में भले ही राजा नाहर सिंह के महल के आसपास घनी आबादी वाला शहरीकरण हो चुका है। लेकिन महल की खूबसूरती अब भी वैसी की वैसी ही बनी हुई है। इसके मुख्य द्वार से भीतर प्रवेश करने के बाद हर किसी को लगता है कि वे इतिहास के उस क्षण में प्रवेश कर चुके हैं जो आजतक देश और दुनिया से अनजाना था। महल का मुख्य प्रवेश द्वार इतना आकर्षक है कि यहां आने वाले अधिकतर लोग सबसे ज्यादा इसी द्वार को निहाते रहते हैं।

एक छोटे से राज्य बल्लभगढ़ के इस किले की संरचना के निर्माण से जुड़े इतिहास पर नजर डालने पर पता चलता है कि इसको सबसे खूबसूरत और आकर्षक बनाने के चक्कर में इसकी मुख्य संरचना के ढांचे में कई बार बदलाव किए गए, जिसके कारण इसमें बार-बार निर्माण और तोड़फोड़ होता रहा। इस संरचना के निर्माण कार्य को सन 1739 ई. शुरू किया गया था जो सन 1850 में बन कर तैयार हुआ था। यानी बार-बार होेने वाले उन बदलावों के कारण इस पूरे महल को तैयार होने में लगभग 110 वर्ष का समय लग गया। राजा नाहर सिंह इसी महल में अपनी प्रजा की तकलीफों को सुनते थे और न्याय भी करते थे।

आज यह दिल्ली एनसीआर क्षेत्र की सबसे महत्वपूर्ण और कीमती इमारतों में से एक मानी जाती है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह एक बहुत ही विशेष ऐतिहासिक महत्व की संरचना है। इसके अलावा अपनी वास्तुकला और सुंदर नक्काशियों के लिये भी यह महल बहुत प्रसिद्ध है। इस महल की दीवारें ड्रम और तुरहियों की प्रतिध्वनि के साथ आज भी कंपन करती हैं जो अपने आप में सबसे अनोखी है।

बलुआ पत्थर से बने इस दो मंजिला महल की संरचना की ऊंची चार दिवारी और मीनारें एक केंद्रीय प्रांगण के चारों ओर फैली हुई हैं। 6 कमरों वाले इस महल के चारों कोनों की मीनारों के बीच में दरबार-ए-आम या जिसे हाॅल आफ पब्लिक कहते हैं बहुत ही सुंदर और आकर्षक नजर आता है।

अत्यंत ही सुंदर नक्काशियों से भरे इस महल के अंदर का मण्डप और इसका आँगन अत्यन्त सुन्दर और मनमोहक नजर आता है। महल की झुकी हुई मेहराबों और परंपरागत रूप से सजे कमरों से स्थानीय इतिहास और संस्कृति झलकती है।

हालांकि, खास तौर से राजा नाहर सिंह से जुड़ी उस समय की कई कीमती वस्तुओं और संरचनाओं को अंगे्रजों ने किसी खास मकसद से नष्ट कर दिया था। लेकिन, उनमें से अब भी कुछ छोटे-बड़े अवशेष इस शहर में मौजूद हैं, जो उनकी याद दिलाते हैं। जिनमें से पंचायत भवन के पीछे किले की दीवार और मेन बाजार में बचे ऐतिहासिक इमारतों के अवशेषों के आस-पास अब लोगों ने अवैध कब्जे कर लिए हैं। इसके अलावा चंदावली गांव के पास ही में उस समय जो सैनिकों के लिए चैकी हुआ करती थी वह आज भी मौजूद है।

सन 1857 में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह करने के आरोप में ईस्ट इंडिया कंपनी ने राजा नाहर सिंह को धोखे से गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तार करने के बाद अंग्रेज सरकार ने उन्हें 9 जनवरी 1858 को दिल्ली के लाल किले के पास और चांदनी चैक के सीस गंज गुरूद्वारे के एक दम सामने फांसी की सजा दे दी। उस समय उनकी आयु 36 वर्ष की थी।

इसके बाद अंग्रेजों ने बल्लभगढ़ रियासत में उनके इसी किले और निवास स्थान रूपी महल के अधिकतर हिस्सों को भी धराशायी करवा दिया, ताकि अन्य विद्रोहियों के मन में भी डर पैदा हो सके और वे आवाज ना उठा सके। हालांकि, उसके बाद उनके वंशजों ने इस किले को एक बार फिर से किसी तरह नया जीवन दे दिया था।

बल्लबगढ़ किले की सन 1900 में ली गयी एक बहुत ही दुर्लभ तसवीर यह बताती है कि अंग्रेजों ने राजा नाहर सिंह को फांसी देने के बाद किस प्रकार गुस्से में आकर उनके महल को भी नष्ट करने की कोशिश की और उनसे जुड़ी हर प्रकार की वस्तुओं को भी उन्होंने नष्ट करने की कोशिश की थी।

सन 1947 में आजादी के बाद राजा नाहर सिंह की रियासत भारत सरकार के अधीन हो गई। हालांकि, राजा नाहर सिंह से संबंधित अधिकतर वस्तुओं को अंग्रेज सरकार ने खूद ही अपने सामने नष्ट करवा दिया था, लेकिन, फिर भी कुछ सामान जो उनके वंशजों और परिजनों के पास था उसे इसी महल में एक छोटे म्यूजियम के तौर पर एकत्र करके, उनकी धरोहर के रूप में सहेजकर रखा दिया।

देश की आजादी के बाद से सन 1994 तक इस महल में सरकार की तहसील और कचहरी लगती रही। जबकि, उसके बाद प्रदेश सरकार ने इस महल का सौंदर्यीकरण करवा कर इसे हरियाणा राज्य पर्यटन विभाग के हवाले कर दिया गया।

लेकिन, सन 1857 के स्वतंत्रता आंदोलन के उस महान योद्धा और क्रांतिकारी राजा नाहर सिंह की एकमात्र निशानी को राज्य पर्यटन विभाग ने अब कमाई का जरिया बनाकर इस ऐतिहासिक महल को मोटल-कम-रेस्तरां में परिवर्तित करवा दिया है।

स्थानिय लोगों का आरोप है कि इतने पवित्र और ऐतिहासिक महल का प्रयोग शादी-ब्याह और मौज-मस्ती जैसे कार्यक्रमों के लिए करना राजा नाहर सिंह और इस स्थान दोनों का ही अपमान है। लोगों का यह भी कहना है कि कभी-कभी तो यहां अन्य कई प्रकार की गैर-सामाजिक गतिविधियां होते हुए भी देखी जाती हैं।
आम दर्शकों और पर्यटकों के लिए यह महल सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है।

राजा नाहर सिंह महल के नाम से मशहूर यह इमारत हरियाणा के फरीदाबाद जिले के सैक्टर 4 में स्थित है। इसलिए यहां तक जान के लिए सबसे पहले तो आपको बल्लभगढ़ के अंबेडकर चैक तक जाना होगा। देश की राजधानी दिल्ली के करीब होने के कारण यहां तक आने के लिए लगभग हर प्रकार के साधन आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। यहां का सबसे नजदिकी मेट्रो स्टेशन भी राजा नाहर सिंह जी के नाम से ही बनाया गया है। इंदिरागांधी अंतरर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा यहां से करीब 51 किलोमीटर की दूरी पर है। जबकि हजरत निजामउद्दीन रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी लगभग 28 किलोमीटर है। फरीदाबाद का रेलवे स्टेशन भी यहां से लगभग 11 किलोमीटर दूर है। और अगर आप सूरजकुंड भी घूमने जा रहे हैं तो वहां से भी इसकी दूरी लगभग 16 किलोमीटर है।

– अजय सिंह चौहान 

About The Author

admin

See author's posts

3,261

Like this:

Like Loading...

Related

Continue Reading

Previous: काबिलियत है तो गाॅडफादर का होना जरूरी नहींः राजेश कुमार
Next: सरकारों ने राजा नाहर सिंह से क्यों बनाई दूरी? | History of Raja Nahar Singh

Related Stories

marigold Vedic mythological evidence and importance in Hindi 4
  • कृषि जगत
  • पर्यावरण
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व

admin 20 August 2025
brinjal farming and facts in hindi
  • कृषि जगत
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व

admin 17 August 2025
Queen Sanyogita's mother name & King Prithviraj Chauhan
  • इतिहास
  • भाषा-साहित्य
  • विशेष

भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम

admin 11 August 2025

Trending News

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व marigold Vedic mythological evidence and importance in Hindi 4 1
  • कृषि जगत
  • पर्यावरण
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व

20 August 2025
Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व brinjal farming and facts in hindi 2
  • कृषि जगत
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व

17 August 2025
भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम Queen Sanyogita's mother name & King Prithviraj Chauhan 3
  • इतिहास
  • भाषा-साहित्य
  • विशेष

भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम

11 August 2025
पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें Khushi Mukherjee Social Media star 4
  • कला-संस्कृति
  • मीडिया
  • विशेष
  • सोशल मीडिया

पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें

11 August 2025
दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार BJP Mandal Ar 5
  • राजनीतिक दल
  • विशेष

दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार

2 August 2025

Total Visitor

080968
Total views : 147528

Recent Posts

  • Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व
  • Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व
  • भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम
  • पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें
  • दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved 

%d