आज पूरा विश्व भारतीय संस्कृति की ओर खिंच रहा है। विशेषकर, कोरोना काल के बाद शांति की खोज में, योग से स्वस्थ रहने की पद्धति जानने, आर्युवेद एवं प्राकृतिक शक्तियों के अध्ययन, रहन-सहन, जीवनशैली को समझने इत्यादि के लिए पूरा विश्व विशेषकर पाश्चात्य जगत भारत की ओर न केवल आकर्षित हो रहा है बल्कि उसका अनुसरण भी कर रहा है। यह हमारी भूल और समझकर भी नासमझी है, अपने आप को पाश्चात्य जगत की नकल करने की होड़ में हर समय हर क्षेत्र में बगैर विश्लेषण, अनुसरण करने में तत्पर रहते हैं, अपनी शान समझते हैं, इतराते और गौरवान्वित महसूस करते हैं।
तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो पहनावे से लेकर खान-पान तक के ऐसे सैकड़ों प्रकार के कारण हैं जो पाश्चात्य जगत की विवशता है, जबकि उनकी उन्हीं विवशताओं को आज भारत में आधुनिक मान चुके हैं। उदाहरण के तौर पर देखें तो पाश्चात्य जगत की विवशता के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं –
– ठंड के कारण न नहाना-धोना, पानी का उपयोग कम से कम करना उनकी विवशता।
– आठ महीने ठण्ड के कारण, कोट-पैंट पहनना उनकी विवशता।
– पाश्चात्य की मानसिकता, मानव को मशीन बनाने की डिजिटल युग का प्रारंभ, उनकी विवशता।
– ताजा भोजन उपलब्ध न होने के कारण, सड़े आटे से पिज्जा, बर्गर, नूडल्स खाना यूरोप की विवशता।
– ताज़े भोजन की कमी के कारण फ्रिज़ इस्तेमाल करना, यूरोप की विवशता।
– जड़ी-बूटियों का ज्ञान न होने के कारण, जीव जन्तुओं के मांस से दवायें बनाना उनकी विवशता।
– पर्याप्त अनाज न होने के कारण जानवरों को खाना, उनकी विवशता।
– लस्सी, मट्ठा, छाछ, दूध, जूस, शिकंजी आदि न होने के कारण, कोल्ड ड्रिंक पीना उनकी विवशता।
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यह जानते हुए भी कि पाश्चात्य जगत के लिए जो गतिविधियां, परंपराएं या खानपान उनकी विवशता है उन्हीं को हम अपनाते जा रहे हैं और उनका अनुसरण करते जा रहे हैं। जैसे कि –
– प्रकृति द्वारा हमारी भारत भूमि पर पानी की प्र्याप्त मात्रा उपलब्ध होने के बावजूद हम नकल करने को प्रयासरत रहते हैं। हमारी अज्ञानता।
– शादी वाले दिन भरी गर्मी में कोट-पैंट डाल कर बारात में जाना, हमारी अज्ञानता।
– गुरुकुल पद्धति में मानव विकास का कार्य, मानव को मानव बनाने की कोशिश। सुविधाओं के लिए और चकाचैंध में उनकी नकल करना हमारी अज्ञानता।
– 56 भोग छोड़ कर रु 400/- की सड़ी रोटी (पिज्जा) खाना, हमारी अज्ञानता।
– रोज ताजी सब्जी बाजार में मिलने पर भी, हफ्ते भर की सब्जी फ्रिज में ठूँस कर एवं सड़ा कर खाना, हमारी अज्ञानता।
– आयुर्वेद जैसी महान चिकित्सा पद्धति होने के बावजूद, मांस की दवाइयों का उपयोग करना, हमारी अज्ञानता।
– 1600 किस्म की फसलें होने के बावजूद, स्वाद के लिए निरीह प्राणी मार कर खाना, हमारी अज्ञानता।
– 36 तरह के पेय पदार्थ होते हुऐ भी, कोल्ड ड्रिंक नामक जहर पीना, हमारी अज्ञानता।
अब समय आ गया है, हम अपनी संस्कृति की विशेषताओं को समझें और समझायें। इसकी महानता समझें, अपनी धरोहरों का अनुसरण करे, उस पर गर्व करें और अपने जीवन को सफल बनाते हुए मानव जाति का कल्याण कर प्राणियों की रक्षा कर, प्रकृति की रक्षा करें।
– सम्पदा जैन (छात्रा)