हर किसी मंदिर और उसमें विराजित देवी-देवताओं की अपनी कुछ न कुछ अलग विशेषतायें और महत्व होते हैं. फिर चाहे वो पौराणिक मान्यतायें हों या महत्व या फिर आश्चर्यचकित करने वाला ऐतिहासिक तथ्य। ऐसे ही देवी-देवताओं और उनके हज़ारों ही नहीं बल्कि लाखों मंदरों में एक विशेष स्थान रखने वाला प्रथम पूज्य श्री गणेश जी का भी एक प्रसिद्ध मंदिर है, जो कि दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु के कोयंबटूर शहर में स्थित है।
गणेश जी का यह मंदिर “मुंथी विनायक गणपति” (Munthi Vinayak Ganpati) जी के नाम से प्रसिद्ध है। तमिलनाडु के कोयंबटूर शहर से करीब 15 किमी दूर स्थित पुलियाकुलम नाम के एक कस्बे में मौजूद भगवन गणेश के इस मंदिर की स्थापना आज से लगभग 500 वर्ष पूर्व हुई थी। जबकि मंदिर की वर्तमान संरचना के लिए जीर्णोदार और निर्माणकार्य वर्ष 1982 में प्रारम्भ होकर अगले करीब छह वर्षों तक चला था।
इस मंदिर की सबसे ख़ास विशेषता यह है कि इसमें स्थापित भगवान् “मुंथी विनायक गणपति” की प्रतिमा का वजन करीब 14 हजार किलो से भी अधिक बताया जाता है, जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड माना जा रहा है। “मुंथी विनायक गणपति” की यह प्रतिमा इतने भारीभरकम वजन के अलावा करीब 11 फीट चौड़ी और 20 फीट ऊंची है।
“मुंथी विनायक गणपति” (Munthi Vinayak Ganpati) बाप्पा की प्रतिमा के माथे का आकार 2.5 फीट चौड़ा है, जबकि अमृत कला लिए बाप्पा की सूंड दाहिनी ओर मुड़ी हुई गोलाकार आकृति में है। इस प्रतिमा का इतिहास भी करीब 500 वर्षों का ही बताया जाता है। गणेश जी की प्रतिमा की इसी खासियत को देखते हुए यहाँ दर्शन करने आने वाले भक्तों की संख्या लाखों में होती है।
ऐसे में सवाल आता है कि यदि गणपति जी की इस प्रतिमा का वजन यदि लगभग 14 हजार किलो है तो फिर इसको तैयार करने में ऐसी कौन सी धातु या अन्य सामग्री का प्रयोग किया गया होगा? तो बता दें की इसमें किसी भी प्रकार की धातु का प्रयोग नहीं किया गया है। क्यों की यह प्रतिमा शुद्ध रूप से ग्रेनाइट की एक ही भारीभरकम चट्टान पर उकेर कर तैयार की गई है।
मुंथी विनायक गणपति (Munthi Vinayak Ganpati) जी की प्रतिमा भक्तों को सदैव आरोग्य रखने और प्रसन्नता प्रदान करने वाले स्वरूप को दर्शाती है। कमल के फूल पर विराजित मुंथी विनायक गणपति बप्पा की इस प्रतिमा के एक हाथ में अमृत कलश दर्शाया गया है, जबकि बप्पा की कमर में कमरबंद के तौर पर वासुकी नाग विराजित हैं।
“मुंथी विनायक गणपति” (Munthi Vinayak Ganpati) जी की प्रतिमा से जुड़े कुछ अन्य तथ्य बताते हैं कि, कुछ विशेष और योग्य मूर्तिकारों ने मिलकर इस प्रतिमा को आकार देने में अपनी प्रतिभा और कौशलता का परिचय दिया था, तब कहीं जाकर उस पत्थर में से भगवन गणेश का यह साक्षात रूप प्रकट हुआ है। सम्भवतः इतने भार वाली गणेश जी की कोई भी प्रतिमा अन्य किसी भी राज्य में या अन्य किसी भी देश में अभी तक नहीं देखी गई है।
स्थानीय लोगों के बीच मुंथी विनायक गणपति भगवान को “आरोग्य देवता” (healing god) भी कहा जाता है। मान्यता है कि जो कोई भी यहां किसी भी रोग को हरने की सच्चे मने से प्रार्थना लेकर आता है उसके वो कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके अलावा यहां कालसर्प दोष और अन्य कई बीमारियों से मुक्ति पाने के लिए विशेष पूजा की जाती है। मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालू यहां अवस्य आते हैं।
तमिलनाडु के कोयंबटूर शहर से करीब 15 किमी दूर स्थित पुलियाकुलम नाम के एक कस्बे में मौजूद भगवन मुंथी विनायक गणपति (Munthi Vinayak Ganpati) जी के इस मंदिर का स्थान दक्षिण भारत के कुछ विशेष मंदिरों में आता है। इसलिए प्रतिदिन यहाँ हज़ारों में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है लेकिन ख़ास तौर पर गणेशोत्सव के दौरान यहाँ दूर-दूर से आने वाले दर्शनार्थियों की संख्या लाखों में होती है।
– शिवांगी चौहान