अजय सिंह चौहान || अगर आप उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले में स्थित भगवान शिव के पावन धाम यानी ‘‘जागेश्वर धाम’’ के दर्शनों के लिए जाना चाहते हैं और साथ ही साथ अल्मोड़ा के आस-पास के अन्य पर्यटन स्थलों का भी आनंद लेना चाहते हैं तो यहां मैं बता दूं कि भगवान शिव के इस मंदिर को यानी जागेश्वर धाम को हमारे पौराणिक ग्रंथों में ‘‘हाटकेश्वर धाम’’ के नाम से भी पहचाना जाता है। इस धाम में छोटे-बड़े कुल 124 मंदिरों का एक समूह है जिसमें प्रमुख मंदिर भगवान शिव का है। और भगवान शिव के इस मंदिर को 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक भी माना जाता है। ये सभी मंदिर एक ही पहाड़ी पर मौजूद हैं जो स्थानिय ‘‘जटा गंगा’’ नाम की एक नदी के किनारे की लगभग 6,200 फुट ऊंची एक ऊंची पहाड़ी है।
भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण यानी ए.एस.आई. के अनुसार यहां मौजूद वर्तमान संरचना के ये सभी मंदिर समूह वास्तुकला के हिसाब से गुप्त और पूर्व मध्ययुगीन समय के, यानी आज से करीब 2,500 वर्ष पुराने हैं। जबकि जागेश्वर धाम यानी भगवान शिव के इस मंदिर की स्थापना यहां अनादिकाल में ही हो चुकी थी।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां भगवान शिव स्वयं ध्यान साधना किया करते थे। इसलिए यह स्थान न सिर्फ सनातन धर्म और अध्यात्म के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि कुछ विशेष सिद्धियां और शक्तियां प्राप्त संतों और योगियों की प्रमुख ध्यान तथा अध्यात्म स्थली भी है। इसी कारण जागेश्वर धाम को राज्य सरकार के द्वारा जल्द ही प्रदेश के पांचवे धाम के रूप में भी मान्यता दी जा सकती है।
अगर आप जागेश्वर धाम की यात्रा पर जाना चाहते हैं तो सबसे पहले तो यहां जान लें कि जागेश्वर धाम उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जिले में स्थित है और अल्मोड़ा शहर से जागेश्वर धाम के इन मंदिरों तक जाने के लिए पिथोरागढ़ रोड़ पर करीब 35 किलोमीटर का रास्ता तय करना होता है।
यह धाम दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रा में है इसलिए मैदानी क्षेत्रों से आने वाले यात्रियों के लिए बारिश के मौसम में यहां की यात्रा करना किसी बड़ी परेशानी का कारण बन सकता है। इसलिए यहां के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और फिर सितंबर से नवंबर के बीच का होता है। जबकि जुलाई और अगस्त के महीनों में पहाड़ी क्षेत्रा की बारिश के मौसम में यहां ना ही जायें तो बेहतर होगा।
हालांकि, इसके बावजूद भी बारिश के मौसम में यहां पर्यटक और दर्शनार्थियों की संख्या कम नहीं होती। क्योंकि यह धाम प्रमुख रूप से भगवान शिव का धाम है इसलिए इसी दौरान यानी सावन के महीने में ही यहां प्रमुख पूजा-पाठ और शिवरात्रि मेला भी आयोजित किया जाता है इसलिए यह धाम अधिकतर श्रद्धालुओं और पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है और वे किसी न किसी प्रकार से यहां पहुंच ही जाते हैं।
अब बात करते हैं दूरी की –
जागेश्वर धाम उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जिले में पिथोरागढ़ रोड़ पर स्थित है और अल्मोड़ा शहर से जागेश्वर धाम की यह दूरी मात्रा 35 किलोमीटर।
अगर आप ट्रेन से जाते हैं तो यहां के सबसे नजदीकी काठगोदाम के रेलवे स्टेशन से जागेश्वर धाम की दूरी 120 किलोमीटर है जो करीब 4 से 5 घंटे में आसानी से तय हो जाती है।
अगर आप हवाई जहाज से भी जाते हैं तो यहां का सबसे नजदीकी अड्डा उधम सिंह नगर जिले के पंतनगर शहर में है जो जागेश्वर धाम मंदिर से करीब 150 किलोमीटर दूर है।
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सबसे अच्छी बात ये है कि वर्तमान में लगभग हर प्रकार के धार्मिक और पर्यटन स्थान जो खास तौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में हैं उन सभी को अब सड़क नेटवर्क के माध्यम से जोड़ा जा चुका है। इसलिए जागेश्वर मंदिर भी सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
अल्मोड़ा शहर तक जाने के लिए आसपास के सभी प्रमुख शहरों और राज्यों से सीधे रोडवेज बसों और प्राइवेट या लग्जरी बसों की और टैक्सियों की सुविधा आसानी से मिल जाती है।
अन्य प्रमुख शहरों से जागेश्वर धाम/अल्मोड़ा की दूरी –
– नैनीताल से जागेश्वर धाम की दूरी करीब 100 किलोमीटर।
– हरिद्वार से जागेश्वर धाम की दूरी करीब 340 किलोमीटर।
– देहरादून से जागेश्वर धाम की दूरी करीब 380 किलोमीटर।
– दिल्ली से जागेश्वर धाम की दूरी करीब 390 किलोमीटर और
– कानपुर से जागेश्वर धाम की दूरी करीब 490 किलोमीटर है।
अगर आप दिल्ली में हैं और अल्मोड़ा जिले में स्थित इस जागेश्वर धाम की यात्रा पर जाना चाहते हैं तो दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे से अल्मोड़ा के लिए रोडवेज या फिर निजी बसों की सुविधा आसानी से मिल जाती है।
दिल्ली से यह दूरी करीब 400 किलोमीटर है और इस दूरी के लिए सड़क मार्ग से करीब 10 से 11 घंटे का समय लग जाता है। किराये की बात करें तो दिल्ली से अल्मोड़ा तक उत्तराखण्ड रोडवेज बस का साधारण किराया करीब 540 रुपये लगता है। लेकिन, अगर आप किसी भी एयरकंडीशन वाली बस से जाते हैं तो यही किराया हजार रुपये से ऊपर ही देना पड़ेगा।
उत्तराखण्ड एक पहाड़ी राज्य है इसलिए यात्रियों को सबसे अधिक सड़कों के माध्यम से ही रास्ता तय करना होता है। इसलिए देश के दूर दराज के क्षेत्रों से आने-जाने वाले यात्रियों के लिए भी यहां हवाई अड्डे से या फिर रेलवे स्टेशन से स्थानीय बसों और टैक्सियों के जरिए ही जागेश्वर धाम तक जाना होता है। इसके अलावा यहां आप अपने वाहनों से भी आना-जाना कर सकते हैं।
ट्रेन से – अब यहां ये जान लेना भी जरूरी है कि ट्रेन से या फिर हवाई जहाज से यात्रा करने के बाद भी आपको आगे की दूरी सड़क के रास्ते ही तय करनी होती है। इसलिए ट्रेन के द्वारा जाने वाले यात्रियों के लिए यहां जागेश्वर धाम के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम में है जो यहां से करीब 120 किलोमीटर दूर है। काठगोदाम के लिए दिल्ली, लखनऊ, देहरादून सहीत कई प्रमुख शहरों से सीधे ट्रेन की सुविधा है।
हवाई जहाज से – अगर आप यहां हवाई जहाज से जाना चाहते हैं तो उसके लिए यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा उधम सिंह नगर जिले के पंतनगर शहर में है, जो जागेश्वर मंदिर से करीब 150 किमी और अल्मोड़ा शहर से करीब 120 किलोमीटर की दूरी पर है। इसलिए यहां से आगे की दूरी सड़क मार्ग से ही तय करनी होती है।
जागेश्वर धाम में कहां ठहरें –
जागेश्वर धाम की यात्रा पर जाने से पहले ये भी ध्यान देना होगा कि यह धार्मिक तथा आध्यात्मिकता के साथ पर्यटन के लिहाज से भी बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। इसके अलावा यहां की जलवायु और वातावरण मैदानी क्षेत्रों से आने वालों के लिए स्वर्ग के समान है इसलिए यहां साल के बारहों मास पर्यटकों और दर्शनार्थियों को देखा जा सकता है। और क्योंकि गर्मियों के मौसम में यहां एकदम शांत, सुखद और आत्मिक आनंद मिलता है इसलिए पर्यटक ही नहीं बल्कि धार्मिक तथा आध्यात्मिक लाभ के लिए भी ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग आना पसंद करते हैं।
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यहां इस बात का भी ध्यान रखें कि जागेश्वर धाम मंदिर के आसपास रुकने के लिए यात्रियों के लिए कुछ खास या बड़े स्तर पर व्यवस्था फिलहाल उपलब्ध नहीं हैं, और जो कुछ भी है वो महंगे हो सकते हैं। इसलिए जागेश्वर धाम के पास ठहरने की बजाय यहां से केवल 35 किमी दूर अल्मोड़ा शहर में ही ठहरना ज्यादा बेहतर हो सकता है। अल्मोड़ा शहर में कई प्रकार के आलीशान होटल और रिसाॅर्ट से लेकर कम से कम बजट के अनुसार गेस्टहाउस और लाॅज सभी उपलब्ध हैं।
इसके अलावा यहां कई छोटे-बड़े निजी होटल भी हैं जो आपको बजट के अनुसार मिल जाते हैं। अगर आप किसी निजी होटल में ठहरते हैं तो कम से कम 500 से 700 रुपये तक में अच्छी सुविधाओं वाला कमरा भी मिल सकता है। और अगर आप अपनी गाड़ी से या टू व्हीलर से भी जाते हैं तो करीब-करीब हर होटल में यहां फ्री पार्किंग की सुविधा भी मिल जाती है।
इन सबसे अलग यहां ठहरने के लिए कुमाऊ मंडल विकास निगम लिमिटेड यानी के.एम.वी.एन. के पर्यटक आवास गृह यानी गेस्ट हाऊस और वन विभाग का भी पर्यटक आवास केंद्र है। कुमाऊ मंडल विकास निगम लिमिटेड के पर्यटक आवास गृह यानी गेस्ट हाऊस में एक कमरा 1,300 रुपये से 2,200 रुपये तक में मिल जाता है।
अगर आप अल्मोडा शहर के अपने किसी भी होटल या गेस्टहाउस से निकल कर सुबह जागेश्वर धाम की यात्रा पर निकलते हैं तो शाम तक बहुत ही आसानी से इस यात्रा को एक ही दिन में पूरा कर लेते हैं।
स्थानीय स्तर पर यहां शहर के विभिन्न क्षेत्रों से जागेश्वर धाम मंदिर के लिए शेयरिंग वाले कई लोकल वाहन जैसे जीप चलती हैं जो यात्रियों को सीधे मंदिर तक ले जाते हैं। इसके अलावा आप चाहें तो टैक्सी भी ले सकते हैं।
जागेश्वर धाम और अल्मोड़ा के आसपास के प्राकृति सौंदर्य तथा अन्य दर्शनिय और पर्यटन स्थलों की सैर के लिए भी यहां टैक्सी की सुविधाएं उपलब्ध है।
भोजन व्यवस्था की बात करें तो अल्मोड़ा शहर या फिर जागेश्वर धाम में मसूरी या फिर नैनीताल जैसे कुछ प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के मुकाबले विभिन्न प्रकार के मन पसंद व्यंजन मिलना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। इसका कारण है कि यह पर्यटन क्षेत्रा मसूरी और नैनीताल जितना प्रसिद्ध नहीं है। लेकिन, आप यहां के स्थानीय रेस्तरां और सड़कों के किनारे वाले स्टाल और ढाबों पर कुछ स्थानीय व्यंजनों का भी स्वाद चख कर एक नया अनुभव ले सकते हैं।
यहां होने वाले भोजन के खर्च की बात करें तो कोई निश्चित नहीं है कि यहां आपको कम से कम या फिर अधिक से अधिक कितना खर्च करना पड़ सकता है। लेकिन, क्योंकि यह क्षेत्रा आम जनजीवन से जुड़ा हुआ है इसलिए यहां हर प्रकार के भोजन और चाय नाश्ते की सुविधा भी उचित किमत में मिल ही जाती है।
कुछ खास बातों भी ध्यान रखें –
– जागेश्वर धाम की यात्रा पर जाने से पहले ध्यान में रखें कि यहां जाने के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर के बीच का होता है।
– सर्दियों के मौसम में यहां बर्फबारी होने से तापमान में काफी गिरावट आ जाती है और ठंडक बढ़ जाती है इसलिए अपने साथ कुछ ज्यादा ही गरम कपड़े रखने पड़ते हैं।
– बारिश के मौसम में अगर आप यहां जाते हैं तो पहाड़ी इलाकों में होने वाली बारिश मैदानी इलाके की बजाय ज्यादा खतरनाक होती है और पहाड़ों के धंसने से कई जगहों पर रास्ते बंद हो जाते हैं इसलिए बारिश के मौसम में यहां या फिर किसी भी दूसरे पहाड़ी क्षेत्रों में ना जायें।
– अल्मोड़ा शहर से निकल कर जागेश्वर के लिए आगे बढ़ने से पहले ध्यान रखें कि जागेश्वर धाम में या इसके पास आपको एटी.एम. या पेट्रोल पंप की बहुत ही कम सुविधा देखने को मिलती है इसलिए पहले ही इंतजाम कर लें।
– पर्यटन के मौसम में यानी मैदानी इलाकों की भीषण गर्मियों के दौरान यहां सैलानियों की भीड़ अचानक से बढ़ जाती है और अच्छी सुविधाओं वाले अधिकतर होटलों के कमरे पहले से ही बुक हो जाते हैं। इसलिए आपको भी यहां जाने से पहले ही होटल की बुकिंग करवा लेनी चाहिए।