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जिरोती चित्रकला: निमाड़ की सांस्कृतिक धरोहर

admin 22 March 2025
Jiroti Art is a Holy wall painting of Nimad area in Madhya Pradesh 3

Through the wall paintings of Jiroti, rural women give a living shape to their art.

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जिरोती चित्रकला मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र की एक प्राचीन और जीवंत भित्ति चित्रकला है, जो न केवल एक कला रूप है, बल्कि इस क्षेत्र की परंपराओं, विश्वासों और जीवन शैली का एक अभिन्न अंग भी है। यह लोककला प्रकृति, संस्कृति और आध्यात्मिकता के गहरे जुड़ाव को दर्शाती है, जो निमाड़ के ग्रामीण जीवन में सदियों से रची-बसी है। जिरोती को निमाड़ की जातीय स्मृति और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक माना जाता है, जो इसे अन्य चित्रकला शैलियों से अलग और विशेष बनाता है।

उत्पत्ति और परंपरा –
जिरोती चित्रकला की जड़ें पौराणिक काल से जुड़ी हुई हैं। यह कला मुख्य रूप से श्रावण मास की अमावस्या, जिसे हरियाली अमावस्या या जिरोती अमावस्या के रूप में मनाया जाता है, के अवसर पर बनाई जाती है। इस दिन निमाड़ क्षेत्र के घरों में दीवारों को गोबर और गेरू से लीपकर तैयार किया जाता है, और फिर पीले रंग से जिरोती माता की आकृतियाँ उकेरी जाती हैं। यह परंपरा न केवल सौंदर्य के लिए है, बल्कि परिवार की सुख-समृद्धि और कल्याण के लिए एक पवित्र अनुष्ठान भी मानी जाती है।

Jiroti Art - wall painting of Nimad in Madhya Pradesh 1चित्रकला की विशेषताएँ –
जिरोती चित्रकला में सादगी और प्रतीकात्मकता का अनोखा संगम देखने को मिलता है। इसमें जिरोती माता को एक गृहिणी के रूप में चित्रित किया जाता है, जो रसोई में कार्यरत होती हैं। उनके आसपास सूरज, चाँद, नाग देवता, गणगौर नृत्य करते स्त्री-पुरुष, पालने में झूलते बच्चे और समृद्ध जीवन के अन्य प्रतीक बनाए जाते हैं। ये आकृतियाँ प्रकृति और मानव जीवन के बीच संतुलन को दर्शाती हैं। रंगों का प्रयोग सीमित लेकिन प्रभावशाली होता है—गेरू का लाल-भूरा आधार और पीले रंग की रेखाएँ इस कला को विशिष्ट पहचान देती हैं।

निर्माण की प्रक्रिया –
जिरोती बनाने की प्रक्रिया अपने आप में एक धार्मिक और सांस्कृतिक कर्मकांड है। सबसे पहले दीवार पर गंगाजल का छिड़काव किया जाता है, फिर उसे गोबर से लीपा जाता है। इसके बाद गेरू से रंगाई की जाती है और पीले रंग से आकृतियाँ बनाई जाती हैं। यह प्रक्रिया सामूहिक रूप से की जाती है, जिसमें परिवार की महिलाएँ विशेष रूप से भाग लेती हैं। इस दौरान लोकगीतों का गायन और पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन इस कला को जीवंत बनाता है।

सांस्कृतिक महत्व –
जिरोती चित्रकला केवल दीवारों पर बनने वाली कला नहीं है, बल्कि यह निमाड़ के लोगों की आस्था, सामाजिकता और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है। यह कला ग्रामीण महिलाओं के रचनात्मक कौशल और उनकी भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम है। इसके माध्यम से वे अपने परिवार के लिए शुभकामनाएँ माँगती हैं और अपनी सांस्कृतिक विरासत को अगली पीढ़ी तक पहुँचाती हैं। यह लोककला आधुनिकता के दौर में भी अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए है, जो इसे और भी अनमोल बनाती है।

जिरोती चित्रकला निमाड़ की आत्मा है, जो अपनी सादगी, प्रतीकात्मकता और गहरे अर्थों के साथ हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देती है। यह कला हमें यह सिखाती है कि सुंदरता और सार्थकता हमेशा जटिलता में नहीं, बल्कि जीवन की साधारण बातों में भी छिपी हो सकती है। आज जब आधुनिक कला और तकनीक का बोलबाला है, तब भी जिरोती जैसी परंपरागत कलाएँ हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखती हैं और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की प्रेरणा देती हैं।

– प्रीति चौहान

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