पृथ्वी पर न जाने कितने प्रकार के जीव-जन्तु वनस्पतियों का भण्डार है। यह एक जीवन में समझना और जानना न केवल कठिन है बल्कि अकल्पनीय है परन्तु हर किसी का अपना अस्तित्व और महत्व है। वनस्पतियों में चाहे फल-फूल, साग-सब्जी या किसी अन्य प्रकार की जड़ी-बूटी हो सबके अपने-अपने उपयोग और गुण होते हैं।
यह अलग बात है कि हम अज्ञानतावश न उनको जान व पहचान पाते हैं और आज का विज्ञान भी इस विषय पर अनभिज्ञ सा दिखता है। भारत में प्राचीन काल से ही हमारे ऋषि-मुनियों, ज्ञानियों ने आयुर्वेद के माध्यम से बहुत सी ऐसी वनस्पतियों की जानकारियां आयुर्वेद गं्रथों के माध्यम से प्रदान की है जिनको अब विज्ञान की कसौटी पर देखा और परखा जाता है, जो अक्षरशः प्रभावित होती है। इसी कड़ी में आज यहां हम दो फलों का जिक्र करना अपना फर्ज समझते हैं जिनमें ककोड़ा और कुंदरू प्रमुख हैं।
ककोड़ा (Kakoda- green vegetable) एक तरह का औषधीय सब्जी एवं जंगली फल है जिसका उपयोग खासतौर पर सब्जी बनाने के लिए किया जाता है। इस फल में कई तरह के पोषक तत्व और विटामिन होते हैं जो कई तरह की बीमारियों की रोकथाम करने में मदद करते हैं।
ककोड़ा (Kakoda- green vegetable) में भरपूर मात्रा में पौष्टिक तत्वों के साथ उच्च मात्रा में फाइबर, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेड जैसे खनिज मौजूद होता है। इसके अलावा कैरोटीन, थियामिन, रिबोफ्लेविन, नियासिन व एस्काॅर्बिक एसिड आदि होता है। यह सब हमारे स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने में मदद करता हैं।
यह सिरदर्द, कानदर्द, खांसी, पेट संबंधी बीमारियां, बवासीर, खुजली जैसे आम बीमारियों के उपचार में फायदेमंद होता है।
अन्य भाषाओं में –
ककोड़ा का वानस्पतिक नाम मोमोर्डिका डायोइका है। भारत के विभिन्न प्रांतों में ककोड़ा को विभिन्न नामों से पुकारा जाता है। जैसे –
Sanskrit – पीतपुष्पा, महाजालीय
Assamese – बटकरीला
Kannad -माडहागलकायी
Gujrati -ककोड़ा, कन्कोडा
Telugu -आगाकर
Tamil -एगारवल्लि
Bengali -बोनकरेला, कंक्रोल
Nepali -चटेल, कन्न, करलीकाई
Punjabi -धारकरेला, किरर
Marathi -कर्टोली, कंटोलें
Malayalam -वेमपवल इत्यादि।
ककोड़ा के फायदे –
सिरदर्द के कारण कोई भी काम ध्यान देकर करना मुश्किल हो जाता है। ककोड़ा का सेवन सिरदर्द से आराम दिलाने में बहुत मदद करता है।
– 1-2 बूंद ककोड़ा के पत्ते का जूस नाक में डालने से सिर में होने वाले दर्द से मुक्ति मिलती है।
– ककोड़ा (Kakoda- green vegetable) के जड़ को गाय के घी में पकाकर, घी को छानकर, 1-2 बूंद नाक में टपकाने से आधा शीशी यानी अधकपारी के दर्द में लाभ होता है।
– ककोड़ी के जड़ को काली मिर्च तथा लाल चन्दन के साथ पीसकर उसमें नारियल तेल मिलाकर मस्तक पर लगाने से सिरदर्द से आराम मिलता है।
– बालों का झड़ना कम करने के लिए ककोड़ी जड़ को घिसकर बालों की जड़ों में लगायें।
– ककोड़ा की जड़ को पीसकर घी में पकाकर, छानकर, 1-2 बूंद कान में डालने से दर्द से आराम मिलता है।
खांसी होने पर –
खांसी है कि ठीक होने का नाम नहीं ले रही और खांसने के कारण सांस लेने में समस्या हो रही है तो ककोड़ा का इस्तेमाल ऐसे करना फायदेमंद साबित हो सकता है।
– 2 ग्राम बांझ ककोड़ा (Kakoda- green vegetable) कन्द चूर्ण में 4 नग काली मरिच चूर्ण मिलाकर जल के साथ पीसकर पिलाएं तथा एक घंटे पश्चात 1 गिलास दूध पिलाने से कफ का निसरण होकर कफ एवं खांसी में लाभ होता है।
– 1 ग्राम बांझ ककोड़ा कन्द चूर्ण को गुनगुने जल के साथ खिलाने से खांसी से छुटकारा मिलता है।
– ककोड़ी जड़ की भस्म बनाकर 125 मि.ग्रा. भस्म में 1 चम्मच शहद तथा 1 चम्मच अदरक का जूस मिलाकर खाने से खांसी होने पर सांस संबंधी समस्या में लाभ होता है।
पेट के इंफेक्शन में –
1-2 ग्राम ककोड़ा जड़ चूर्ण का सेवन करने से अरुचि तथा आँत्रगत संक्रमण (पेट के इंफेक्शन) से जल्दी राहत मिलती है।
बवासीर में राहत के लिए –
ककोड़ा (Kakoda- green vegetable) जड़ को भूनकर, पीसकर, 500 मिग्रा की मात्रा में खिलाने से रक्तार्श (खूनी बवासीर) से राहत मिलती है।
पीलिया में फायदे –
अगर आपको पीलिया हुआ है और आप इसके लक्षणों से परेशान हैं तो ककोड़ा का सेवन इस तरह से कर सकते हैं। ककोड़ा के जड़ के रस को 1-2 बूंद नाक में डालने से कामला (पीलिया) में लाभ होता है।
बढ़े हुए प्लीहा में –
अगर किसी बीमारी के कारण प्लीहा का आकार बढ़ गया है तो ककोड़ा का औषधीय गुण फायदेमंद साबित हो सकता है। 1-2 ग्राम बांझ ककोड़ा के जड़ के चूर्ण में 5 काली मरिच का चूर्ण मिलाकर शहद के साथ खाने से प्लीहा के बढ़ जाने पर उसका आकार कम होने में मदद मिलती है।
मूत्राशय में फायदे –
विशेषकर पुरुषों को मूत्राशय में पथरी की समस्या होने पर ककोड़ा का औषधीय गुण बहुत काम आता है। 500 मिग्रा ककोड़ा की जड़ के सूक्ष्म चूर्ण को दस दिन तक दूध के साथ सेवन करने से अश्मरी या पथरी टूटकर निकल जाती है।
डायबिटीज को कंट्रोल करने में –
डायबिटीज होने पर 1-2 ग्राम ककोड़ा जड़ के चूर्ण का सेवन करने से मधुमेह या डायबिटीज में लाभ होता है।
दाद की परेशानी में –
आजकल चर्म रोग होने की आशंका बढ़ती जा रही है, उनमें से दाद एक है। दाद की खुजली की समस्या से छुटकारा पाने में सहायता करता है। ककोड़ा के पत्ते के जूस में चार गुना तेल मिलाकर पका लें, ठंडा
होने पर छानकर रख लें। इस तेल को लगाने से दाद, खुजली आदि त्वचा विकारों में लाभ होता है।
खुजली में –
आजकल हर कोई किसी न किसी त्वचा संबंधी परेशानी से ग्रस्त है। ककोड़ा का इस्तेमाल खुजली ठीक करने के काम आता है। सुबह या ठंड के समय अधिक बढ़ने वाली खुजली में ककोड़ा के कन्द को पीसकर उसमें तेल मिलाकर उबटन की तरह लगाने से खुजली मिटती है।
लकवे में –
ककोड़ा का औषधीय गुण लकवे के कष्ट से आराम दिलाने में मदद करता है। बांझ ककोड़ा की जड़ को घी के साथ घिसकर उसमें थोड़ी सी चीनी मिलाकर अच्छी तरह पीसकर 1-2 बूंद नाक में देने से तथा 1-2 ग्राम जड़ के चूर्ण का सेवन करने से अपस्मार के कष्ट में लाभ मिलता है।
बुखार होने पर –
मौसम के बदलने की वजह से या किसी संक्रमण के कारण बुखार हुआ है तो उसके लक्षणों से राहत दिलाने में ककोड़ा बहुत मदद करता है।
– ककोड़ा का शाक बनाकर सेवन करने से ज्वर में लाभ होता है।
– ककोड़ा के जड़ को पीसकर पूरे शरीर पर लेप करने से बुखार से राहत मिलती है।
सूजन होने पर –
ककोड़ा (Kakoda- green vegetable) कन्द चूर्ण को गर्म जल में पीसकर सूजन वाले स्थान पर लगाने से सूजन का कष्ट कम होता है।
सन्निपात या बेहोशी होने पर –
बांझ ककोड़ा के कंद चूर्ण में कुलथी, पीपल, वच, कायफल तथा काला जीरा पीसकर, मिलाकर शरीर पर मालिश करने से लाभ होता है।
सांप के काटने पर –
ककोड़ा (Kakoda- green vegetable) के जड़ को पीसकर सर्प के काटे हुए स्थान पर लेप करने से दर्द और जलन आदि से आराम मिलता है।
आंखों के लिए फायदे –
ककोड़ा का सेवन आंखों के लिए फायदेमंद होता है, विशेष रूप से एलर्जी की स्थिति में क्योंकि ककोड़ा में एंटी एलर्जिक का गुण पाया जाता है इसलिए अगर आप आंख में एलर्जी की समस्या से पीड़ित हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अनुसार ककोड़ा का सेवन करें।
कैंसर को रोकने में सहायक –
ककोड़ा (Kakoda- green vegetable) में एंटी कैंसर का गुण पाया जाता है। इसमें मौजूद एंटी कैंसर गुण, शरीर में कैंसर को फैलने से भी रोकने में मदद
करता है।
हाई ब्लड प्रेशर में –
हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में ककोड़ा की सब्जी या ताजा जूस आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। ककोड़ा में पायी जाने वाली एंटी हाइपरटेन्सिव का गुण हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
इस प्रकार आपने देखा कि किस प्रकार पृथ्वी पर उगने वाली वनस्पतियों एवं साग-सब्जियों में कितने दुर्लभ और कितने आवश्यक गुण विद्यमान होते हैं जिन्हें हमें जानना चाहिए और यह एक शोध का विषय है।
संकलन – संपदा जैन