अजय सिंह चौहान || अगर आप गुजरात में धार्मिक स्थानों के दर्शन करने के साथ-साथ पर्यटन का भी आनंद लेने के बारे में सोच रहे हैं, या जाने की तैयारी कर रहे हैं तो बता दूं कि अपनी इस यात्रा के दौरान पावागढ़ जाना भी न भूलें। क्योंकि, वडोदरा से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पावागढ़ गुजरात के प्राकृतिक आकर्षण और खबसूरत हिल स्टेशन होने के साथ-साथ धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व भी रखता है।
मान्यता और महत्व –
गुजरात के पंचमहल जिले की पावागढ़ तहसील में स्थित माता काली (Shree Mahakali Mataji Mandir, Pavagadh, Gujarat) के इस प्राचीन मंदिर स्थल के बारे में मान्यता है कि यहां पर भगवान विष्णु के चक्र से कट कर माता सती का वक्षस्थल गिरा था। जबकि कुछ लोग ये भी मानते हैं कि यहां माता सति के पैर का अंगूठा गिरा था। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि महर्षि विश्वामित्र ने यहां माता काली की तपस्या की थी और उन्होंने ही यहां इस शक्तिस्थल पर माता की मूर्ति की स्थापना की थी।
चैत्र और शरद नवरात्र के असर पर इस मंदिर में न सिर्फ आसपास के बल्कि देश और दुनिया के तमाम श्रद्धालुओं की खासी भीड़ देखी जा सकती है। दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि यहाँ दर्शन करने के बाद माँ काली (Shree Mahakali Mataji Mandir, Pavagadh, Gujarat) उनको अपार खुशियां प्रदान करती हैं। इसके अलावा माता काली के प्रति स्थानीय निवासियों की आस्था और श्रद्धा भी यहां कम नहीं है।
दर्शन भी पर्यटन भी –
गुजरात के पावागढ़ में स्थित माता काली का यह प्राचीन मंदिर किसी आश्चर्य से कम नहीं है। मान्यता है कि यह मंदिर शक्तिपीठों में स्थान रखता है। इसके अलावा इस स्थान की खास बात ये है कि यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक महत्व का है बल्कि ऐतिहासिक और पर्यटन के लिहाज से भी याद रखने योग्य है। क्योंकि मंदिर तक पहुंचने के लिए जिस प्रकार से पहाड़ को काटकर रास्ता बनाया गया है उसमें प्राकृतिक दृश्यों का भी विशेष ध्यान रखा गया है और उन्हीं प्राकृतिक नजारों का आनंद लेने के लिए यह मंदिर धार्मिक यात्रा के साथ पर्यटन का भी महत्व रखता है।
अन्य दर्शनिय एवं पर्यटन स्थल –
पावागढ़ से करीब 2 किमी की दूरी पर नवलखा कोठार नामक एक अन्य हिल स्टेशन है। ये हिल स्टेशन अपने एडवेंचर अनुभवों के लिए जाना जाता है। इसके अलावा इतिहास प्रेमियों के लिए भी यह स्थान महत्वपूर्ण है।
पावागढ़ से करीब 3 किमी की दूरी पर चंपानेर में पावागढ़ का पुरातत्व पार्क प्राचीन हिन्दु वास्तुकला के मंदिरों के लिए विख्यात है। इस मंदिर की जल संग्रहण प्रणाली आकर्षण का केन्द्र है। इसके अलावा पावागढ़ का किला 5.5 किलोमीटर, जैन मंदिर 5.5 किलोमीटर और लकुलिसा मंदिर करीब 5.5 किलोमीटर की दूरी पर है।
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पावागढ़ जाने का मौसम –
अगर आप अपने परिवार के बच्चों और बुजुर्गों के साथ पावागढ़ में काली माता मंदिर (Shree Mahakali Mataji Mandir, Pavagadh, Gujarat) के दर्शनों के लिए जाना चाहते हैं तो बता दें कि गर्मी के मौसम में यहां का तापमान 40 डिग्री से अधिक पहुंच जाता है जिसके कारण भीषण गर्मी पड़ती है। इसलिए गर्मी के मौसम में यहां जाने से बचें।
हालांकि, बारिश के दौरान यहां कुछ राहत मिलती है, लेकिन आवश्यकता से अधिक बारिश और तूफान के कारण यहां बाढ़ जैसे हालात हो जाते हैं। इसलिए पावागढ़ में काली माता मंदिर की यात्रा पर जाने के लिए सितंबर से मार्च तक, यानी शरद ऋतु, सर्दी और वसंत ऋतु का ही सबसे अच्छा समय होता है। इन दिनों यहां का मौसम बहुत ही सुहावना होता है और इस दौरान गुजरात के सभी पर्यटन और दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए जाने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।
कैसे पहुंचें –
अगर आप अपने किसी भी राज्य या शहर से पावागढ़ के इस महाकाली मंदिर तक पहुंचना चाहते हैं तो बता दें कि यहां तक पहुंचने के लिए यातायात इतना सुगम है कि किसी भी दिशा से यहां पहंुचने में कोई परेशानी नहीं होती।
रेल से – यहां का सबसे नजदीकी और व्यस्त रेलवे स्टेशन वडोदरा में है जो कि अहमदाबाद और दिल्ली से सीधी रेल लाइनों से जुड़ा हुआ है। वडोदरा रेलवे स्टेशन से इस मंदिर की दूरी करीब 50 किमी है। इस स्टेशन से मंदिर तक जाने के लिए सड़क यातायात के स्थानीय साधन आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।
हवाई जहाज से – पावागढ़ के इस महाकाली मंदिर तक वायुमार्ग पहंुचना चाहते हैं तो उसके लिए यहां का सबसे नजदीक एयरपोर्ट अहमदाबाद में है, जिसकी दूरी यहां से लगभग 192 किलोमीटर है। इसके बाद आपको मंदिर तक जाने के लिए सड़क यातायात में लक्जरी बस, टैक्सी और रोडवेज की बसें आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।
सड़क मार्ग से – अगर आप पावागढ़ के इस महाकाली मंदिर तक सड़क मार्ग से प्रदेश या देश के किसी भी हिस्से से पहुंचना चाहते हैं तो यहां के लिए प्रदेश सरकार सहित अन्य कई निजी कंपनियों की कई लक्जरी बसों और टैक्सियों की सुविधा गुजरात के अनेक शहरों से संचालित की जाती है।