![NASA reached very close to the Sun, got a big secret](https://i0.wp.com/dharmwani.com/wp-content/uploads/2023/06/NASA-SATELITE-ON-SUN.jpg?fit=1024%2C556&ssl=1)
नासा का कहना है कि सन 2018 में हमने “पार्कर सोलर प्रोब” या “सोलर प्रोब” नाम से एक अन्तरिक्ष यान लॉन्च किया था. उस प्रोब को लांच करने का हमारा जो उद्देश्य था उसके अनुसार ही यह कार्य कर रहा है और अब जाकर उसे यह सफलता हाथ भी लग चुकी है। अब उसने हमें डाटा भेजना भी शुरू कर दिया है जिसमें हमें कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिल रहीं हैं. नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस प्रोब से हमें जो डाटा प्राप्त हुए हैं उनके अनुसार हमने सूर्य की सतह पर सौर हवा के स्रोत की खोज की है। नासा का दावा है फिलहाल हमें जो डाटा मिला है उनके अनुसार यह बड़ी कामयाबी है और उसमें हमें बहुत कुछ हाथ लगा है जो अब तक सूर्य के विषय में रहस्य बने हुए थे.
नासा का कहना है कि हवा के इस स्रोत से निकलकर भारी संख्या में सूर्य की सतह से निकलकर आवेशित कण पृथ्वी की दिशा की ओर बह रहे हैं। नासा के अनुसार “पार्कर सोलर प्रोब” के इस अभियान का प्रमुख उद्देश्य यह निर्धारित करना था कि सूर्य की सतह पर सोलर विंड या सौर हवायें कहाँ से आतीं हैं और बनने के समय वह कैसी दिखती है और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण से बचकर ये हवा कैसे बाहर निकल जाती है।
नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि पार्कर सोलर प्रोब ने जैसे ही सूर्य की सतह से करीब 13 मिलियन मील यानी 20.9 मिलियन किलोमीटर पास जाकर जांच शुरू की तो इसके उपकरणों ने सबसे पहले सौर हवा की संरचनाओं का पता लगाया। प्राप्त डाटा के अनुसार यह हवा फोटोस्फीयर या सौर सतह के पास उत्पन्न होती है।
विशाल और अद्भुत आकाशगंगाएं देखकर वैज्ञानिकों के दिमाग हिल गए
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 2018 में “पार्कर सोलर प्रोब” या “सोलर प्रोब” नाम से एक अन्तरिक्ष यान लॉन्च किया था. उस यान को दिवंगत खगोल वैज्ञानिक यूजीन पार्कर के नाम पर रखा गया। इस प्रोब को लांच करने का उद्देश्य था कि सूर्य के रहस्यों को जाना जाय और उन्हें दुनिया के सामने लाया जाय। नासा के इस मिशन ने 2021 के अंत में सूर्य के सतह को पहली बार स्पर्श किया था। इस अंतरिक्ष यान को यानी पार्कर सोलर प्रोब को विशेष रूप से सौर सतह के ऊपर 4 मिलियन मील यानी 6.4 मिलियन किलोमीटर नजदीक तक उड़ान भरने के लिए डिजाइन किया गया है।
![NASA Solar wind during PSP Encounter](https://i0.wp.com/dharmwani.com/wp-content/uploads/2023/06/NASA-Solar-wind-during-PSP-Encounter.png?resize=640%2C253)
“पार्कर सोलर प्रोब” से प्राप्त डाटा पर विस्तृत विवरणों और सोलर विंड के स्रोत की खोज से संबंधित जानकारी को नासा ने “नेचर पत्रिका” में प्रकाशित किया है. नेचर पत्रिका में बताया गया है कि- “सौर हवा प्लाज्मा का एक निरंतर बहाव है, जो सतह से निकल कर बाहर की ओर बहती है। इस हवा में प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन जैसे कण हैं।
देखें : नासा के पार्कर सोलर प्रोब पर नेचर पत्रिका का लिंक
यह हवा मुख्यरूप से दो प्रकार की है। इसके अलावा इसमें सौर चुंबकीय क्षेत्र का हिस्सा भी समाहित है जो सूर्य के कोरोना से बहुत आगे तक दिखाई देती है। सूर्य के ध्रुवों पर इस हवा की गति करीब 497 मील प्रति सेकंड यानी करीब-करीब 800 किलोमीटर प्रति सेकंड की बहुत ही तेज गति से बह रही है। वैज्ञानिकों ने सूर्य के ध्रुवों पर चलने वाली हवा की इस गति को “सौर तूफान“ का नाम दिया है और कहा है कि यही हवाएं सौरमंडल में गर्मी पैदा करती हैं. जबकि सूर्य के बाकी हिस्सों में बहने वाली सौर हवा करीब-करीब 249 मील प्रति सेकंड यानी 400 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से बह रही हैं जो इतनी खतरनाक या गर्मी पैदा नहीं करतीं।
अब अगर हम यहां बात करें सूर्य पर चलने वाली इन हवाओं की या उस सौर तूफान की तो, वैज्ञानिकों का कहना है कि तेज सौर हवा आमतौर पर पृथ्वी को प्रभावित तो नहीं करती है, लेकिन अधिकतम सौर चक्र के दौरान सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र पलट जाता है जो सूर्य की सतह पर कोरोनल छिद्रों को प्रकट करने का कारण बनता है और यही सौर हवा सीधे पृथ्वी की ओर आती है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि सौर हवा के स्रोत का पता लगाने और उसको समझने के बाद सौर मंडल के मौसम और उससे पृथ्वी को प्रभावित करने वाले सौर तूफानों के बारे में बेहतर भविष्यवाणी करने या जानने में मदद मिल सकती है।
– अशोक सिंह