जहां एक ओर हमारे देश के हर शहर, हर गली और मौहल्ले में आज एक मस्जिद और एक मजार देखने को मिल जाती है वहीं, आप को जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में कुछ ऐसे देश भी हैं जहां मुस्लिम आबादी तो है लेकिन, उनके लिए कोई मस्जिद नहीं है।
जी हां, सुनने में तो ये थोड़ा अजीबो-गरीब जरूर लग सकता है लेकिन सच है। दुनिया के कुल 195 देशों में से दो देश ऐसे भी हैं जहां मुस्लिम आबादी की इबादत के लिए कोई भी मस्जिद ही नहीं है। हैरानी की बात तो ये है कि यहां मस्जिद बनाने की मांग को लेकर कई बार मांग भी उठाई गई, इसके बावजूद सरकार ने यहां मुस्लिमों को मस्जिद बनाने की इजाजत नहीं दी। लिहाजा, यहां रहने वाली मुस्लिम आबादी को अपने-अपने घरों में ही इबादत करनी पड़ती है।
यूरोप में स्थित इन दोनों ही देशों के नाम हैं स्लोवाकिया और इस्तोनिया। आप को जान कर हैरानी होगी ये दोनों ही देश दुनिया के सबसे खुशहाल देशों की लिस्ट में भी शामिल हैं। ये दोनों ही देश यूरोपीय यूनियन के साथ भी हाल-फिलहाल में ही जुड़े हैं।
स्लोवाकिया और इस्तोनिया में कोई भी मस्जिद न होने की एक वजह हालांकि, ये भी कही जा रही है कि वहां की मुस्लिम आबादी कम है। वर्ष 2011 की जनगणता के मुताबिक स्लोवाकिया में मुस्लिमों की संख्या कुल जनसंख्या का महज 0.2 प्रतिशत है। वहीं दूसरी ओर साल 2011 की जनगणना के मुताबिक इस्तोनिया में मुस्लिमों की कुल संख्या महज 1508 थी, यानी इस्तोनिया की कुल जनसंख्या का सिर्फ 0.14 प्रतिशत।
हालांकि, इस बात में कोई दो राय नहीं है कि बीते 11 वर्षों में यहां मुस्लिम आबादी की संख्या में अच्छी-खासी बढ़ोतरी हो चुकी होगी। इसके बावजूद, यहां अभी तक सरकार ने मस्जिद बनाने की इजाजत नहीं दी है। जबकि भारत में तो किसी भी सरकारी जमीन पर कब्जा करके वहां मजार और मस्जिद बना दी जाती है। और इसमें सरकारी तंत्र, नेता और सरकारें खुद भी खुल कर मदद करते हुए संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए खुलेआम देखे जा सकते हैं।
रिपोर्ट्स की मानें तो स्लोवाकिया में मस्जिद की मांग को लेकर साल 2010 में मुस्लिमों ने देश की राजधानी ब्रातिस्लावा में मस्जिद बनाने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने मुस्लिमों की इस मांग को ठुकरा दिया था। इसके बाद भी कई बार मस्जिद बनाने की इजाजत मांगी गई लेकिन सरकार ने इसे लेकर मंजूरी नहीं दी।
अपने देश के नागरिकों की सुरक्षा और शांति को लेकर दोनों ही यूरोपिय देश स्लोवाकिया और इस्तोनिया इतने सजग और सावधान हैं कि वर्ष 2015 में यूरोपी में आए भयंकर मुस्लिम शरणार्थी संकट के दौरान भी करीब 200 ईसाइयों को तो शरण दे दी थी, लेकिन, इन्होंने एक भी मुस्लिम व्यक्ति को शरण देने से साफ इंकार कद दिया था।
हैरानी की बात तो ये है कि, इस फैसले की चैतरफा आलोचना होती रही। लेकिन उस समय की सरकार ने अपने फैसले पर अडिग रहते हुए अपनी सफाई में साफ-साफ कह दिया था कि- ‘यदि आज वे उस मुस्लिम आबादी को शरण दे देते हैं तो कल को वे यहां मस्जिद की मांग भी करने लगेंगे, और इस प्रकार धीरे-धीरे हमारे देश में भी कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती है और हमारा देश भी अशांत होता जायेगा और फिर हमारे सहायता के लिए कोई नहीं आयेगा।
– धर्मवाणी