अजय सिंह चौहान || वर्ष 2019 के पहले तक नोएडा (Noida) के बारे में यही कहा जाता रहा कि यहां जो भी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री आता था वह दूसरी बार सत्ता में कभी भ वापसी नहीं कर पाया। लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी ने अपने प्रथम कार्यकाल के दौरान एक से अधिक बार नोएडा जाकर वर्ष 2019 के चुनावों में उस भ्रम और उस मिथक को न सिर्फ झूठा साबित कर के दिखाया बल्कि वे दोबारा प्रधानमंत्री भी बन गये। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने भी उस मिथक को तोड़ दिया और वे भी दूसरी बार मुख्यमंत्री बन बैठे हैं।
रही बात उन नेताओं की जो नोएडा (Noida) को एक भ्रम के तौर पर लेकर चलते रहे तो उनमें भले ही कितने ही राजनेताओं के नाम हों लेकिन ये वे सब के सब वही लोग हैं जिन्होंने सत्ता मिलने के बाद इस क्षेत्र और यहां की जनता को एक अभिषाप के बहाने कभी अपना मुंह नहीं दिखाया था। लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता में रहकर यहां एक बार या दो बार नहीं बल्कि कई-कई बार दौरे किये और यह संदेश दिया कि “कर्मों का फल क्षेत्र बनेगा नोएडा।”
उत्तर प्रदेश की राजनीति में मोदी और योगी से पहले अपने आप को विशेष तौर पर घोर सैक्युलरवादी विचारधारा और समाजवाद के ठेकेदार मानने वाले मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और मायावती जैसे तमाम राजनेता जब सत्ता मिल जाने के बाद सार्वजनिक मंचों से अभिषाप, अभिषप्त, दकियानुसी विचारधारा, रूढिवादी और ढोंगी जैसे शब्दों से संबोधित करते हुए सनातन प्रेमियों का उपहास उड़ाते थे तो वे स्वयं भी ये बात भूल जाते थे कि उस समय वे स्वयं ही इन शब्दों के जाल में फंस कर नोएडा (Noida) क्षेत्र से दूरी बनाए हुए रहते थे।
आज सनातन के ही मानने वाले मोदी और योगी जैसे जिन राजनेताओं ने इन्हीं अभिषाप, दकियानुसी विचारधारा, रूढिवादी और ढोंगी जैसे शब्दों को भूलाकर उन्हें झूठा और सामाजिक कलंक साबित कर दिया है तो वे इन शब्दों के जाल में फंस कर अपना मजाक नहीं बनवाना चाहते हैं। सच तो ये है कि अभिषाप, अभिषप्त, दकियानुसी विचारधारा, रूढिवादी और ढोंगी जैसे शब्दों से सैक्युलरवादियों को न तो वास्ता रखना चाहिए था और न हीं उनका पालन करना चाहिए था। लेकिन वे स्वयं ही इस बात को नहीं जान पाये कि वे कितने अभिषप्त, दकियानुसी, रूढिवादी और ढोंगी बन कर रह रहे थे।
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आज हमें यहां आश्चर्य नहीं मानना चाहिए कि मोदी और योगी ने ऐसा क्यों और कैसे कर के दिखाया है। सनातन को मानने वाले ये बात जानते हैं कि एक न एक दिन कर्मों का फल सामने आ ही जाता है। और आज यदि मोदी और योगी दोनों ही सत्ता पर दूसरी बार आसिन हैं तो ये उनके अपने ही उन कर्मों का फल है जो उन्होंने देश, प्रदेश और नोएडा (Noida) की भलाई और आम जनमानस के लिए किये हैं।
यहां ये भी सच है कि यदि इनके पहले वाले कोई राजनेता यानी पिछले कोई भी प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री नोएडा (Noida) में आकर अपनी सत्ता को गंवा बैठे थे तो वो उनके अपने उन्हीं कर्मों के फल रहे होंगे जो उन्होंने किये। आज यदि मोदी और योगी दोनों ही सत्ता पर दूसरी बार आसिन हुए हैं तो वे खुद तो जानते ही हैं उनके वोटर भी ये बात जाते हैं कि उन्होंने क्या-क्या किया है और क्यों वे इसके लिए हकदार हैं? कोई और क्यों नहीं? आम जन ये जानता है कि किसको कैसे कर्म फल मिलने चाहिए।
कर्मों के फल, यानी वो कर्म जिसे एक आम आदमी भी जानता है कि “जैसा बोया जाता है वैसा ही फल भी खाने को मिलता है।” कर्मों का फल मात्र एक कहावत ही नहीं अपितु एक ऐसी सच्चाई है जो आज आधुनिक बन कर हमारे सामने है। एक समय था जब नोएडा का अपराधी और आपराध जगत संपूर्ण पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहीत दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में प्रसिद्ध हुआ करता था। लेकिन, आज वह लगभग समाप्ति की ओर है।
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यदि दस-बीस या फिर सौ या चार सौ आपराधियों को संरक्षण देकर उनके दम पर सत्ता में रहने का सपना देखने वाले कोई राजनेता या कोई दल यदि लोकतंत्र की बात करते हैं तो जाहिर है कि आज की जनता उनसे भी आगे की सोचती है और यही आज हमें देखने को मिला है। सभी जानते हैं कि इस बार के चुनावी वायदों में मुफ्त की राजनीतिक विचारधारा रखने वाले तो बहुत दिखे लेकिन, उनके पिछले कर्म भी उनके साथ-साथ चल रहे थे इसलिए हमें उनके उन वायदों में वो दम नहीं देखने को मिला। जबकि एक साधारण से सन्यांसी ने तरह-तरह के वायदों के बजाय अपने दायित्वों और कर्मों के दम पर साबित कर दिया कि नोएडा से जुड़े आपराध और आपराधियों के साथ-साथ अभिषाप, अभिषप्त, दकियानुसी, रूढिवादी और ढोंगी जैसे शब्दों से कैसे मुक्ति पायी जा सकती है।
वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ जी के मुख्यमंत्री बनने से पहले उत्तर प्रदेश के जो भी मुख्यमंत्री रहे हैं उनका ध्यान यहां मात्र इतना ही था कि यहां उद्योग और अन्य व्यवसाय अन्य क्षेत्रों के मुकाबले सबसे अधिक है और आय भी कम या मध्यम नहीं है। ऐसे में यदि यहां अपराध और आपराधियों को रोक दिया गया या कम भी किया गया तो उनकी अपनी पार्टियों का निजी बजट बिगड़ सकता था। यही कारण था कि अपने निजी हितों के कारण नोएडा क्षेत्र को एक प्रकार से अभिषाप के तौर पर देखा जाने लगा और यहां अफवाहें उड़ाई गईं कि यह राज नेताओं के लिए एक अभिषप्त क्षेत्र है।
वर्ष 2022 के मार्च महीने की तारीख 10 को संपूर्ण नोएडा क्षेत्र उस अभिषाप और कलंक से पूरी तरह से मुक्त हो चुका है और अब नोएडावासियों के लिए एक ऐसा अवसर आया है कि वे अब अपने नये राजा का स्वागत इस प्रकार से करें कि भविष्य में उन्हें फिर से उस कलंक को न झेलना पड़े। मोदी और योगी ने अपने कर्मों के माध्यम से यह साबित कर दिया है कि बोया पेड़ बबुल का तो आम कहां से होय।