मेरी माँ कहती है एक स्त्री का सौन्दर्य उसके पति के लिए होता है, फिर मुझे आज तक ये समझ नहीं आयी कि ये स्त्रियाँ अपना नग्न शरीर अपने पति के अलावा किसको और क्यूँ और किस लिए दिखाती हैं?
हमारे धर्म में तो अपने पति परमेश्वर के अलावा गैर पुरुष के लिए प्रेम होना या सोचना भी पाप माना जाता है या अपने पति के अलावा गैर से नजरें मिलाना भी हमारे लिए पाप है।
लड़कियों के अनावश्यक नग्नता वाली पोशाक में घूमने पर तर्क है, इन कपड़ों के पीछे कुछ लड़कियां कहती हैं कि हम क्या पहनेंगे ये हम तय करेंगे, पुरुष नहीं…..। जी बहुत अच्छी बात है, आप ही तय करें, लेकिन कुछ पुरुष भी कहते हैं हम किन लड़कियों का सम्मान या मदद करेंगे ये भी हम तय करेंगे। लेकिन, हम किसी का सम्मान नहीं करेंगे इसका अर्थ ये नहीं कि हम उसका अपमान करेंगे।
फिर कुछ विवेकहीन लड़कियां कहती हैं कि हमें आजादी है अपनी जिन्दगी जीने की, जी बिल्कुल आजादी है, ऐसी आजादी सबको मिले, व्यक्ति को चरस गंजा ड्रग्स ब्राउन शुगर लेने की आजादी हो, मांस खाने की आजादी हो, वैश्यालय जाने और खोलने की आजादी हो, हर तरफ से व्यक्ति को आजादी हो हमें औरतों से क्या समस्या है?
होली उत्सव – कल आज और कल | Holi Festival
लड़कों को संस्कारों का पाठ पढ़ाने वाला कुंठित स्त्री समुदाय क्या इस बात का उत्तर देगी, की क्या भारतीय परम्परा में ये बात शोभा देती है की एक लड़की अपने भाई या पिता के आगे अपने निजी अंगों का प्रदर्शन बेशर्मी से करे?
क्या ये लड़कियां पुरुषों को भाई/पिता की नजर से देखती है? जब ये खुद पुरुषों को भाई/पिता की नजर से नहीं देखती तो फिर खुद किस अधिकार से ये कहती है की ‘हमें माँ/बहन की नजर से देखो?
भारत में तो ऐसा कभी नहीं होता था। सत्य ये है कि अश्लीलता को किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं ठहराया जा सकता। ये कम उम्र के बच्चों को यौन अपराधों की तरफ ले जाने वाली एक नशे की दूकान है। और इसका उत्पादन स्त्री समुदाय करती है।
मष्तिष्क विज्ञान के अनुसार 4 तरह के नशों में एक नशा अश्लीलता भी है। अगर ये नग्नता आधुनिकता का प्रतीक है तो फिर पूरा नग्न होकर स्त्रियां अत्याधुनिकता का परिचय क्यों नहीं देती?
गली-गली और हर मोहल्ले में जिस तरह शराब की दुकान खोल देने पर बच्चों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है उसी तरह अश्लीलता समाज में यौन अपराधो को जन्म देती है।
मेरा मकसद किसी का दिल दुखना नहीं है सभी को अपना जीवन अपने तरीके से जीने का अधिकार है बस तरीका सही होना चाहिए। क्योंकि गलत तरीके से इज्जत और सम्मान का आशा नहीं किया जा सकता।
– सोना जैन