वर्तमान हालातों में ऐसा लगता है कि कोरोना नाम की वैश्विक महामारी नये-नये रूप बदल कर पूरे विश्व में अपना वर्चस्व बनाये रखना चाहती है। अब, जब अभी महामारी से निजात मिलने के कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं तो ऐसे में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का आत्मनिर्भर होना नितांत आवश्यक हो जाता है। आज पूरी दुनिया में कोरोना के नये रूप ओमिक्रोन की चर्चा बहुत जोरों से चल रही है और इससे प्रभावित लोगों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। दुनिया के तमाम देश इसकी चपेट में आ चुके हैं।
भारत में भी कोरोना के नये रूप में ओमिक्रोन का खौफ लगातार बढ़ता जा रहा है। जिस महामारी की दो लहर पहले ही लोग देख एवं झेल चुके हैं तो ऐसे में तीसरी लहर की चर्चा लोगों में भय पैदा कर रही है किन्तु इससे भयभीत होने के बजाय सतर्क रहने की आवश्यकता है। कोरोना से निपटने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से जो प्रोटोकाॅल निर्धारित किये गये हैं, उसका निरंतर पालन करते रहना है, साथ ही अपने परंपरागत तौर-तरीकों पर भी अमल करते
रहना है।
लंबे समय तक कोरोना महामारी की चपेट में रहने के कारण बहुत से लोगों के काम-धंधे भी प्रभावित हुए हैं। जब कमाई कम होती है तो बीमारी का नाम सुनकर लोग और भी डर जाते हैं और लोगों के मन में निरंतर यह भय बरकरार रहता है कि कुछ होने पर इलाज कराने कहां जायेंगे? प्राइवेट अस्पतालों में इलाज इतना महंगा होता है कि वहां सब लोग इलाज नहीं करवा सकते हैं। ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए उम्मीद की किरण सरकारी अस्पताल ही बचते हैं।
सेवा और समर्पण की नायाब मिसाल हैं नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi)q
वर्तमान समय में सरकारी अस्पतालों की क्या स्थिति है, लोगों को किस हद तक इलाज मिल पाता है, यह किसी से छिपा नहीं है। ऐसी स्थिति में यह बेहद आवश्यक हो जाता है कि सरकारी अस्पताल चाहे जिस भी स्तर के हों, उन्हें इतना आत्मनिर्भर बना दिया जाये कि वहां से किसी मरीज को निराश होकर वापस ना आना पड़े।
स्वास्थ्य सेवाओं को सर्वदृष्टि से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बात की जाये तो निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार बहुत ही बेहतरीन कार्य कर रही है। दूसरी लहर में अस्पतालों में जब आॅक्सीजन की कमी के कारण लोगों को दिक्कत होने लगी तो उन्होंने आस्पतालों में आक्सीजन की कमी न होने पाये, इसके लिए युद्ध स्तर पर कार्य करना शुरू कर दिया।
प्रधानमंत्री द्वारा जो प्रयास शुरू किये गये थे, आज उसका असर सर्वत्र देखने को मिल रहा है। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में निरंतर सुधार होता जा रहा है। कुल मिलाकर कहने का आशय यही है कि महामारी के दौर में आम लोगों के जीवन की रक्षा के लिए सरकारी अस्पतालों को आत्मनिर्भर बनाना ही होगा। इसके अतिरिक्त और कोई अन्य विकल्प भी नहीं है।
– जगदम्बा सिंह