प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश लगातार प्रगति कर रहा है। राष्ट्रवाद की धार और तेज हो रही है किन्तु कभी-कभी देखने में आता है कि क्षेत्रीय दलों के नेता अपने निजी स्वार्थों के लिए कुछ भी कहने एवं करने के लिए तैयार हो जाते हैंें।
अभी चंद दिनों पहले आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता एवं जाने-माने कवि कुमार विश्वास ने अविन्द केजरीवाल के बारे में जो कुछ भी कहा, यदि उसमें जरा भी सच्चाई है तो इससे चिंचित होना स्वाभाविक है।
वर्तमान स्थितियों का मूल्यांकन किया जाये तो देश में ऐसे कई दल हैं जो क्षेत्रीय मुद्दों एवं हितों को लेकर चुनाव लड़ते हैं और क्षेत्रीयता के ही आधार पर बात करते हैं। आज देश में बांग्लादेशियों एवं रोहिंग्याओं की तादाद जिस रफ्तार से बढ़ी है, उससे देश की आंतरिक सुरक्षा को काफी खतरा उत्पन्न हो गया है या यूं कहा जा सकता है कि घुसपैठिये देश की सुरक्षा के लिए बहुत बड़ी चुनौती हैं।
मात्र क्षेत्रीय हितों को ही ध्यान में रखकर यदि राष्ट्रवाद को ध्यान में रखते हुए इन घुसपैठियों को रोका गया होता और इनके विरुद्ध कार्रवाई की गई तो ऐसी नौबत नहीं आती। अतः आज आवश्यकता इस बात की है कि राष्ट्रीयता एवं राष्ट्रवाद को और अधिक मजबूत करने का कार्य किया जाये। इससे राष्ट्र और अधिक मजबूत होगा।
– सोनू मिरोठा