राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तमाम प्रकार के उतार-चढ़ावों को देखते एवं उसका सामना करते हुए 2025 में अपनी यात्रा के 100 वर्ष पूरे कर लेगा। निरंतर सक्रिय एवं सम्मानजनक रूप से आगे बढ़ते हुए किसी भी संस्था के लिए 100 वर्ष का काल खंड बहुत मायने रखता है। संघ के बारे में विरोधियों द्वारा समय-समय पर चाहे जितना भी दुष्प्रचार किया गया हो किन्तु आम जनता में विरोधियों का दुष्प्रचार सिरे नहीं चढ़ पाता है। उसका कारण निश्चित रूप से जैसा स्वरूप विरोधी जनता में पेश करना चाहते हैं, वैसा बिल्कुल भी नहीं है। यह बात देश की जनता भी बिना किसी लाग-लपेट के मानती है। आजादी के बाद कई बार संघ पर प्रतिबंध भी लगे किन्तु प्रतिबंधों के बावजूद संघ बार-बार उठ खड़ा हुआ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आद्य सरसंघचालक परम पूज्य डाॅ. केशव राव बलिराम हेडगेवार जी अपने जीवन काल में राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए चल रहे सामाजिक, धार्मिक और राजनैतिक क्षेत्रों के सभी समकालीन संगठनों व आंदोलनों से संबद्ध रहे और अनेक महत्वपूर्ण आंदोलनों का नेतृत्व भी किया। आरएसएस की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वह समाज के तकरीबन सभी क्षेत्रों में काम करता है। सभी क्षेत्रों पर संघ की सक्रिय नजर रहती है। अभी हाल ही में कोरोनाकाल से कुछ राहत मिलने पर 2 वर्ष बाद संघ शिक्षा वर्ग संपन्न हुए। इन शिक्षा वर्गों में 40 वर्ष से कम उम्र के 18,981 व 40 वर्ष से अधिक उम्र के 2, 925 शिक्षार्थियों ने अपनी सहभागिता की। इस वर्ष पूरे देश के प्रथम, द्वितीय व तृतीय वर्ष के कुल 101 वर्गों में सहभागियों की संख्या 21,906 रही। वर्तमान में यदि शाखाओं की बात की जाये तो कुल संख्या 56,824 है।
यदि इन आंकड़ों का विश्लेषण किया जाये तो स्पष्ट होता है कि संघ की तरफ लोगों का आकर्षण और बढ़ा है। निश्चित रूप से यह आकर्षण और अधिक बढ़ता ही जायेगा। अभी हाल ही में खेमी शक्ति मंदिर परिसर में संपन्न हुई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक के पूर्ण होने पर ये सभी आंकड़े जारी किये गये। काॅलेज, यूनिवर्सिटी की परीक्षा के कारण काफी संख्या में युवा शिविरों में शिरकत नहीं कर सके किन्तु उसके बावजूद संघ के शिक्षा शिविरों में लोगों की जो सहभागिता हुई वह अपने आप में बेहद उल्लेखनीय एवं उत्साहवर्धक है। शिक्षा वर्गों में जिस तरह लोगों ने बढ़-चढ़कर सहभागिता निभाई है उससे साबित होता है कि संघ की विचारधारा एवं उसका दायरा निरंतर बढ़ता जा रहा है। देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री एवं रक्षामंत्री समेत तमाम केन्द्रीय मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक संघ की ही पृष्ठभूमि से हैं।
संघ की एक खासियत यह भी है कि उसकी यदि विपक्षियों द्वारा निंदा की जाती है तो वह बहुत अधिक पब्लिक के बीच अपना पक्ष रखने नहीं जाता है। जब बहुत आवश्यकता होती है तभी अपना पक्ष रखने के लिए संघ सामने आता है। हिन्दुस्तान की राजनीति में सेकुलर दलों द्वारा इस्लामिक चरमपंथी संगठनों के बराबर खड़ा करने की बार-बार कोशिश की गई है किन्तु जनता द्वारा ऐसी तुलना को नकार दिया जाता है। संघ के बड़े से बड़े पदों पर आसीन लोग अपने आप ही पद के बजाय दायित्व का एहसास करते हैं और यही एहसास ही संघ की बहुत बड़ी ताकत है। गौरतलब है कि संघ में किसी भी दायित्व के लिए किसी को कोई नियुक्ति पत्र नहीं दिया जाता है, मात्र घोषणा की जाती है। दायित्व का एहसास होने के कारण देश में जब भी कोई प्राकृतिक आपदा- बाढ़, सूखा, भूकंप, तूफान या और कोई आपदा आती है तो संघ बिना किसी प्रचार एवं ताम-झाम के जनता की सेवा में लग जाता है।
आज स्वयं की प्रेरणा से राष्ट्र, समाज, देश, धर्म तथा संस्कृति की सेवा करने वाले व उसकी रक्षा कर उसकी अभिवृद्धि के लिए प्रामाणिकता तथा निःस्वार्थ भाव से कार्य करने वाले स्वयंसेवकों के शुद्ध चरित्र के कारण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से किसी समय वैचारिक मदभेद रखने वाले भी असीम प्रेम करने लगे हैं। राष्ट्र एवं समाज में राष्ट्रीय चरित्र से ओत-प्रोत नागरिकों का निर्माण हो सके, इसके लिए संघ सदैव प्रयासरत रहता है।
वैसे भी देखा जाये तो समाज के स्वाभिमानी, संस्कारित, चरित्रवान, शक्ति संपन्न, विशुद्ध देशभक्ति से ओत-प्रोत, व्यक्तिगत अहंकार से मुक्त व्यक्तियों के ऐसे संगठन जो स्वतंत्रता आंदोलन की रीढ़ होने के साथ ही राष्ट्र व समाज पर आने वाली प्रत्येक विपत्ति का सामना कर सके, इसी भावना एवं कल्पना के साथ संघ का कार्य शुरू हुआ था।
सिर्फ इस बात की कल्पना की जाये कि यदि कोई बच्चा बाल्य काल में ही संघ की शाखा में जाना शुरू करता है और उसे सदैव यह सुनने को मिलता है कि ‘देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें’ या ‘तेरा वैभव अमर रहे मां, हम दिन चार रहें या न’ तो वह बालक युवा होकर देश का कैसा नागरिक बनेगा?
निश्चित रूप से शाखा में जाने वाला बालक देश का श्रेष्ठ नागरिक बनेगा और ऐसे ही श्रेष्ठ नागरिकों का निर्माण संघ अपना दायित्व समझता है। पूरे वर्ष संघ द्वारा जितने भी कार्यक्रमों का आयोजन होता है, वे निश्चित रूप से देश की सभ्यता और संस्कृति को और अधिक गौरवमयी बनाने का काम करते हैं। संघ को जिस प्रकार समाज का सहयोग मिल रहा है, उससे यह साबित होता है कि वर्ष 2024 तक देशभर में एक लाख स्थानों पर शाखाओं को ले जाने का लक्ष्य स्वयंसेवकों द्वारा पूरा कर लिया जायेगा।
वर्तमान समय में यदि संघ के कार्यक्षेत्र की बात की जाये तो शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहां संघ का काम न हो। जल प्रबंधन, कचरा प्रबंधन, पर्यावरण व स्वच्छता, कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक कुरीतियों के निवारण, शिक्षा, उद्योग सहित तकरीबन सभी क्षेत्रों में संघ समाज के सहयोग से कार्य कर रहा है। संघ के सहयोग से भारत निरंतर विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख आदरणीय मोहन भागवत जी का कहना है कि ‘हमें विश्व गुरु भारत के निर्माण के लिए साथ मिलकर चलना होगा। हम लोगों को अपने पूर्वजों की ओर से दिये गये उपदेशों पर चलना और स्मरण करना होगा।’ इस प्रकार यदि देखा जाये तो निःसंदेह यह कहा जा सकता है कि राष्ट्र निर्माण में संघ अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह स्व से निरंतर कर रहा है।
– हिमानी जैन