गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस आकर रुकी। इसके S-6 बोगी में राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या में आयोजित पूर्णाहुति महायज्ञ में भाग लेकर हिंदू अपने घरों को लौट रहे थे। दिन 27 फरवरी और समय सुबह का समय था। गाड़ी में सवार सभी रामभक्त रामधुन गा रहे थे।
गाड़ी गोधरा स्टेशन से मुश्किल से 500 मीटर आगे बढ़ी होगी कि अचानक रुक गई। इससे पहले कि यात्री कुछ समझ पाते, पटरी के दोनों ओर से ‘हरे टिड्डियों’ का झुंड हाथ में तलवार, गुफ्ती आदि लेकर गाड़ी की ओर भागते आने लगे। गाड़ी के अंदर सब डर गये। बाहर के ‘हरे टिड्डियों’ की आवाज स्पष्ट सुनाई दे रही थी- मारो-काटो!
‘हरे टिड्डों’ ने ट्रेन पर हमला कर दिया। गाड़ी के अंदर पेट्रोल उड़ेल दिया गया। और आग लगा दी गई।
गाड़ी के अंदर आग और धुंआ बढ़ता जा रहा था। गाड़ी का गेट खोलकर जो लोग निकलना चाहते थे, बाहर खड़ा ‘टिड्डी दल’ तलवार, डंडा लेकर उन्हें मारने दौड़ पड़ते…। 59 लोग, जिनमें 25 महिलाएं, 19 पुरुष और 15 बच्चे शामिल थे, जिंदा जलाकर मार दिए गये।
पुलिस फोर्स इन्हें बचाने न पहुंचें, इसलिए ‘हरी टिड्डियां’ सड़क घेर कर खड़ी हो गई। और फिर शुरू हुए मरे हुए हिंदुओं को ही बदनाम करने का संगठित अभियान…।
एक एक साजिश की वह परत, जो आज भी हिंदू समाज के सामने वही पैटर्न, वही चेहरे, वही संस्थाएं लेकर खड़ी हैं, इसे जानना हर हिंदू के लिए आवश्यक है ताकि वह भविष्य में कभी किसी चीत्कार का हिस्सा न बन सके।
– sandeep dev