सोमवार (29 अप्रैल, 2024) रात मेरे WhatsApp पर एक मैसेज आया, “Dear Sandeep Deo, I am a French journalist. I just read the book “Hpop” and came across your history and I see that you are also involved for the elections with this new party ekam4sanatan. I would like to know more about how you defend hindutva and indian values through Kapot or indiaspeaksdaily, which seems to be followed quite widely. I am based in Paris but will travel to India for 10 days in delhi. It would be great to have a chance to meet you. Thank you. Doan” यह फेमस और अवार्डेड फ्रेंच जर्नलिस्ट Doan bui थी।
मैं आश्चर्यचकित था कि वर्ल्ड फेमस पत्रकार मेरा साक्षात्कार क्यों करना चाहती है? विकीपीडिया सर्च किया कि ये वही Doan bui है न जिसकी अप्रवासियों पर लिखी एक रिपोर्ट ने तहलका मचा दिया था? मेरी टीम से डॉ चेतन मान जी ने थोड़ा और सर्च कर बताया कि हां यह वही है और यह लेफ्ट विचारधारा से ताल्लुक रखती है! मेरे छोटे भाई Amardeep Deo ने कहा, ‘भाईजी थोड़ा संभल कर!’ मैंने Doan bui को अंग्रेजी में रिप्लाई किया, आपका मेरे कार्यालय में स्वागत है। मैं अभी पंजाब में हूं तो गुरुवार को मिलते हैं। मैं बुधवार सुबह 3.30 बजे दिल्ली पहुंचा।
गुरुवार को वह एकम सनातन भारत दल के कार्यालय में मेरा साक्षात्कार लेने अपने फोटोग्राफर के साथ आई। मेरी अंग्रेजी थोड़ी तंग है, इसलिए मैंने अपने मित्र Kamal Rawat ji को रिक्वेस्ट किया तो वह भी कार्यालय आ गये। इससे आपसी बातचीत के संप्रेषण का लेबल ठीक हो गया। मैंने पूछा कि आपको मेरे में इंटरेस्ट क्यों हुआ? उन्होंने कहा, ‘HPOP’ पुस्तक पढ़ी, जिसमें आपकी बायोग्राफी थी। आपकी पर्सनालिटी को पढ़कर इंटरेस्ट जगा कि यह कौन है जो आज भी मनी के ऊपर मोरल को रखता है। आपने अपने सिद्धांत के लिए इंटरनेशनल पब्लिशर को छोड़कर अपना पब्लिकेशन खड़ा किया, आपने अपने सिद्धांत के लिए अमेजन जैसे बड़े प्लेटफार्म को छोड़कर अपना ई-कॉमर्स प्लेटफार्म खड़ा किया और सबसे इंटरेस्टिंग कि अपने सिद्धांत के लिए नयी पोलिटिकल पार्टी खड़ी कर दी? मैं केवल मुस्कुरा कर रह गया!
उसने सवाल पूछना आरंभ किया। एकदम टू द प्वाइंट सवाल। कोई जलेबी नहीं। चूंकि वह लेफ्ट विचारधारा की है तो मैं प्रिपेयर्ड था। मेरे जीवन, संघर्ष और यात्रा के अलावा उसका अधिकांश सवाल हिंदुओं की बनी अंतरराष्ट्रीय रूप से अल्पसंख्यक विरोधी छवि को लेकर ही था। संघ और भाजपा के कारण हिंदुओं की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो गलत छवी बनी हुई है, ज्यादातर सवाल उसका उसी से था। जैसे गांधी Vs गोडसे, गौरक्षक Vs मुस्लिम, असुरक्षित अल्पसंख्यक, कट्टरपंथी हिंदुत्व की विचारधारा आदि। एक अंतरराष्ट्रीय पत्रकार से बात करते हुए मुझे पता चला कि अधिकांश दक्षिणपंथी अपने बड़बोलेपन में कैसे हिंदू धर्म और देश की गलत छवि पेश कर देते हैं! समाजशास्त्र से ऑनर्स करने और ‘कहानी कम्युनिस्टों की’ लिखने के कारण मैं लेफ्ट की पूरी मन: स्थिति से परिचित हूं, अतः फंसने का सवाल ही नहीं था!
मैंने उसे पहले हिन्दू धर्म के बारे में समझाया, फिर हिंदू धर्म और भाजपा-संघ के हिंदुत्व के बीच अंतर को समझाया, फिर देश में अल्पसंख्यकों को मिल रहे विशेष अधिकार और भारतीय संविधान के बीच के अंतर को बताया, फिर गांधी और गोडसे के पूरे विचारों को रखा और उसे बताया कि मैं हमेशा व्यक्तिव के ऑब्जेक्टिव पक्ष पर फोकस करता हूं न कि सब्जेक्टिव पक्ष पर। इस नजरिए से न तो मेरे लिए कोई पूरी तरह से बुरा होता है और न पूरी तरह से अच्छा! क्या आप मुगलों आदि का इतिहास मिटाना चाहते हैं या नया इतिहास पढ़ाना चाहते हैं? क्या मोदी सरकार यह कर रही है? ऐसे प्रश्नों से भी दो-चार होना पड़ा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोदी सरकार की जो एंटी अल्पसंख्यक और प्रो-हिंदू छवि बनी हुई है, मैंने उसे आंकड़ों और दस्तावेजों से समझाया कि मोदी से अधिक प्रो-मुस्लिम नेता तो भारत में स्वतंत्रता के बाद कोई हुआ ही नहीं है, और भाजपा शासन से अधिक हिंदुओं के मंदिर कभी तोड़े ही नहीं गये हैं!
वह आश्चर्यचकित हुई। उसे मैंने काशी कॉरिडोर में तोड़े गये मंदिरों के फोटो दिखाए और पूछा कि क्या मोदी सरकार के कार्यकाल में किसी मस्जिद के ढहाने की खबर सुनी या पढ़ी है, फिर यह सरकार अल्पसंख्यक विरोधी कैसे हुई? मोदी सरकार की मुस्लिम तुष्टिकरण योजनाएं जब उसे दिखाई तो उसकी आंखें फटी रह गई! उसकी बनी-बनाई काफी धारणाएं टूट रही थी और वह इसे सच्चाई से स्वीकार कर रही थी कि यह सब उसे या कहूं किसी अंतरराष्ट्रीय पत्रकार को नहीं पता है! मैंने कहा, क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय लॉबी और भाजपा-संघ, दोनों पक्षों को सूट करता है, लेकिन इसमें पिसता केवल मासूम हिंदू है, इसीलिए इस पर गहरी पड़ताल किए बगैर एक-दो घटनाओं को आधार बनाकर रिपोर्ट लिख दी जाती है। जैसे मेरे लिए ही HPOP पुस्तक में एक हिंदू अतिवादी की छवि गढ़ दी गई है!
हमने उसे अपने कार्यालय में स्थित मंदिर में राम दरबार को दिखाया। वह उन मूर्तियों को नहीं पहचान सकी। पूछा कौन से गॉड हैं? फिर उसे श्रीराम के व्यक्तित्व से परिचित कराया गया ताकि श्रीराम के नाम पर जो अंतरराष्ट्रीय छवि गढ़ी गई है, वह ध्वस्त हो। उसे पास स्थित शिव मंदिर भी ले जाया गया। वहां उसे मंदिर के साथ बरगद और पीपल के पेड़ की सनातन धर्म में महत्ता को समझाया गया। वहां लगी ‘गाय के लिए पहली रोटी’ बाक्स को दिखाकर बताया गया कि गौ रक्षा सनातन धर्म, मानवता, शांति और पर्यावरण के लिए कितना आवश्यक है। मंदिर दिखाने में हमारे कार्यालय सहायक गिरिजा की बड़ी भूमिका रही।
हमने साथ में दोपहर का भोजन हमारे कार्यालय में ही किया। अतिथि देवो भव: का हमने पालन किया, अब देखते हैं कि वह अपनी रिपोर्ट में वस्तुनिष्ठ पत्रकारिता के मानकों का पालन करती है या हिंदुओं के प्रति अंतरराष्ट्रीय लेफ्ट के मन में जो कुंठा पलती है, उसे जहिर करती है। मैंने कहा है, Doan bui आपसे मिलकर अच्छा लगा। उम्मीद है आप रिपोर्ट मेरे कहे पर ही केंद्रित करेंगी, न कि अंतरराष्ट्रीय फाल्स नरेशन पर। रिपोर्ट छप जाए तो लिंक भेजिएगा! धन्यवाद। उसने बताया, यह रिपोर्ट फ्रांस के Le Nouvel Obs में छपेगी। डेढ़ घंटे तक चले इस साक्षात्कार को मेरी अर्धांगिनी Shweta Deo ने अपने मोबाइल में पूरा सूट किया है। हमने इसे सूट करने का नहीं सोचा था।
एक पत्रकार के नाते मैं पत्रकारों की स्वतंत्रता का सम्मान करता हूं। परंतु पत्नी को तो उसका पति प्रिय है। उनके पति को कोई गलत कोट कर दे तो? तो श्रीमतिजी ने अपने हाथ को कष्ट देते हुए इसे पूरा सूट किया। यह साक्षात्कार बिना कमल रावत जी के पूरा नहीं हो पाता। मेरी तंग अंग्रेजी को उन्होंने बेहतरीन ढंग से संभाल लिया और मेरे विचारों का बहुत ही दक्षता से ट्रांसलेशन किया। धन्यवाद कमल जी। यह साक्षात्कार मेरे भाई अमरदीप, साथी चेतन मान जी, राकेश ओझा जी और रमाकर ठाकुर जी के बिना अधूरा ही रहता। इन सबकी उपस्थिति ने मुझे संबल दिया।
आप सभी का आभार।