मतौर पर यही माना जाता है कि देश की सभी सड़कें सेकुलर हैं और उन पर सभी का आना-जाना होता है। सड़कों का विभाजन किसी धर्म, मजहब, समुदाय, समूह, जाति एवं गोत्र के आधार पर नहीं किया गया है। ऐसे में यदि यह कहा जाये कि मुस्लिम इलाके में हिंदू जाते ही क्यों हैं तो यह बात समझ से परे हो जाती है। इस बात के जवाब में यदि कोई यह कहे कि हिंदू बहुल इलाकों में मुस्लिम जाते ही क्यों हैं तो सामाजिक सद्भाव का सारा सिस्टम ही ध्वस्त हो जायेगा।
रामनवमी एवं हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर पत्थरबाजी की घटनाएं अनेक स्थानों पर देखने एवं सुनने को मिलीं। राजधानी दिल्ली में जहांगीरपुरी, जहां पत्थरबाजी की घटना व्यापक स्तर पर देखने को मिली। शासन-प्रशासन जब इसकी तह में गया तो पता चला कि सेकुलर सड़क पर उपद्रव मचाने में अवैध घुसपैठियों ने भी अपनी भूमिका का निर्वाह किया है।
यह बात अपने आप में पूरी तरह सत्य है कि अवैध घुसपैठियों ने देश की काफी भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। इन अवैध कब्जों को हटाने के लिए जब कभी कार्रवाई की जाती है या कार्रवाई की बात होती है तो सेकुलर लाबी के तमाम लोगों के पेट में मरोड़ होने लगता है। सेकुलर लोगों का मानना है कि हिंदू तो लिबरल होता है तो उसे लिबरल ही बना रहना चाहिए क्योंकि गंगा-जमुनी तहजीब को बचाये रखने की जिम्मेदारी उसी की है।
अब सवाल तो यह उठता है कि किसी मुस्लिम बहुल क्षेत्र की सेकुलर सड़क पर निकल रही शोभा यात्रा में यदि जोर से जय श्रीराम का नारा लग गया या जोर से डीजे बज गया तो वह बहुत बड़ा जुर्म हो गया और यही शोभा यात्राओं पर पत्थरबाजी का आधार बन गया? क्या इसी को सेकुलरिज्म यानी धर्मनिरपेक्षता कहते हैं? क्या इसी आचरण से देश में गंगा-जमुनी तहजीब बचेगी?
राजस्थान के करौली में शोभा यात्रा पर पत्थबाजी की घटना पर वहां की पुलिस ने कहा है कि हिंदू भड़काऊ गाने चला रहे थे। चूंकि, वह इलाका मुस्लिम बहुल है इसलिए हिंसा भड़क गई। क्या इस आधार पर वहां की सड़कों को सेकुलर कहा जा सकता है? कई जगह हिंसा भड़कने पर यह कहा गया कि हिंदू मुस्लिम इलाकों से शोभा यात्रा निकाल रहे थे, इसलिए पत्थरबाजी हो गई।
इस संदर्भ में व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है कि मुस्लिम बहुल इलाकों में जय श्रीराम के नारे नहीं लगा सकते एवं भजन-कीर्तन नहीं गा सकते तो क्या यहां की सड़कों को सेकुलर कहा जा सकता है? ऐसी स्थिति में गंगा-जमुनी तहजीब कैसे पनपेगी? इस परिस्थिति में मेरा सेकुलर लाॅबी से आग्रह है कि अब तक तो वे सेकुलरिज्म की जिस राह पर चल रहे थे, उस पर विचार करें कि वास्तव में सेकुलर शब्द का वास्तविक अर्थ क्या है? क्योंकि देश सेकुलर बना रहे, इसकी जिम्मेदारी सभी की है और सेकुलर लाबी की तो सबसे अधिक है।
– जगदम्बा सिंह