मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में स्थित भगवान शनि देव का एक ऐसा मंदिर (Shani Temple in Indore) है जो दुनियाभर में सबसे अनोखा और सबसे खास माना जाता है। इस मंदिर में स्थापित शनि महाराज की प्रतिमा एक स्वयंभू प्रतिमा है और इस स्वयंभू शनिदेव की प्रतिमा दुनिया में और कहीं भी नहीं है। और जिस स्थान से भगवान शनि देव चमत्कारिक रूप में प्रकट हुए थे उस स्थान पर प्रमाण के तौर पर आज भी एक कुआं बना हुआ है। इस मूर्ति की स्थापना यहां करीब 300 साल हुई थी।
इस प्रतिमा का अभिषेक सरसों के तेल से नहीं होता, बल्कि यहां हर दिन प्रातः काल दूध और जल से शनि महाराज (Shani Temple in Indore) का अभिषेक किया जाता है, इसके अलावा इस प्रतिमा का सिंदूर से भी श्रृंगार किया जाता है। उसके बाद भगवान शनि देव की प्रतिमा को 16 श्रृंगार से सजाया जाता है और फिर पूरे विधि-विधान के साथ आरती की जाती है।
इस मंदिर में स्थापित भगवान शनि देव की प्रतिमा (Shani Temple in Indore) के बारे में मंदिर के पूजारी और स्थानीय लोग बताते हैं कि आज जिस स्थान पर यह मंदिर है ठीक उसी स्थान के सामने लगभग 300 वर्ष पहले करीब 15 से 20 फिट ऊंचा एक टीला हुआ करता था, जिस पर पंडित गोपालदास तिवारी नाम के एक गरीब पंडित जी रहा करते थे।
पंडित गोपालदास तिवारी की दोनों आंखों की रोशनी नहीं थी इसलिए वे सदैव दूसरों पर ही आश्रित रहते थे। इसलिए स्थानीय लोगों ने उनको इस स्थान पर एक कुटिया बना कर दे दी और समय-समय पर उनकी सेवा भी करते रहते थे।
दरअसल, यहां हम जिस चमत्कार की बात कर कर रहे हैं उसके मुताबिक, आज से लगभग 300 वर्ष पहले, जब पंडित गोपालदास तिवारी इस स्थान पर रहा करते थे, तब एक रात भगवान शनिदेव ने उनके सपने में आकर दर्शन दिया और कहा कि- ‘‘मेरी एक प्रतिमा इसी टीले के नीचे दबी हुई है। तुम इस टीले की खुदाई करके उस प्रतिमा को बाहर निकाल दो और पास ही में स्थापित करवा दो।’’
लेकिन, जब पंडित गोपालदास ने उनसे कहा कि- ‘‘मैं तो दृष्टिहीन हूं, इसलिए इस काम को करने में असमर्थ हूं।’’ इसके बाद शनिदेव ने पंडित गोपालदास तिवारी से कहा कि- ‘‘कल सूर्य उदय के साथ ही तुम्हारी दृष्टि भी एक साधारण व्यक्ति की तरह ही हो जायेगी और तुम भी देख सकोगे।‘‘
और अगली सुबह जब सूर्य उदय हुआ तो पंडित गोपालदास तिवारी की आंखें भी उस रौशनी के साथ ही रोशन हो उठीं और वे भी आम लोगों की भांति सब कुछ देख सकते थे। उन्होंने आसपास के लोगों को उस चमत्कारी सपने के बारे में बताया और यह भी बताया कि भगवान शनि देव दे मुझे आदेश दिया है कि उनकी प्रतिमा को इस टीले से बाहर निकाल कर पास में स्थापित करवा दिया जाय। वहां उपस्थित लोगों को विश्वास हो गया कि कल शाम तक तो पंडित गोपालदास तिवारी जी की आंखों की रोशनी नहीं थी लेकिन अब वे सब कुछ देख पा रहे हैं, इसका मतलब उनका सपना सच है।
Shani Temple in Indore : सबसे अलग है इस मंदिर में विराजमान शनिदेव की प्रतिमा
बस फिर क्या? सपने में बताये गये उस टीले का वीधि-विधान से पूजा-पाठ किया गया और उसके बाद पंडित गोपालदास तिवारी जी ने उस स्थान की खुदाई के लिए पहली चोट मार दी। इसके बाद तो स्थानी लोगों ने उस स्थान पर खुदाई शुरू कर दी।
देखते ही देखते वहां एक कुआं बन गया और फिर सपने के सच होने का समय भी आ ही गया, और उस स्थान की खुदाई करने वाले लोग भगवान शनिदेव की उस दिव्य प्रतिमा (Shani Temple in Indore) तक भी पहुंच ही गये। भगवान शनिदेव की उस प्रतिमा को बाहर निकालते ही वहां एक उत्सव का माहौल बन गया। देखते ही देखते वहां उस चमत्कारी प्रतिमा के दर्शन करने के लिए आस-पास के लोगों की भीड़ जमा हो गई।
इसके बाद उसी स्थान के पास में भगवान शनिदेव की इस चमत्कारी प्रतिमा की स्थापना भी करवा दी गई और वहां एक मंदिर भी बनवा दिया गया। तब से लेकर आज तक भगवान शनिदेव की उसी प्रतिमा की पूजा होती आ रही है और यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन गया है।
भगवान शनिदेव (Shani Temple in Indore) की यह प्रतिमा जिस स्थान से खुदाई करके निकाली गई थी बाद में उस स्थान पर एक गहरा कुआं बना दिया गया। और क्योंकि यहां आने वाले श्रद्धालु उस कुएं का भी पूजन और दर्शन करते हैं इसलिए सुरक्षा करणों से वर्तमान में उस कुएं को लोहे की जाली से ढंग दिया गया है।
वर्तमान में अगर हम इंदौर के इस शनि देव मंदिर की प्रसिद्धी की बात करें तो यह मंदिर न सिर्फ इंदौर शहर के लिए बल्कि संपूर्ण देश के उन 6 प्रमुख शनि मंदिरों में या शनि धामों में दूसरे स्थान पर माना जाता है।
भगवान शनिदेव का यह मंदिर (Shani Temple in Indore) इंदौर के बस अड्डे से करीब 4 किमी, और रेलवे स्टेशन से मात्र ढेड़ किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है। जबकि इंदौर के देवी अहिल्याबाई एयरपोर्ट से इसकी दूरी करीब 9 किमी की है।
– प्रीति दिनेश, इंदौर