छोटे पर्दे यानी टेलीविज़न की मनोरंजन से भरपुर दुनिया का बादशाह कहे जाने वाला ‘स्टार प्लस’ (Star Plus) अब तक कई प्रकार के धारावाहिकों के माध्यम से अपने दर्शकों को न सिर्फ बांधे रखने में कामयाब रहा है बल्कि उनका भरपूर मनोरंजन भी करता आ रहा है। धारावाहिकों की इसी कड़ी में ‘स्टार प्लस’ पर ‘कभी कभी इत्तेफाक से’ भी अपने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन कर रहा है।
‘स्टार प्लस’ (Star Plus) के शोज हमेशा से चर्चा में रहे हैं और अब उनका शो ‘कभी कभी इत्तेफाक से’ भी दर्शकों के बीच काफी सुर्खियां बटोर रहा है। ‘कभी कभी इत्तेफाक से’ की कहानी यह पेश करती है कि कैसे एक प्यारा परिवार आपस में फलता फूलता है। यह कहानी निश्चित रूप से दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान का कारण बनी है।
कॉकक्रो एंड शाइका एंटरटेनमेंट और मैजिक मोमेंट्स मोशन पिक्चर्स ने इस दिल को छू लेने वाली प्रस्तुति को पेश किया है। इस शो में मेहुल निसार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जबकि डेलनाज ईरानी, मनन जोशी और येशा रूघानी भी इसमें मुख्य भूमिकाओं में नज़र आ रहे हैं। पेश है अनुभवी अभिनेता मेहुल निसार से हुई ख़ास बातचीत के कुछ प्रमुख अंश :
शो ‘कभी कभी इत्तेफाक से’ में अपने किरदार के बारे में कुछ बताएं?
मैं कुलश्रेष्ठ परिवार के सबसे छोटे भाई, चंचल चाचा का किरदार निभा रहा हूं जो अपने चालीसवें दशक के मध्य में है, लेकिन खुद को युवा मानता है और कुलश्रेष्ठ परिवार की युवा पीढ़ी के साथ हमेशा खुदको जोड़ता है। चंचल एक बहुत ही खुशमिजाज किस्म का व्यक्ति है। वह अनुभव के बहुत करीब है और दोनों चाचा और भतीजे से ज्यादा दोस्त की तरह हैं।
हमें बताएं कि आपने शो में अपने किरदार के लिए कितनी तैयारियां की हैं?
यह शो बहुत अलग है। इसके सभी किरदार बहुत रियल हैं। एक अभिनेता के तौर पर आपने जो सीखा है उसे कई बार आपको छोड़ना पड़ता है। चंचल का किरदार बहुत ही मजेदार और मस्ती भरा है, लेकिन वह इसमें बहुत ज्यादा लाउड भी नहीं है। मैंने अपनी परफॉर्मेंस को ज्यादा से ज्यादा अपने किरदार से जुड़े रहने और इसे संतुलित करने की कोशिश की है।
क्या आपने अपने किरदार के लिए कोई खास प्रेरणा ली है? यदि हां, तो हमें बताएं कि इसने आपको अपने किरदार को चित्रित करने में क्यों और कैसे मदद की है?
जैसा कि मैंने पहले भी बताया कि यह शो एक बहुत ही अच्छा शो है। बासु चटर्जी और हृषिकेश मुखर्जी द्वारा बनाई गई फिल्मों में दर्शकों के पास एक फील-गुड फैक्टर है। इसलिए अपने किरदार की बारीकियों को समझने के लिए मुझे उनकी कुछ फिल्मों को देखना पड़ा। भले ही इसे इत्तेफाक कहें लेकिन चंचल चाचा का किरदार एकदम मुझसे यानी मेहुल से मिलता-जुलता है। मस्ती करना, टांग खींचना (सिर्फ मस्ती के लिए उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं)) यह सब कलाएं मेहुल की हैं। इसलिए मैंने अपने बहुत से गुणों को लेकर चंचल चाचा की विशेषताओं में शामिल किया है।
इस उम्र में इतनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए कैसा लगता है?
मैं वास्तव में खुद को भाग्यशाली और धन्य महसूस करता हूं कि मुझे इस किरदार को निभाने का मौका मिला है। चंचल चाचा ‘कभी कभी इत्तेफाक से’ का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि मेकर्स, प्रोडक्शन हाउस शइका और कॉकरो एंटरटेनमेंट ने इस किरदार को निभाने के लिए मेरी क्षमताओं पर भरोसा किया है।
‘कभी कभी इत्तेफाक से’ में गोलू चाचा भूमिका से आप क्या प्रदर्शित करना चाहते हैं?
हमारे जीवन में ऐसे लोग होते हैं जिनके बारे में सोचते ही सभी के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और मैं चंचल चाचा का किरदार निभाकर लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाना चाहता हूं।
‘कभी कभी इत्तेफाक से’ के सेट पर अन्य सह-कलाकारों (येशा, मनन और डेलनाज) के साथ अपने बॉन्ड को लेकर कुछ बताएं?
मनन के साथ, तो मैं प्रोमो शूट के पहले दिन से घुलमिल गया। ऐसा होने की मुझे खुशी है क्योंकि मेरे ज्यादातर सीन उनके साथ हैं। येशा भी बहुत प्यारी लड़की है और हमें साथ में शूटिंग करने में बहुत मजा आता है। संयोग से, मैं और मनन एक ही मातृभाषा साझा करते हैं और येशा भी गुज्जू हैं साथ ही डेलनाज पारसी हैं। तो हम सभी के पास यह ख़ास गुज्जू कनेक्शन है। मैं डेलनाज को लंबे समय से जानता हूं क्योंकि हमारे कई कॉमन फ्रेंड्स हैं, लेकिन हमने कभी साथ काम नहीं किया था। सेट पर मैं और डेलनाज एक साथ कई रील बनाते हैं और सभी मिलकर खूब मस्ती करते हैं।
एक अभिनेता के रूप में ऐसी क्या चीज है जो आपका दिन बना देती है?
मुझे लगता है कि अगर आप किसी ईमानदार अभिनेता से पूछेंगे तो उसका जवाब वही होगा। आपके निर्देशक और दर्शकों के लिए एक शानदार प्रदर्शन और अच्छी तरह से लिखा गया दृश्य, जिसे हर अभिनेता करना चाहता है।
साल 2022 के लिए आपका एजेंडा क्या है?
मेरा कोई ऐसा एजेंडा नहीं है। मैं हर दिन का बाहें खोलकर स्वागत करता हूँ।
इस कठिन समय में आप खुद को सकारात्मक और प्रेरित कैसे रखते हैं?
जैसा कि मैंने पहले भी कहा कि इस शहर में जीवित रहने के लिए आपको एक बहुत मजबूत समर्थन प्रणाली की आवश्यकता है। इसलिए अपने जीवन से सभी नकारात्मक लोगों और नकारात्मकता को दूर रखने की कोशिश करें। शांत रहें, उन लोगों के आसपास रहें जिन्हें आप प्यार करते हैं और जो आपसे प्यार करते हैं। अपने खाली समय में कुछ क्रिएटिव करने की कोशिश करें।
अपने डेली रूटीन और निजी जीवन की दिनचर्या के बारे में कुछ बताएं?
मैं जल्दी उठने वाला व्यक्ति हूं। फिर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं कितने बजे रात को सोता हूं, मैं सुबह 6:30 बजे उठ जाता हूं। मैं एक संपूर्ण परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर रहने वाला व्यक्ति हूँ। अगर मैं अभिनेता नहीं होता तो मैं शेफ जरूर होता। मुझे खाना पकाना बहुत पसंद है। लॉकडाउन के दौरान, मैंने अपनी कुकिंग रेसिपी को यूट्यूब पर डालना शुरू किया। और मेरी सामान्य दिनचर्या है, सब्जी की खरीदारी पर जाना, कुकरी शो देखना, विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का स्वाद लेने के लिए पूरे मुंबई में घूमना। मुझे स्ट्रीट फूड बहुत पसंद है। मुझे दोस्तों के साथ रहना और उनके लिए खाना बनाना पसंद है। इसलिए अगर मैं शूटिंग नहीं कर रहा हूं, तो मेरी दिनचर्या में खाने से जुड़ा कुछ न कुछ जरूर होता है।
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आप अपने काम और निजी जीवन में संतुलन कैसे लाते हैं?
सच कहूं तो अभिनेता बहुत अप्रत्याशित जीवन जीते हैं। काम है तो तुम रोज शूटिंग कर रहे हो, काम नहीं है तो तुम घर पर समय बिता रहे हो। इसलिए जब मैं काम नहीं कर रहा होता हूं तो पूरा समय अपने परिवार के साथ बिताता हूं। साथ ही, इस बीच में एक बहुत ही समझदार जीवनसाथी का होना बहुत ज़रूरी है जो एक अभिनेता की जीवन शैली के अभ्यस्त हो।
अभिनय के प्रति आपके जुनून को बढ़ाने वाली वो एक चीज क्या है?
जैसा कि मैंने पहले ही कहा है कि अभिनय एक ऐसी प्रक्रिया है जहां आप हमेशा कुछ नया करते हैं। तथ्य यह है कि आप अपने किरदार के द्वारा उसके लिए लिखी गई पंक्तियों, उसकी रचना और उनकी कल्पनाओं को एक चेहरा देते हैं। यह भी सच है कि हर दिन जब आप जागते हैं और काम पर जाते हैं, तो आप जानते हैं कि आप कुछ नया, रचनात्मक और अपने लिए संतोषजनक करने जा रहे हैं जो अभिनय को लेकर आपके जुनून को बरकरार रखता है।
आपने अभिनय को एक पेशे के रूप में क्यों अपनाया, क्या यह हमेशा आपका सपना था?
मेरा बचपन से ही नाटक की ओर रुझान रहा है। मैं स्कूल के नाटकों में हिस्सा लेता था। मेरे दिल को हमेशा से यह पता था कि मैं एक अभिनेता बनना चाहता हूं, जिसके बाद मैंने उसपर जमकर मेहनत की। मुझे अपना पहला शो हिप हिप हुर्रे 1998 में मिला। भगवान दयालु हैं फिर मुझे पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा।
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