Skip to content
6 July 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • कला-संस्कृति
  • हिन्दू राष्ट्र

ब्रह्मांड का उल्लेख केवल हिंदू धर्म में ही क्यों मिलता है? | Universe in Hinduism

admin 17 February 2021
albert einstein
Spread the love

एक आम आदमी के मन में शायद ही कभी ऐसा खयाल आया होगा कि केवल हिंदू धर्म में ही ब्रह्मांड का उल्लेख क्यों मिलता है? आखिर ऐसा क्या कारण है कि केवल हिंदू धर्म ही ब्रह्मांड के रहस्यों और उसकी उस विशाल समय सीमा के बारे में जानता है। जबकि सच तो ये है कि उसी ब्रह्मांड में हमारी पृथ्वी मात्रा धूल के एक कण के बराबर ही है।

हिंदू धर्म के अलावा दुनिया की कोई भी प्राचीन सभ्यता या फिर संस्कृति ही क्यों न हो, आज वे सब नष्ट हो चुकी हैं। लेकिन मात्र हिंदू धर्म ही एक ऐसा धर्म बचा है जो इस पृथ्वी की सबसे प्राचीन या सनातन सभ्यता और संस्कृति के तौ पर अब तक भी जीवित है, और ना सिर्फ जीवित है बल्कि, केवल हिंदू ही है जिसने अभी तक अपने उस ज्ञान को बचा कर रखा हुआ है जो इस दुनिया को बताता है कि अब भी संसार की सभी संभावनाएं भारत में ही उत्पन्न हुई हैं और आगे भी जारी रहेंगी।

ये सच है कि भारत में अब भी सैकड़ों-हजारोंकी संख्या में ऐसे मूल्यवान प्राचीन ग्रंथ मौजूद हैं। जबकि बावजूद इसके कि भारत के मध्यकालीन इतिहास में उन लाखों लोगों को केवल इस आधार पर, और मात्र इस बात के लिए कुछ आक्रमणकारियों द्वारा जला दिया गया था या नष्ट करने की कोशिश की गई थी कि अब से, केवल और केवल एक ही पुस्तक यानी की एक ही धर्मगं्रथ की आवश्यकता है और अब से सभी के लिए वही मान्य होगा।

हालांकि, आज भी उनकी वही एक पुस्तक वाली मानसिकता और कुकृत्य जारी हैं लेकिन, वे कम से कम भारत में तो न पहले सफल हो पाये थे और ना ही आगे कभी ऐसा होने वाला है।

उन विदेशी आक्रमणकारियों के द्वारा भारत में कई वर्षों तक लगातार इतने विभत्स तरीकों से नरसंहार करने के बावजूद आज भी भारत में अलग-अलग प्रकार के सैकड़ों-हजारों ग्रंथों को किसी न किसी प्रकार से बचा लिया गया और वे आज भी मौजूद हैं।

हिंदू धर्म के उन्हीं ग्रंथों में न सिर्फ सूर्य के सिद्धान्त विषय पर, बल्कि ब्रह्मांड के तमाम रहस्यों के बारे में तथ्यात्मक रूप से ऐसी कई प्रमुख पुस्तकें उपलब्ध हैं जो कम से कम 10,000 साल पहले रची जा चुकी थीं। क्योंकि प्राचीन भारतीय ये बात अच्छी तरह से जानते थे कि पृथ्वी गोल है और सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है।

प्राचीन भारतीयों का ये ज्ञान वास्तव में प्रेरित था उस ‘ईश्वर शक्ति‘ से जो आज भी विद्यमान है। वे लोग ये भी जानते थे कि सूर्य और चंद्रमा के बीच की दूरी कितनी है, वे ये बात अच्छी तरह से जानते थे कि दूरी से संबंधित व्यास का 108 गुना है। तभी तो सूर्य और चंद्रमा, पृथ्वी से एक ही आकार में दिखाई देते हैं। आज के पश्चिमी विज्ञान ने हमारे उन्हीं प्राचीन भारतीयों के उस ज्ञान के आधार पर अपने-अपने तरीकों से कई सारी खोज की हैं।

भारतीय धर्मग्रंथों और पुराणों में ऐसी कई प्रकार की जानकारियां मौजूद हैं जो आज भी विज्ञान के रहस्य बनी हुई हैं।

हिंदू धर्म के पुराणों का सीधा-सा अर्थ है पुराना, यानी कि इतिहास। और इतिहास की उसी परंपरा के अनुसार आज से करीब 5,000 साल पहले महर्षि वेद व्यास द्वारा लिखा गया ‘महाभारत’ भी एक प्रकार का पुराण ही है।

रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथों में न सिर्फ भारत के धर्म और अध्यात्म के बारे में बल्कि इसमें वंश, जाति, लोकतंत्र और भारत की भौगोलिक स्थिति और अलग-अलग प्रकार के युद्धों और युद्धकलाओं के बारे में विस्तार से लिखा गया है।

हालांकि, वामपंथी इतिहासकार और कुछ विदेशी लोग, रामायण और महाभारत को केवल और केवल एक मिथक के रूप में ही मानते हैं। जबकि सच तो ये है कि रामायण और महाभारत या इसके जैसे अन्य अनेकों दूसरे गं्रथ और पुराण हमारे लिए ना सिर्फ ज्ञान का खजाना हैं बल्कि हिंदू धर्म का पारदर्शी और स्पष्ट इतिहास भी है।

हमारे पुराण, ब्रह्मांड के निर्माण और इसके विस्तार के बारे में भी बात करते हैं और हमारी संस्कृति की झलक भी दिखाते हैं। हमारे पुराण ‘बिग बैंग‘ के सिद्धांत को भी बताते हैं।

पुराणों से ये बात स्पष्ट होती है कि हमारे प्राचीन भारतीय न सिर्फ इस पृथ्वी को बल्कि समुचित ब्रह्मांड को ही अपना घर मानते थे। बल्कि श्रीमद्भागवत महापुराण में तो यहां तक ​​भी दावा किया गया है कि ‘ब्रह्मांड मात्र एक या दो, नहीं बल्कि इनकी संख्या तो असंख्य’ है।

अब अगर हम हमारे पुराणों की तुलना विदेशी धर्मों से या किसी भी पश्चिमी धर्म से करें, तो उनमें तो ब्रह्मांड के निर्माण के बारे में, यानी की ब्रह्मांड की रचना के बारे में ना सही लेकिन, मात्र पृथ्वी की ही बात करें तो उनमें तो पृथ्वी को मात्र 6,000 साल पुरानी ही बताई गई है।

यानी किसी भी विदेशी धर्म के अनुसार पृथ्वी को बने हुए अभी सिर्फ और सिर्फ 6,000 साल ही हुए हैं। इससे भी बड़ी बात तो ये है कि इन विदेशी धर्मों में से या इन पश्चिमी धर्मों में से किसी ने भी इस अल्प ज्ञान के बारे में एक दूसरे को चुनौति नहीं दी है।

शायद ऐसा इसीलिए है क्योंकि ये दोनों ही धर्म इस पृथ्वी से परे नहीं देखते थे तो भला इस विषय पर बात क्या करेंगे? जबकि सनातन धर्म यानी हिंदू धर्म न सिर्फ संपूर्ण पृथ्वी की बात करता है बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड के रहस्यों की भी बात करता है।

जबकि, अन्य विदेशी धमों में से एक धर्म तो आज तक भी यही मानता है कि पृथ्वी समतल है और अपनी जगह पर स्थिर है। और तो और मात्र 400 साल पहले तक भी सूर्य, पृथ्वी पर से होकर जाता है।

गिओर्डानो ब्रूनो नाम के एक इटैलियन दार्शनिक को सन 1600 में, यानी आज से करीब 400 साल पहले, सिर्फ इसीलिए जलाकर मार दिया था क्योंकि उसने इस सिद्धांत को समझ लिया था कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है, ना कि पृथ्वी अपनी जगह पर स्थिर है। और गिओर्डानो ब्रूनो का यही सिद्धांत इटैलियंस को रास नहीं आ रहा था।

अब आप कल्पना कीजिए कि ये बात आज से मात्र 400 साल पहले की ही है जब यूरोप का विज्ञान ये बात तक भी नहीं जान पाया था कि पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है। जबकि भारत का विज्ञान आज से दस हजार साल पहले ही ये बात लिख चुका था कि पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाती है। और तो और, एक धर्म तो ऐसा भी है जो आज तक भी यही मानता है कि पृथ्वी को अपनी जगह पर स्थिर करने के लिए ही इसके ऊपर कई सारे पहाड़ों को सिर्फ इसलिए रखा गया है ताकि इसका संतुलन बना रहे।

यानी कुल मिलाकर यहां यही कहा जा सकता है कि हिंदू धर्म के अलावा इस पृथ्वी का कोई भी अन्य धर्म ये बात नहीं जानता था कि पृथ्वी ही सूर्य के चक्कर लगाती है।

हमारे इस ब्रह्मांड की विशालता के बारे में पश्चिम के धर्मों में से कोई भी स्पष्ट रूप से अपने विचार अब तक भी नहीं बता पाया है। याने इसका कारण तो एक दम साफ है कि उनके पास इसके बारे में कोई जानकारी थी ही नहीं।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि पिछली कुछ शताब्दियों में या पिछले कुछ वर्षों के दौरान विज्ञान की अचानक और जबरदस्त तरीके से हुई प्रगति हुई है और उसमें भारतीय ज्ञान और विज्ञान ही प्रेरणा का माध्यम रहा है। तभी तो कुछ पश्चिमी वैज्ञानिकों नेखुद ही इस बात को स्वीकार किया है।

आइंस्टीन ने तो हिंदू धर्म को लेकर यहां तक कहा था कि ‘हम पर भारतीयों का बहुत बड़ा उपकार है।’ मार्क ट्वेन ने तो यहां तक कहा था कि- ‘मनुष्य जाति के इतिहास में हमारे लिए सबसे मूल्यवान और सबसे रचनात्मक सामग्री सिर्फ और सिर्फ भारत में ही उपलब्ध है।’

इस सब के अलावा, हाइजेनबर्ग, ओपेनहाइमर और टेस्ला जैसे और भी कई प्रसिद्ध वैज्ञानिकों ने भारत के उस प्राचीन ज्ञान-विज्ञान का अध्ययन किया था।

– मारिया विर्थ (जर्मन मूल की लेखिका) के लेख का हिंदी अनुवाद 

About The Author

admin

See author's posts

5,046

Related

Continue Reading

Previous: बार-बार साड़ियां बदलने को मजबूर क्यों हैं बाॅलीवुड?
Next: हमारी आंतरिक शक्तियों का केन्द्र हैं दस महाविद्याएं | 10 Mahavidhya

Related Stories

What does Manu Smriti say about the names of girls
  • कला-संस्कृति
  • विशेष

कन्या के नामकरण को लेकर मनुस्मृति क्या कहती है?

admin 9 May 2025
ham vah hain jinakee pahachaan gaatr (shareer) se nahin apitu gotr (gorakshaavrat) se hai
  • विशेष
  • हिन्दू राष्ट्र

कोई राजनीतिक दल गाय के पक्ष में नहीं, अब ये स्पष्ट हो गया है 

admin 16 April 2025
Jiroti Art is a Holy wall painting of Nimad area in Madhya Pradesh 3
  • कला-संस्कृति
  • विशेष

जिरोती चित्रकला: निमाड़ की सांस्कृतिक धरोहर

admin 22 March 2025

Trending News

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास Natural Calamities 1

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

28 May 2025
मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है? 2

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

27 May 2025
आसान है इस षडयंत्र को समझना Teasing to Girl 3

आसान है इस षडयंत्र को समझना

27 May 2025
नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह Nave Word Medal 4

नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह

26 May 2025
युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है? war-and-environment-in-hindi 5

युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

23 May 2025

Total Visitor

078334
Total views : 142947

Recent Posts

  • वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास
  • मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?
  • आसान है इस षडयंत्र को समझना
  • नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह
  • युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved