हरस! आम हिन्दुओं के मन में भी ये आक्रोश फूटना ही चाहिए – और हर हिंदू को चिल्लाना चाहिए कि हमारे मंदिरों से हाथ हटाओ!
ये सिर्फ मंदिरों की बात नहीं है। हिंदू गुरुकुलों और संस्थाओं पर भी सरकारी दबाव है। हिंदू धर्म की शिक्षा पर रोक, लेकिन अन्य धर्मों को फ्री पास। क्या हिंदू इतने पिछड़े हैं कि उन्हें उन नेताओं से सीखना पड़े जो स्वयं भी नहीं जानते कि कैसे पूजा करें, कैसे त्योहार मनाएं? नहीं!
सब जानते हैं कि सनातन धर्म हजारों, लाखों ही नहीं बल्कि करोड़ों सालों से जीवित है, बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के। लेकिन आज, कांग्रेस और भाजपा दोनों ही इसे अपना राजनीतिक हथियार बना रही हैं। और जैसे ही चुनाव आते हैं, तो हिंदू वोट बैंक बन जाते हैं, लेकिन असल में हिंदू अधिकार छीने जा रहे हैं। ये धोखा है, विश्वासघात है! अगर मुसलमानों और ईसाइयों को अपनी धार्मिक स्वतंत्रता मिल सकती है, तो हिंदुओं को क्यों नहीं? क्या हम दूसरे दर्जे के नागरिक हैं?
समय आ गया है कि हिंदू जागें! मंदिरों को सरकारी चंगुल से मुक्त कराएं, अपने धर्म की रक्षा खुद करें।
कांग्रेस-भाजपा सहित सभी राजनीतिक दल, सुन लो – तुम्हारी ये दोहरी नीति अब नहीं चलेगी।
हिंदू समाज एकजुट हो, आवाज उठाए, और इस अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़े। ये सिर्फ गुस्सा नहीं, ये क्रांति की शुरुआत है!
“जय सनातन”
साभार – स्वामी त्रिभुवन दास जी की वाल से