कोई खा-खाकर परेशान हो और कोई खाने बिना मरने की स्थिति तक पहुंच जाये, इस स्थिति से अब राष्ट्र एवं समाज को निकलने की आवश्यकता है किन्तु एक बात का ध्यान रखने की आवश्यकता है कि सभी को विकास के अवसर समान रूप से मिलें।
अपने देश में बार-बार इस बात की चर्चा होती रहती है कि वास्तव में यदि आरक्षण की आवश्यकता है तो उसका आधार आर्थिक होना चाहिए। अव्वल तो यह है कि आरक्षण होना ही नहीं चाहिए किन्तु एक बात की विशेष रूप से ध्यान रखने की आवश्यकता है कि संसाधनों के अभाव में किसी का विकास रुक न जाये। कुल मिलाकर कहने का आशय यह है कि प्रतिभा का सम्मान हो, इस दिशा में अब कदम बढ़ाने की आवश्यकता है।
आज समाज में ऐसी स्थिति उत्पन्न होती जा रही है कि इलाज के अभाव में तमाम लोग असमय काल के गाल में समाते जा रहे हैं। कारणों पर यदि विचार किया जाये तो स्पष्ट रूप से देखने में आता है कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं इतनी अच्छी नहीं हैं कि सभी को उचित समय पर उचित इलाज मिल पाये, दूसरी तरफ निजी स्वास्थ्य सेवाएं इतनी महंगी हैं कि वहां इलाज करवा पाने में मात्र कुछ ही लोग समर्थ हैं।
आज में आवश्यकता इस बात की है कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का विकास युद्ध स्तर पर किया जाये जिससे सामान्य से सामान्य व्यक्ति को समय से इलाज मिल सके अन्यथा लोग इलाज के अभाव में मरने के लिए विवश होंगे।
– सोनू मिरोठा