Skip to content
26 August 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • कला-संस्कृति

होली उत्सव – कल आज और कल | Holi Festival

admin 5 December 2021
HILI
Spread the love

भारत के अत्यंत प्राचीन पर्वों में से एक होली को ‘होलिका’ या ‘होलाका’ के नाम से भी मनाया जाता था। लेकिन अब समय के साथ-साथ इसका ऊच्चारण ‘होली’ ही चलन में है। वसंत की ऋतु में हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने के कारण इसे वसंतोत्सव और काम-महोत्सव भी कहा जाने लगा, लेकिन यह भी उतना प्रचलित नहीं है जितना की होली शब्द है।

साहित्यकारों और इतिहासकारों का मानना है कि आर्यों में भी इस पर्व का प्रचलन था लेकिन अधिकतर यह पूर्वी भारत में ही मनाया जाता था। इस पर्व का वर्णन अनेक पुरातन धार्मिक पुस्तकों में मिलता है। इनमें प्रमुख हैं, कथा गाह्र्य-सूत्र और जैमिनी के पूर्व मीमांसा-सूत्र, भविष्य पुराण और नारद पुराण जैसे पुराणों की प्राचीन हस्तलिपियों और ग्रंथों में भी होली पर्व के कई विशेष उल्लेख हैं। विंध्य क्षेत्र के रामगढ़ स्थान पर स्थित ईसा से 300 वर्ष पुराने एक अभिलेख में भी इसका उल्लेख किया गया है। इसके अलावा संस्कृत साहित्य में वसन्त ऋतु और वसन्तोत्सव अनेक कवियों के प्रिय विषय रहे हैं।

बात यदि मध्यकालीन भारतीय मंदिरों में बने भित्तिचित्रों और आकृतियों की करें तो उनमें भी होली के सजीव चित्र देखे जा सकते हैं। होली से संबंधित प्राचीन भित्तिचित्रों, चित्रों और मंदिरों की दीवारों पर इसके अनेकों चित्र मिलते हैं।

मेवाड़ के एक कलाकार द्वारा बनाई गई 17वीं शताब्दी की एक कलाकृति में महाराणा को अपने दरबारियों के साथ चित्रित किया गया है। इसमें शासक कुछ लोगों को उपहार दे रहे हैं, नृत्यांगना नृत्य कर रही है और इस सबके मध्य रंग का एक कुंड भी रखा हुआ है। इसी तरह बूंदी से प्राप्त एक लघुचित्र में राजा को हाथीदाँत के सिंहासन पर बैठा दिखाया गया है, जबकि कुछ महिलाएं उस राजा के गालों पर गुलाल मल रही हैं।
होली जिस प्रकार से अनेकों रंगों का एक त्योहार है उसी प्रकार से इसको मनाने की प्राचीन परंपराएं भी और उनके स्वरूप और उद्देश्य भी अनेक माने गए हैं। माना जाता है कि प्राचीन काल में यह उत्सव विवाहित महिलाओं द्वारा परिवार की सुख समृद्धि के लिए मनाया जाता था और पूर्ण चंद्र की पूजा करने की परंपरा थी।

क्या गलत होगा अगर भारत हिंदू राष्ट्र बनता है तो? | India Hindu Nation

वैदिक काल में इस पर्व को नवात्रैष्टि यज्ञ कहा जाता था। माना जाता है कि उस समय खेत के अधपके अन्न को यज्ञ में दान करके प्रसाद लेने का विधान समाज में व्याप्त था। कई क्षेत्रिय भाषाओं और बोलियों में अन्न को होला कहा जाता है, इसीलिए इस उत्सव का नाम होलिकोत्सव पड़ा है।
भारतीय ज्योतिष पंचाग के अनुसार चैत्र शुदी प्रतिपदा के दिन से ही नववर्ष का भी आरंभ माना जाता है। और इस उत्सव के बाद ही चैत्र महीने का भी आरंभ होता है। इसीलिए यह पर्व नवसंवत का आरंभ और वसंत के आगमन का प्रतीक भी माना गया है। इसके अलावा इसे मन्वादितिथि भी कहा जाता है क्योंकि इसी दिन प्रथम पुरुष मनु का जन्म हुआ था।

प्राचीन काल के संस्कृत साहित्य में होली के अनेक रूपों और स्वरूपों का विस्तार से वर्णन मिलता है। अगर हम श्रीमद्भागवत महापुराण की बात करें तो इसमें होली को रसों का समूह रास कह कर भी संबोधित किया गया है। अन्य रचनाओं की बात करें तो रत्नावली और हर्ष की प्रियदर्शिका तथा कालिदास की कुमारसंभवम् जैसी रचनाओं में ‘रंग उत्सव’ का वर्णन है।

कालिदास ने भी अपनी एक रचना ऋतुसंहार में ‘वसन्तोत्सव‘ को विशेष रूप से स्थान दिया है। माघ और भारवि जैसे अन्य कई संस्कृत कवियों ने भी इस उत्सव को ‘वसन्तोत्सव‘ बताया है। चंद बरदाई द्वारा रचित हिंदी के पहले महाकाव्य पृथ्वीराज रासो में भी होली का विशेष वर्णन मिलता है। इसके अलावा अन्य अनेकों साहित्यकारों और कवियों ने अपनी रचनाओं में होली और फाल्गुन माह को महत्व दिया है।

‘वसन्तोत्सव‘ विषय के माध्यम से जहां अनेकों कवियों और साहित्यकारों ने जहाँ एक ओर अपने-अपने काल्पनिक नायक और नायिका के बीच खेली गई प्रेम की होली वर्णन किया है, वहीं राधा और कृष्ण के बीच खेली गई प्रेम और छेड़छाड़ से भरी होली के माध्यम से सगुण, साकार, भक्तिमय, प्रेम, और निर्गुण तथा निराकार भक्तिमय प्रेम का भी प्रस्तुतिकरण किया है।

– ज्योति सोलंकी, इंदौर

About The Author

admin

See author's posts

1,277

Like this:

Like Loading...

Related

Continue Reading

Previous: कोई भी नहीं जानता कि एक रहस्यमयी लौह स्तंभ दिल्ली में कैसे आया!
Next: श्री दुर्गा चालीसा: नमो नमो दुर्गे सुख करनी…

Related Stories

Khushi Mukherjee Social Media star
  • कला-संस्कृति
  • मीडिया
  • विशेष
  • सोशल मीडिया

पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें

admin 11 August 2025
What does Manu Smriti say about the names of girls
  • कला-संस्कृति
  • विशेष

कन्या के नामकरण को लेकर मनुस्मृति क्या कहती है?

admin 9 May 2025
Jiroti Art is a Holy wall painting of Nimad area in Madhya Pradesh 3
  • कला-संस्कृति
  • विशेष

जिरोती चित्रकला: निमाड़ की सांस्कृतिक धरोहर

admin 22 March 2025

Trending News

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व marigold Vedic mythological evidence and importance in Hindi 4 1
  • कृषि जगत
  • पर्यावरण
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व

20 August 2025
Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व brinjal farming and facts in hindi 2
  • कृषि जगत
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व

17 August 2025
भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम Queen Sanyogita's mother name & King Prithviraj Chauhan 3
  • इतिहास
  • भाषा-साहित्य
  • विशेष

भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम

11 August 2025
पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें Khushi Mukherjee Social Media star 4
  • कला-संस्कृति
  • मीडिया
  • विशेष
  • सोशल मीडिया

पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें

11 August 2025
दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार BJP Mandal Ar 5
  • राजनीतिक दल
  • विशेष

दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार

2 August 2025

Total Visitor

081197
Total views : 147934

Recent Posts

  • Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व
  • Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व
  • भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम
  • पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें
  • दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved 

%d