देश और हमारी सेना के लिए 8 दिसंबर 2021 का दिन इतिहास में अब एक काले अध्याय के रूप में पढ़ा जाएगा। वजह, हादसे में मारे गए देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत उनकी पत्नी और स्टाफ का हेलीकाप्ट हादसे में मारा जाना है। तमिलनाडु के कुन्नुर इलाके से सुबह-सुबह यह बुरी खबर आई।
क्रेश हुए हेलीकाप्टर में इंडियन आर्मी का चेहरा बन चुके विपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत कुल 14 लोग सवार थे, जिनमें से 13 लोगों की मौत हो गई। हादसे में गु्रप कैप्टन वरूण सिंह बच गए हैं, जिनका इलाज चल रहा है। हादसे की खबर आते ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई, देश के दर्जनों सरकारी कामकाज रोक दिए गए।
सूत्रों की मानें तो जिस हेलीकाप्टर में सीडीएस बिपिन रावत सवार थे,वह डबल इंजन वाला हेलीकाप्टर था, जिसके क्रेश होने के कम ही चांस होते हैं। वीवीआईपी मूवमेंट्स के लिए खास तौर से इस हेलीकाप्टर को ही इस्तेमाल किया जाता है। ताकि अगर किसी कारण से हेलीकाप्टर के एक इंजन में खराबी आ जाए तो दूसरे इंजन को चालू कर हेलीकाप्टर को हादसे से बचाया जा सके। लेकिन ऐसा हुआ नहीं?
जिस इलाके में यह हादसा हुआ है, वह तमिलनाडु का बेहद जंगली पहाड़ी इलाका है, याद है न यह वही तमिलनाडु है, जहां से लगते हुए श्रीलंकाई क्षेत्र में कभी लिट्टे का राज हुआ करता था ? खैर जो भी हो हादसे की वजह की पुष्टि तो जांच के बाद ही हो पाएगी, लेकिन देश के लिए यह गहरी क्षति है।
बिपिन रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल इलाके में हुआ था। इनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत भी सेना में लेफ्टिनेंट जनरल थे, जबकि इनकी माता उत्तरकाशी जिले के पूर्व विधायक किशन सिंह परमार की बेटी थीं। इनके परिवार की कई पीढिय़ां सेना में रहकर देश सेवा करती रहीं हैं।
बिपिन रावत ने देहरादून के कैंब्रियन हाल और शिमला के सैंट एंड्रूयूज स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद खडग़वासला नेशनल डिफेंस एकेडमी से आर्मी की पढ़ाई की और सेना में 16 दिसंबर 1978 को 11 गोरखा रायफल की 5 वीं बटालियन से अपने मिलिट्री कैरियर की शुरूआत की थी।
1 जनवरी 2020 को जनरल बिपिन रावत को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी कैबिनेट की सिफारिश पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाया गया था।
अपने पूरे कार्यकाल में जनरल बिपिन रावत ने देश और भारतीयता को गौरवांवित करने वाले कई विशेष तमंगे हांसिल किए थे, जो वीरगति तक उनकी चौड़ी छाती पर सजे रहे। जिनमें शामिल हैं –
परम विशिष्ट सेवा मेडल
उत्तम युद्व सेवा मेडल
अति विशिष्ट सेवा मेडल
युद्व सेवा मेडल
सेना मेडल
विशिष्ट सेवा
– कुमार गजेंदर