अजय सिंह चैहान || कहा जाता है कि दुनियाभर में भगवान शनि देव की मात्र एक ही ऐसी प्रतिमा है जो स्वयंभू मानी जाती है। इसके अलावा और कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है। और इस प्रतिमा की स्थापना भी आज से करीब 300 साल पहले ही हुई थी। जी हां हम बात कर रहे हैं इंदौर के उसी प्रसिद्ध शनि धाम मंदिर के बारे में जो जूना इंदौर यानी पुराने इंदौर शहर के मध्य में स्थित भगवान शनि देव का एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है।
दरअसल भगवान शनि देव, यहां एक चमत्कारिक रूप में प्रकट हुए थे और उस देवीय चमत्कार के प्रमाण के तौर पर आज उस स्थान पर जहां से यह प्रतिमा प्रकट हुई थी वहां एक कुआं बना हुआ है।
जूना इंदौर यानी पुराने इंदौर शहर में स्थित भगवान शनि देव का यह मंदिर जितना पावन है उतना ही दुनियाभर में सबसे अनोखा भी माना जाता है। अनोखा इसलिए क्योंकि यहां भगवान शनि देव की प्रतिमा पर सरसों के तेल से नहीं बल्कि प्रतिदिन प्रातःकाल दूध और जल से अभिषेक किया जाता है, इसके अलाव सिंदूर से भी श्रृंगार किया जाता है। उसके बाद भगवान शनि देव की प्रतिमा को 16 श्रृंगार से सजाया जाता है और फिर पूरे विधि-विधान के साथ भगवान शनि देव की आरती की जाती है। इसीलिए कहा जाता है कि इस मंदिर में विराजमान भगवान शनि देव का स्वरूप बाकी के सभी मंदिरों से एकदम अलग है।
इंदौर में स्थित इस मंदिर में विराजित शनि महाराज शाही अंदाज में, 16 श्रृंगार के साथ पूरे ठाठ-बाट से विराजमान हैं। शनि महाराज का यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसमें उनकी स्वयंभू प्रतिमा है, यानी भगान शनि देव जी यहां स्वयं पधारे थे।
इसके अलावा भगवान शनि देव की इस प्रतिमा की एक सबसे बड़ी विशेषता यह है कि 16 श्रृंगार से सजने के बाद तो मानो यहां के शनि महाराज क्रोध और प्रकोप के देवता नहीं बल्कि खुशियों से झोली भर देने वाले कृपालु शनि देव बन जाते हैं।
देश और दुनियाभर में प्रसिद्ध भगवान शनि देव का यह मंदिर आज भी किसी संस्था या फिर किसी ट्रस्ट द्वारा नहीं बल्कि पंडित गोपालदास तिवारी जी के वंशजों के द्वारा स्वनिर्मित और स्व संचालित है। और ये वही पंडित गोपालदास तिवारी थे जिनके सपने में आकर भगवान शनि देव ने उनकी प्रतिमा को बाहर निकलवा कर यहां स्थापित करने की आज्ञा दी थी।
यहां हम यह भी बता दें कि भगवान शनि देव की यह प्रतिमा और उनका यह मंदिर देश के 6 प्रमुख और प्रसिद्ध शनि मंदिरों में या शनि धामों में से एक है, इसलिए उनके दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या यहां आम दिनों में भी हजारों में होती है। जबकि, प्रत्येक शनिवार को यहां दर्शन और पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों में इंदौर के अलावा दूरदराज से भी हजारों भक्तगण आते हैं और भगवान शनि का विशेष अनुष्ठान करवाते हैं।
मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान शनिदेव के दर्शनों से ढैय्या और साढ़ेसाती से पीड़ित लोगों को फायदा होता है और उनके जीवन की सारी समस्याएं भी धीरे-धीरे अपने आप ही दूर होती जाती हैं।
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देवी अहिल्याबाई की नगरी कहे जाने वाले इंदौर शहर में स्थित भगवान शनि देव का यह चमत्कारिक मंदिर जूनी इंदौर यानी ओल्ड इंदौर शहर में स्थित है। वर्तमान में यह मंदिर कोई बहुत बड़े आकार वाला तो नहीं है लेकिन, मराठा शैली में निर्मित यह एक नक्काशीदार और आकर्षक मंदिर है।
यह मंदिर देश भर में भगवान शनि देव के ऐसे कुल 6 प्रसिद्ध शनि धामोंयानी मंदिरों में से एक है जो पूर्ण रूप से सिद्ध, प्रसिद्ध और चमत्कारिक माने जाते हैं। इन 6 मंदिरों में सबसे पहला नाम आता है महाराष्ट्र में स्थित शनि शिंगणापुर के शनि धाम मंदिर का। इसके बाद दूसरे सबसे प्रसिद्ध और चमत्कारी शनि धाम मंदिरों में इंदौर के इसी मंदिर का नाम आता है।
यहां हर वर्ष शनि जयंती के अवसर पर एक भव्य उत्सव का आयोजन किया जाता है। इस आयोजन में शामिल होने के लिए भारत के कई प्रसिद्ध संगीतकार और गायक अपने सुर और संगीत की प्रस्तुति द्वारा शनिदेव के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं।
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शनि जयंती के अवसर पर यहां हर वर्ष शहर से ही नहीं बल्कि दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं और यहां आयोजित होने वाले भव्य उत्सव के आयोजन का आनंद लेते हैं।
जबकि, भगवान शनि देव के अन्य चार प्रसिद्ध मंदिरों में मध्य प्रदेश में ग्वालियर शहर के नजदीकी गांव एंती में स्थित शनिचरा मंदिर, उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में स्थित शनि धाम मंदिर, दिल्ली के महरौली क्षेत्र में स्थित शनि तीर्थ क्षेत्र और फिर तमिलनाडु के तिरुनल्लर में स्थित नवग्रह मंदिरों में से एक शनि मंदिर का नाम आता है।
अगर आप का आना-जाना इंदौर से होता है तो आप भी यहां आटो रिक्श की सवारी करके बहुत आसानी से दर्शन करने जा सकते हैं क्योंकि, भगवान शनिदेव का यह मंदिर इंदौर के रेलवे स्टेशन से मात्र ढेड़ किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है। जबकि इंदौर के बस अड्डे से इसकी दूरी करीब 4 किमी और एयरपोर्ट से इसकी दूरी करीब 9 किमी की है।