अजय सिंह चौहान || हर हिन्दू का सपना होता है कि वो अपने संपूर्ण जीवन में कम से कम एक बार तो चारधाम की यात्रा जरूर करे। और कईयों ने उत्तराखण्ड राज्य में स्थित छोटा चारधाम की यात्रा भी जरूर की ही होगी। और अगर कोई इस यात्रा पर अभी तक नहीं जा पाये हैं और अ0ब वे वहां जाने का मन बना रहे हैं तो उनमें से कई लोगों के मन में सबसे पहले सवाल आते हैं कि अगर हम भी इस चार धाम की यात्रा पर जाना चाहें तो उसका खर्च कितना आयेगा, कितना समय लगेगा, क्या-क्या तैयारियां करनी पड़तीं हैं, वहां तक जाने के साधन क्या-क्या हैं, पहले कौन-से धाम के दर्शन करने चाहिए उसके बाद दूसरा कौन-सा धाम है जिसके दर्शन करना चाहिए? वहां तक कब और कैसे जाया जा सकता है… वगैरह-वगैरह।
हालांकि, इन सभी सवालों के एक साथ जवाब देना संभव तो नहीं है लेकिन फिर भी हमारी कोशिश रहेगी की हम इन सभी सवालों के जवाब देने की कोशिश करें।
तो सबसे पहले तो मैं बता दूं कि उत्तराखण्ड राज्य में स्थित ये धाम भगवान शिव और भगवान विष्णु से जुड़े सनातन और वैदिक धर्म के सबसे प्रमुख धामों यानी तीर्थों में प्रमुख स्थान रखते हैं।
सबसे पहले तो यहां प्रश्न आता है कि हमारे धर्म ग्रन्थ और हमारे शास्त्र इस छोटा चार धाम की यात्रा के विषय में क्या कहते हैं? यानी यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और फिर बद्रीनाथ नामक इस छोटा चार धामों में सबसे पहले कौन-से धाम के दर्शन करने चाहिए?
तो यहां हम बता दें कि इस छोटा चार धाम की यात्रा पर जाने वालों के लिए हमारे लगभग हर प्रकार के वैदिक और सनातन शास्त्रों में कहा गया है कि यदि तीर्थ यात्रियों के लिए संभव हो सके तो उन्हें सबसे पहले यमुनोत्री धाम की यात्रा करनी चाहिए, उसके बाद गंगोत्री धाम के दर्शन करें, फिर भगवान केदारनाथ धाम और इस छोटा चार धाम की यात्रा के अंत में बद्रीनाथ धाम के दर्शन करना चाहिए।
यहां सबसे महत्वपूर्ण बात ध्यान रखें कि उत्तराखण्ड के इन चारों स्थानों, यानी यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और फिर बद्रीनाथ धाम की इस यात्रा को छोटा चार धाम के नाम से पुकारते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह यात्रा संपूर्ण चार धाम की यात्रा नहीं है बल्कि चार धाम की यात्रा में से यह मात्र एक ही धाम है। जबकि कई लोग तो इस छोटा चार धाम की यात्रा को पूरा करने के बाद इसी भ्रम में रह जाते हैं या फिर यही मान कर चलते हैं कि यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और फिर बद्रीनाथ धाम की इस यात्रा के बाद उनकी चार धाम की यात्रा पूरी हो चुकी है। लेकिन, ध्यान रखें कि यह तो मात्र एक ही धाम है। तो फिर बाकी के तीन धाम कौन-कौन से हैं इस बात की जानकारी वैसे तो लगभग-लगभग हर किसी को होगी, लेकिन अगर कोई नहीं भी जानता तो इस बात की जानकारी भी मैं इसी लेख में आगे दे दूंगा।
जैसे कि हम सभी को मालूम है कि हर साल अक्षय तृतिया के दिन से ही इस चार धाम की इस यात्रा की शुरूआत हो जाती है। ध्यान रखें कि अक्षय तृतिया का यह शुभ दिन अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार लगभग अपै्रल के अंतिम सप्ताह या मई के प्रारंभिक सप्ताह में आता है। और इसी दिन से भगवान बद्रीनाथ जी और भगवान केदारनाथ जी के कपाट आम जनता के दर्शनों के लिए खोल दिए जाते हैं।
कपाट खुलने के साथ ही यहां पहुंचने वाले दर्शनार्थियों और तीर्थ यात्रियों की संख्या में दिनों-दिन भारी संख्या में बढ़ोतरी शुरू हो जाती है और लगभग 6 महीनों तक देश-विदेश में रहने वाले तमाम तीर्थ यात्रियों की भीड़ जुटने लग जाती है।
तो सबसे पहले तो ध्यान रखें कि यमुनोत्री धाम, गंगोत्री धाम, केदारनाथ धाम और फिर बद्रीनाथ धाम यहां के सबसे प्रमुख तीर्थ हैं और इन तीर्थों को हम उत्तराखंड के छोटा चार धाम के नाम से जानते हैं।
और हमारी वैदिक परंपरा और सनातन धर्म की तीर्थ यात्राओं के नियमों के मुताबिक इस छोटा चार धाम में सबसे पहले यमुनोत्री धाम की यात्रा करने का नियम बताया गया है। उसके बाद गंगोत्री धाम की यात्रा की जाती है। फिर भगवान केदारनाथ जी के दर्शन किए जाते हैं ओर अंत में भगवान बद्रीनाथ धाम के दर्शनों की मान्यता है।
हालांकि, यहां आने वाले लगभग सभी श्रद्धालु ऐसा नहीं कर पाते हैं और अपनी सुविधाओं के कारण या फिर अपनी सहुलतों के अनुसार ही एक बार में या किसी एक वर्ष में कोई भी एक या दो धाम की यात्रा ही कर पाते हैं और उसमें से भी अधिकतर लोग तो भगवान केदानाथ जी के ही दर्शन करके लौट आते हैं। या फिर भगवान केदारनाथ जी के ज्योतिर्लिंग मंदिर के अत्यधिक प्रचार के कारण ही लोगों के मन में उनको लेकर अत्यधिक आस्था देखी जाती है। और ऐसा इसलिए भी होता है कि शायद समय की कमी या फिर अधिक खर्च न कर पाने या बजट की कमी के कारण ऐसा हो सकता है। लेकिन अधिकतर लोग ऐसे भी हैं जो इन चारों ही धामों की यात्रा नियम के अनुसार एक ही बार में कर लेते हैं।
और जैसे कि हम बात कर रहे थे कि हमारे प्रमुख चार धाम कौन-कौन से हैं और अधिकतर लोगों को इस बात की जानकारी भी होगी। लेकिन, फिर भी अगर कोई इस बात को नहीं जानता तो मैं बता दूं कि आपकी संपूर्ण चार धाम की तीर्थ यात्रा तभी पूरी होती है जब कोई श्रद्धालु उत्तराखण्ड के इन चारों ही स्थानों में से एक भगवान बद्रीनाथ जी के धाम के अलावा गुजरात के द्वारका धाम, तमिलनाडु में स्थित रामेश्वरम धाम और उड़ीसा राज्य के पूरी में स्थित भगवान जगन्नाथ धाम के दर्शन नहीं कर लेता। यानी हमारे जो प्रमुख चार धाम हैं वे हैं बद्रीनाथ धाम, द्वारका धाम, रामेश्वरम धाम और पूरी में स्थित भगवान जगन्नाथ धाम। जबकि उत्तराखंड में स्थित चार धाम को छोटा चार धाम के नाम से जाना जाता है।
दूसरी महत्वपूर्ण बात ध्यान रखें कि ऐसा बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि एक ही बार में आप घर से तीर्थ यात्रा के नाम से निकलें या इन चार धामों की तीर्थ यात्रा पर निकलें और फिर उत्तराखण्ड में बदरीनाथ धाम भी चले जायें, गुजरात में द्वारका धाम भी चले जायें, तमिलनाडु में रामेश्वरम धाम भी चले जायें और उड़ीसा के भगवान जगन्नाथ धाम के दर्शन भी कर जायें।
यानी आप अपनी सहुलियत के अनुसार एक बार में कोई भी एक या फिर दो धामों या तीन धामों के लिए भी जा सकते हैं। इसके अलावा यह भी संभव हो सकता है कि बाकी के धामों पर जाने के लिए आपको कुछ और भी वर्षों का समय लग सकता है। लेकिन हमारे शास्त्र यह बात जरूर बताते हैं कि हर किसी हिन्दू व्यक्ति को अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार तो पवित्र चार धाम की प्रमुख तीर्थ यात्रा अवश्य ही करनी चाहिए।