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गढ़मुक्तेश्वर के गंगा मंदिर में हर वर्ष होता है अनोखा चमत्कार | Ganga Mandir Garhmukteshwar

admin 18 November 2021
Ganga Mandir Garhmukteshwar
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अजय सिंह चौहान || प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के अवसर पर आयोजित होने वाले गंगा मेले के दौरान गढ़मुक्तेश्वर में गंगा स्नान करने के लिए आस-पास के लाखों श्रद्धालु ब्रिज घाट पर पहुंचते हैं, स्नान करते हैं और प्राचीन श्री गंगा मंदिर में दर्शन करते हैं। उत्तर प्रदेश का गढ़मुक्तेश्वर शहर वैसे तो गंगा नदी के तट से 4 किलोमीटर दूर है लेकिन, सनातन धर्म और संस्कृति के लिए यह स्थान भी हरिद्वार की तरह ही एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है। यहां भी हरिद्वार की तरह ही विभिन्न प्रकार के धार्मिक कर्मकांड, पूजा-पाठ और स्नान आदि आयोजित किए जाते हैं।

गढ़मुक्तेश्वर में स्थित प्राचीन गंगा मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर एक अति प्राचिन और पौराणिक समय का मंदिर है और यह भी बताया जाता है कि इस मंदिर का उल्लेख पुराणों में भी देखने को मिलता है। माता गंगा का यह मंदिर शहरी आबादी के एक छोर पर लगभग 80 फीट ऊंचे टीले पर बना हुआ है। जबकि गंगा नदी यहां से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर है।

स्थानिय लोगों के अनुसार लगभग 600 से 700 वर्ष पूर्व तक गंगा नदी का बहाव इतना विस्तार में हुआ करता था कि नदी का किनारा इस मंदिर के ठीक सामने तक होता था। लेकिन, अब समय के साथ-साथ गंगा नदी ने अपने स्थान और विस्तार में इतनी कमी कर ली है कि अब नदी का किनारा इस मंदिर से लगभग 4 किलोमीटर दूर तक जा चुका है और मंदिर के इस ऊंचाई वाले वाले स्थान से देखने पर गंगा नदी की हल्की सी झलक ही दिख पाती है। जबकि मां गंगा के द्वारा छोड़े गए उस खाली और मैदानी क्षेत्र में अब खेती होने लगी है।

इस मंदिर की स्थापना कब और किसने की इसका कोई निश्चित प्रमाण उपलब्ध नहीं है। लेकिन स्थानीय लोग इस मंदिर का इतिहास हजारों वर्ष पुराना बताते हैं, जबकि वर्तमान मंदिर की संरचना को बने हुए भी लगभग 600 वर्ष हो चुके हैं। मंदिर से संबंधित मूल इतिहास के बारे में कोई विशेष जानकारी भी शायद किसी के पास नहीं है।

मंदिर में स्थापित मां गंगा की प्रतिमा का आकार लगभग आदमकद है। इसके अलावा यहां एक चार मुख वाली ब्रह्मा जी की सफेद प्रतिमा भी है। ब्रह्मा जी की इसी तरह की दूसरी प्रतिमा राजस्थान के पुष्कर क्षेत्र में भी है, जो काले रंग की है। इसके अलावा इस मंदिर में एक चमत्कारी शिवलिंग भी है।

इस मंदिर की सीढ़ियों से निकलता है संगीत | Magical Steps in Ganga Temple

इस शिवलिंग के बारे में बताया जाता है कि इसके ऊपर प्रतिवर्ष कार्तिक माह में अपने आप ही एक विशेष आकृति अंकुरित होती देखी जाती है। मंदिर के पुरोहित जी बताते हैं कि इस शिवलिंग के ऊपर वह आकृति हर बार अलग आकार एवं रूप में निकलती हैं। मंदिर के पुरोहित जी के अनुसार कई जानकार अभीतक इस रहस्य का खुलासा नहीं कर पाए हैं कि आखिर ऐसा क्यों और कैसे होता है?

मंदिर की वर्तमान स्थित के विषय में बताया जाता है कि इसकी देखभाल की जिम्मेदारी जिला प्रशासन ने संभाल रखी थी और गंगा स्नान के दौरान आयोजित होने वाले मेले से प्राप्त आय का एक हिस्सा यहां के सभी मंदिरों के रखरखाव में खर्च किया जाता था। लेकिन, उस आर्थिक सहायता के बंद होने से इस मंदिर के रखरखाव और मरम्मत का कार्य ठप हो गया।

इसके अलावा 80 फिट ऊंचे टीले पर बने इस मंदिर तक जाने के लिए जो सीढियां बनी हैं वे भी किसी आश्चर्य से कम नहीं हैं। और इन सीढ़ियों की सबसे आश्चर्य वाली बात है वह यह है कि इनको बनाने के लिए पत्थरों को कुछ इस प्रकार से लगाया गया है कि अगर इन सीढियों पर तेजी से ऊपर की ओर चढ़ते हैं या उतरते हैं, या फिर किसी पत्थर की सहायता से उन पत्थरों को बजाते हैं तो इसके अंदर से पानी में पत्थर मारने पर जो आवाजा आती है ठीक उसी तरह की आवाज सुनाई देती है।

लेकिन, आज इस मंदिर और यहां की इन चमत्कारी सीढ़ियों की खस्ता हालत यह है कि इसमें कई प्रकार के मरम्मत और रखरखाव के कार्यों की सख्त आवश्यका है।

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