Skip to content
17 May 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • पर्यावरण
  • स्वास्थ्य

Global Warming: बहुत ही जल्द पृथ्वी पर होने वाली है विनाश लीला

admin 14 September 2023
Global-Warming-in-un-Solar-System
Spread the love

अशोक सिंह || ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming & Climate Change) के चलते संपूर्ण धरती पर बहुत ही जल्द विनाश लीला शुरू होने वाली है, जिसमें न सिर्फ मनुष्य बल्कि तमाम पशु, पक्षी, वनस्पति और जल में रहने वाले तमाम प्रकार के जीवन का भी अस्तित्व खतरे में आ चुका है।

जी हां, ये सच है। और ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि इस बात को लेकर उन वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है जो इस विषय के बड़े और खास विशेषज्ञ हैं। इन विशेषज्ञों ने तो यहां तक कह दिया है कि आने वाला वह खतरा हमसे कोई एक या दो हजार वर्ष दूर नहीं बल्कि मात्र कुछ ही वर्षों की दूरी पर एक दम साफ-साफ दिख रहा है।

इन वैज्ञानिकों ने संपूर्ण दुनिया के सामने अपनी ग्लोबल वार्मिंग से जुडी उस चेतावनी को रख दिया है जिसमें उन्होंने उस भयानक खतरे को अपने अध्ययनों के दौरान साक्षात देखा है। दरअसल, वैज्ञानिकों ने अपनी एक रिसर्च के दौरान पाया है कि पृथ्वी पर मौजूद वह सिस्‍टम जिसकी वजह से हमारी पृथ्वी पर जीवन संभव है बहुत ज्‍यादा क्षतिग्रस्त हो चुका है और यह क्रम आगे भी लगातार जारी है। प्रकृति के उस सिस्टम को इतना ज्‍यादा नुकसान पहुंचाया जा चुका है कि हमारा यह ग्रह अब मानवता के लिए सुरक्षित जगह बनने से काफी बाहर हो गया है।

वैज्ञानिकों ने अपनी ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming & Climate Change) से जुडी रिसर्च के दौरान पाया है कि न सिर्फ पृथ्वी पर, बल्कि हमारे इस सौर मंडल के नौ में से छह ग्रहीय सीमाएं भी इंसानों द्वारा फैलाये जा रहे बढ़े प्रदूषण और प्राकृतिक दुनिया के विनाश की वजह से खत्‍म हो गई हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये सीमाएं दरअसल प्रमुख ग्‍लोबल सिस्‍टम की सीमाएं होती हैं, जैसे कि जलवायु, जल और वन्यजीव में विविधता को बनाए रखना। लेकिन अब न सिर्फ पृथ्वी बल्कि सौर मंडल के अन्य स्वस्थ ग्रहों को भी स्वस्थ बनाए रखने की क्षमता के असफल होने का खतरा बढ़ गया है।

दरअसल, वर्ष 2009 में, स्टाॅकहोम रेजिलिएशन सेंटर यानी एस.आर.सी. के नेतृत्व में वैज्ञानिकों के एक समूह ने कुल नौ ग्रहों की उन सीमाओं की पहचान की थी जो पर्यावरण के लिहाज से सुरक्षित सीमाएँ हैं और जिनके भीतर पर्यावरण के अपरिवर्तनीय प्रभावों के बिना मानवता विकसित हो सकती है। लेकिन, उसके बाद से अब तक के करीब 10 वर्षों में तापमान में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि हुई है और यह वृद्धि औसत से ऊपर या नीचे भिन्नता के साथ आश्चर्यजनक रूप से बदल रहा है। यह वही काल है जिसमें मानव इतिहास का महान विकास हुआ। यानी इसी दौरान यह अस्थिरता देखी जा रही है जो कि पृथ्वी पर मौजूद मानव सही अन्य जीवों के लिए ही नहीं बल्कि अन्य ग्रहों के पर्यावरण के लिए भी खतरनाक साबित होता जा रहा है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि उन अन्य ग्रहों की टूटी हुई सीमाओं का मतलब यही बताता है कि सिस्टम एक सुरक्षित और स्थिर स्थिति से बहुत दूर जा चुका है। हालांकि, यह सिस्‍टम आज से करीब 10,000 (दस हजार वर्ष) वर्षं पहले यानी हिमयुग के अंतिम वर्षों से लेकर आधुनिक काल की औद्योगिक क्रांति की शुरुआत तक भी मौजूद हुआ कररता था। जबकि संपूर्ण आधुनिक सभ्यता की शुरुआत इसी दोर में हुई है, और औद्योगिक क्रांति के बाद से तो यह सबसे अधिक भयानक काल रहा है।

वैज्ञानिकों के कहना है कि हमार यह परिक्षण, मूल्यांकन सौर मंडल के उस सभी नौ ग्रहों की सीमाओं में से पहला था और संपूर्ण पृथ्वी के लिए पहली वैज्ञानिक स्वास्थ्य जांच का था। वैज्ञानिकों का कहना है कि सौर मंडल के छह ग्रहों की सीमाएं लगभग-लगभग टूट चुकी हैं, जबकि अन्य दो ग्रहों की सीमाए भी टूटने के एक दम करीब ही हैं। और इसके पीछे का जो सबसे प्रमुख कारण है वो है वायु प्रदूषण और महासागरों में एसिड का लगातार बढ़ते जाना।

About The Author

admin

See author's posts

521

Related

Continue Reading

Previous: Sai Dhanshika- तमिल फिल्म इंडस्ट्री की एक होनहार नाइका
Next: औरंगज़ेब के इतिहास से जुड़ा ज्ञान घोटाला या शाजिश?

Related Stories

Godavan- Great Indian Bustard Bird in danger
  • पर्यावरण
  • विशेष

लुप्त होते गोडावण पक्षी का कल, आज और कल

admin 21 March 2025
Shankaracharya Swami Avimukteshwaranand Ji on bjp headquarter
  • पर्यावरण
  • राजनीतिक दल
  • विशेष

सवा सौ करोड़ हिन्दुओं का भ्रम टूटा

admin 17 March 2025
Snakes research from Puranas
  • पर्यावरण
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विशेष

सर्पों में भी होती है वर्णव्यवस्था | Research on Snakes

admin 16 March 2025

Trending News

कन्या के नामकरण को लेकर मनुस्मृति क्या कहती है? What does Manu Smriti say about the names of girls 1

कन्या के नामकरण को लेकर मनुस्मृति क्या कहती है?

9 May 2025
श्रीहरिवंशपुराण में क्या लिखा है? Harivansh Puran 2

श्रीहरिवंशपुराण में क्या लिखा है?

20 April 2025
कोई राजनीतिक दल गाय के पक्ष में नहीं, अब ये स्पष्ट हो गया है  ham vah hain jinakee pahachaan gaatr (shareer) se nahin apitu gotr (gorakshaavrat) se hai 3

कोई राजनीतिक दल गाय के पक्ष में नहीं, अब ये स्पष्ट हो गया है 

16 April 2025
‘MAAsterG’: जानिए क्या है मिशन 800 करोड़? Masterg 4

‘MAAsterG’: जानिए क्या है मिशन 800 करोड़?

13 April 2025
हम वह हैं जिनकी पहचान गात्र (शरीर) से नहीं अपितु गोत्र (गोरक्षाव्रत) से है ham vah hain jinakee pahachaan gaatr (shareer) se nahin apitu gotr (gorakshaavrat) se hai 5

हम वह हैं जिनकी पहचान गात्र (शरीर) से नहीं अपितु गोत्र (गोरक्षाव्रत) से है

30 March 2025

Total Visitor

077496
Total views : 140862

Recent Posts

  • कन्या के नामकरण को लेकर मनुस्मृति क्या कहती है?
  • श्रीहरिवंशपुराण में क्या लिखा है?
  • कोई राजनीतिक दल गाय के पक्ष में नहीं, अब ये स्पष्ट हो गया है 
  • ‘MAAsterG’: जानिए क्या है मिशन 800 करोड़?
  • हम वह हैं जिनकी पहचान गात्र (शरीर) से नहीं अपितु गोत्र (गोरक्षाव्रत) से है

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved