मानव शरीर और मन को स्वस्थ और सबल बनाने की संपूर्ण पद्यति है योग। भारत के महान योग गुरुओं के बताए हुए योगासन न सिर्फ शरीर से रोग मिटाने बल्कि जीवनशैली को बेहतर बनाने में भी मददगार साबित होते हैं लेकिन योग से पहले ये जानना जरूरी है कि आप योग करने में गलतियां तो नहीं कर रहे हैं। कई बार योग करने से पहले लोग लोग शरीर को पर्याप्त ढंग से खिंचाव नहीं करते हैं इसकी वजह से योग के फायदे शरीर को पूरी तरह से नहीं मिल पाते हैं। हस्त उत्तानासन या रेज्ड आर्म पोज ऐसा ही एक योगासन है जो हाथ, पैर और ऊपरी धड़ को पूरी तरह से स्ट्रेच करता है। इसके अभ्यास से शरीर योग करने के लिए पूरी तैयार हो जाता है। हस्त उत्तानासन को सूर्य नमस्कार के 12 योगासनों में 2 और 11वें नंबर पर किया जाता है।
तो, आइये जानते हैं कि हस्त उत्तानासन क्या है और करने के फायदे, इसे करने का सही तरीका, विधि और सावधानियों के बारे में।
क्या है हस्त उत्तानासन?
हस्त उत्तानासन, खड़े रहकर किया जाने वाला योगासन है। इसे शुरुआत स्तर का योगासन माना जाता है। ये सूर्य नमस्कार योग का प्रमुख हिस्सा है।
हस्त उत्तानासन शब्द संस्कृत भाषा के तीन शब्दों “हस्त, उत्तान और आसन” से मिलकर बना है। पहले शब्द हस्त का अर्थ ‘हाथ’ होता है। दूसरे शब्द उत्तान का अर्थ ‘ऊपर की तरफ उठाना’ होता है जबकि तीसरे शब्द आसन का अर्थ ‘स्थिति’ या ‘मुद्रा’ से है।
अगर हिंदी में हस्त उत्तानासन के शाब्दिक अर्थ को देखें तो इसका अर्थ होता है हाथों को ऊपर उठाने वाला आसन। इस आसन के अभ्यास से पसलियां फैलती हैं और इसकी वजह से आसन करने से पहले ज्यादा मात्रा में सांस ले पाना आसान हो जाता है।
हस्त उत्तानासन का सही तरीका –
हस्त उत्तानासन करने के लिए धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं। कभी भी असुविधा होने पर इस आसन का अभ्यास न करें। कभी भी कंधे या घुटनों पर दबाव न डालें। हमेशा ध्यान दें कि आपने शरीर को योग करने से पूर्व तैयार कर लिया हो और आपकी मूल मांसपेशियां संचालित हो चुकी हों। अगर किसी भी समय आपको किसी भी किस्म की असुविधा या दर्द महसूस होता है तो खुद पर जरा भी दबाव न डालें। धीरे-धीरे आसन का अभ्यास बंद कर दें और आराम करें। अगर आप पहली बार ये आसन कर रहे हैं तो किसी योग्य योग गुरु की देख-रेख में इस आसन का अभ्यास करें।
हस्त उत्तानासन करने की विधि –
हस्त उत्तानासन करते समय गहरा सांस खींचते हुए दोनों हाथों को सिर के ऊपर ले जाएं। दोनों हाथों के बीच का अंतर कंधों की चैड़ाई से ज्यादा न हो। ऊपरी धड़ और सिर को पीछे की तरफ मोड़कर हल्का सा वक्र बनाएं। हाथों को ऊपर उठाना और धड़ को पीछे की तरफ मोड़ना एक साथ होगा।
हस्त उत्तानासन करने के फायदे –
हस्त उत्तानासन के नियमित अभ्यास से शरीर को सेहतमंद बनाने वाले कई फायदे मिलते हैं। जैसे – सीने को फैलाता और खोलता है –
हस्त उत्तानासन में, दोनों हाथ ऊपर की तरफ उठे हुए होते हैं जबकि पीछे की तरफ झुकने के कारण रीढ़ की हड्डी मुड़ी हुई होती है इससे पसलियों और हृदय को फैलने और खुलने का मौका मिलता है।
हस्त उत्तानासन में छाती के खुलने और फैलने के कारण सांस लेने की रफ्तार तेज हो जाती है। शरीर गहरी सांसें लेने लगता है। तेज और गहरी सांस लेने के कारण शरीर में आक्सीजन का प्रवाह बढ़ जाता है जो स्वस्थ रहने और बीमारियों से दूर रहने के लिए बहुत जरूरी है।
हस्त उत्तानासन का अभ्यास सूर्य नमस्कार सीरीज के दौरान 2 और 11 नंबर पर किया जाता है। ऐसा करते समय दोनों हाथ ऊपर उठकर पूरी दुनिया की ऊर्जा के सोर्स यानी कि भगवान सूर्य को प्रणाम करते हैं। ऐसा करने से पहले खिंचाव में हृदय खुलता है जबकि दूसरे खिंचाव में दैवीय ऊर्जा को खुद में समाने में मदद मिलती है।
पीठ की मांसपेशियों को सुदृढ़ करता है –
अगर देखा जाए तो हस्त उत्तानासन असल में पादहस्त आसन का उल्टा है। हस्त उत्तानासन में ऊपरी धड़ को हल्का सा ऊपर की ओर खींचते हुए पीछे की तरफ काफी मोड़ा जाता है इससे निचली और ऊपरी कमर की मांसपेशियों को अच्छा खिंचाव मिल जाता है। इस तरह से मोड़ने पर मांसपेशियों में कसाव आता है और कमर को स्वस्थ बनाने में मदद मिलती है।
अनाहत चक्र को संतुलित करता है –
हस्त उत्तानासन से छाती के फैलाव को खोलने से अनाहत चक्र खुलता और संतुलित हो जाता है। अनाहत चक्र को हृदय चक्र भी कहा जाता है। अनाहत को आत्मा का स्थान कहा जाता है। मानव की आत्मा ही उसकी सबसे अच्छी खूबियों यानी आनंद, प्रेम, सद्भाव, सहानुभूति, एकता, करुणा की वजह मानी जाती है। जब अनाहत चक्र जागृत होता है तो आप इन गुणों का अहसास उसकी पूरी क्षमता के साथ कर पाते हैं।
पेट के अंगों और मांसपेशियों पर काम करता है –
हस्त उत्तानासन करते हुए पीछे की तरफ झुककर खिंचाव करना होता है, ऐसा करने से आपका पाचन तंत्र भी बेहतर होने लगता है। पीछे की तरफ शरीर को मोड़ने से पेट की भीतरी अंगों और मांसपेशियों को खिंचाव होता है।
हस्त उत्तानासन में खिंचाव के कारण पेट की मांसपेशी सुदृढ़ होने लगती है जबकि पेट के भीतरी अंगों खासतौर पर पाचन करने वाले अंगों का काम प्रेरित होता है। ये ‘6 पैक एब्स’ बनाने वाले योगासन में भी शामिल है इसलिए हस्त उत्तानासन को दो प्रभावों के लिए किया जा सकता है। पहला एब्स को टोन करने के लिए और दूसरा पेट के भीतरी अंग बेहतर तरीके से काम कर पाएं इसलिए भी।
मस्तिष्क को शांत करता है –
हर योग आसन तनाव को दूर करता है, ऐसे में हस्त उत्तानासन भी इससे अलग नहीं है। इस आसन को करते हुए पसलियां फैल जाती हैं। इसके कारण सांसों की गति तेज हो जाती है, इससे आॅक्सीजन की ज्यादा मात्रा शरीर में जा पाती है। इसकी वजह से पोषक तत्व और रक्त का प्रवाह तेज हो जाता है। खून का प्रवाह और सांसें तेज होने की वजह से दिमाग में मौजूद पैरासिम्पैथेटिक नर्व्स तंत्र संचालित हो जाता है। इससे आपको अच्छा महसूस होता है और मन शांत रहता है।
ध्यानात्मक अवस्था का संकेत करता है –
हस्त उत्तानासन करते हुए हाथों को मोड़ते हुए सिर के ऊपर अंजलि मुद्रा में ले जाया जाता है। इसके साथ ही ध्यान की स्थिति में रहते हुए आराम से सांसें ली जाती हैं। ये ऐसी स्थिति है जिसमें आप अपने आस-पास के वातावरण में सचेत रहते हुए भी दिमाग से गहरी शांति की स्थिति में प्रवेश कर जाते हैं और मन को शान्ति प्राप्त होती है। इससे आपको जिंदगी में ज्यादा सकारात्मकता का स्वागत करने में मदद मिलती है।
कदम-कदम पर संस्कारों की खुराक अत्यंत आवश्यक…
नोटः जब हस्त उत्तानासन को सूर्य नमस्कार के साथ किया जाता है तो साथ में मंत्रों का उच्चारण भी किया जाता है। हस्त उत्तानासन को सूर्य नमस्कार करते हुए 2 और 11वें नंबर पर मंत्र उच्चारण के साथ किया जाता है। उच्चारण किए जाने वाले मंत्र निम्नलिखित हैं।
दूसरे स्थान आसन पर हुए मंत्र पढ़ें, ‘‘ओम रवये नमः’’ इसका अर्थ होता है, हम प्रकाश के स्रोत यानी कि सूर्य को प्रणाम करते हैं।
वहीं 11वें स्थान आसन पर मंत्र पढ़ें, ‘‘ओम अर्काय नमः’’। इसका अर्थ होता है कि हम प्रशंसा या आदर के योग्य भगवान सूर्य को प्रणाम करते हैं।
हस्त उत्तानासन करने से पहले ध्यान रखने वाली बातें –
हस्त उत्तानासन का अभ्यास सुबह के वक्त ही किया जाना चाहिए लेकिन अगर आप शाम के वक्त ये आसन कर रहे हैं तो जरूरी है कि आपने भोजन कम से कम 4 से 6 घंटे पहले कर लिया हो। ये भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि आसन करने से पहले आपने शौच कर लिया हो और पेट एकदम खाली हो।
सावधानियां –
– अगर आपको निम्नलिखित समस्याएं हैं तो हस्त उत्तानासन का अभ्यास करने से बचें।
– हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हस्त उत्तानासन का अभ्यास न करें।
– डायरिया की शिकायत होने पर कभी भी ये आसन नहीं करना चाहिए।
– घुटनों में समस्या या आर्थराइटिस होने पर हस्त उत्तानासन नहीं करना चाहिए।
– गर्दन में दर्द की समस्या है तो आसन करते समय गर्दन न मोड़ें। सामने देखें।
– शुरुआत में हस्त उत्तानासन को योग प्रशिक्षक की देख-रेख में ही करें।
– संतुलन बनने पर आप खुद भी ये आसन कर सकते हैं।
– हस्त उत्तानासन का अभ्यास करने से पहले डाॅक्टर की सलाह जरूर लें।
हस्त उत्तानासन, योग विज्ञान का बहुत अच्छा आसन है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन रहता है। हस्त उत्तानासन न सिर्फ चयापचय (मेटाबाॅलिज्म) को संचालित करता है बल्कि आपके दिमाग को स्थिर रखने में भी मदद करता है। आज की दुनिया में संतुलन बनाकर रखना ही सबसे जरूरी चीज है। हस्त उत्तानासन संतुलन बनाने से जुड़ी इसी खूबी को आपके शरीर में विकसित करने में मदद करता है। शुरुआती दौर में इस आसन को करने के लिए किसी योग्य योग प्रशिक्षक से मार्गदर्शन जरूर लें।
– योग आचार्या शालू