![Indian Film Industry and Culture](https://i0.wp.com/dharmwani.com/wp-content/uploads/2023/09/Indian-Film-Industry-and-Culture.png?fit=900%2C542&ssl=1)
वैसे तो बहुत आसानी से कह दिया जाता है कि फिल्में समाज का आइना होती हैं। फिल्में वैसी ही बनती हैं जैसा लोग देखना चाहते हैं किंतु इन बातों में कोई सत्यता नहीं है। कोई भी परिवार सदैव यही सोचता है कि फिल्में ऐसी बननी चाहिए जिसे वह अपने परिवार के साथ बैठकर देख सके। अगर ऐसी फिल्में नहीं बनेंगी तो लोग क्या करेंगे।
रामायण एवं महाभारत जैसे धारावाहिकों ने यह साबित कर दिया है कि वास्तव में जनता क्या चाहती है, इसलिए आम जनता की रुचि को ध्यान में रखते हुए भारतीय संस्कृति के अनुरूप ही फिल्में बननी चाहिए। इसी में राष्ट्र एवं समाज का कल्याण है।
– सोनू मिरोठा, दरियागंज (दिल्ली)