जैसे ही अक्षय तृतिया के दिन भगवान केदारनाथ जी के मंदिर के कपाट खुल जाते हैं देशभर से आम जनता भगवान केदारनाथ जी के दर्शन करने के लिए वहां पहुंचने लगती है और इसके बाद से अक्टूबर या नवंबर में पड़ने वाली कार्तिक पूर्णिमा के दिन तक लगातार यह भीड़ बनी रहती है। हालांकि बारिश के मौसम में यात्रा में रूकावट जरूर आती है लेकिन, श्रद्धालुओं की भीड़ कम नहीं होती।
इस यात्रा के दौरान केदारनाथ घाटी का तापमान कभी-कभी 2 से 3 डिग्री तक या इससे भी कम पाया जाता है। इसलिए यहां का मौसम खासकर मैदानी इलाकों से आने वाले यात्रियों के लिए सबसे अधिक सुहावना और आकर्षक होता है और मैदानी इलाकों की भीषण गर्मी से कुछ दिनों की राहत के लिए भी अधिकतर लोग इस तीर्थ के साथ-साथ आस-पास के अन्य पर्यटन स्थलों का भी आनंद लेने के लिए आते हैं।
गंगोत्री धाम कैसे पहुंचे, कितने दिनों की यात्रा है, कितना खर्च होगा ?
इसके अलावा मई और जून में स्कूलों और काॅलेजों में छुट्यिां होने के कारण भी यहां आने वाले दर्शनार्थियों की संख्या बहुत अधिक बढ़ जाती है जिसके कारण यहां जरूरी सामानों की कीमतें भी बढ़ जाती हैं और रात्रि विश्राम के लिए मिलने वाले कमरों, लाॅज और टेन्ट की बुकिंग के लिए भी परेशानी हो जाती है।
लेकिन, ध्यान रखें कि जो लोग ऐसे धार्मिक स्थानों और तीर्थ स्थानों पर भीड़भाड़ से अलग और एकांत में आना पसंद करते हैं वे लोग अक्सर अगस्त से सितंबर या अक्टूबर के बीच भी यहां आ सकते हैं। क्योंकि इस दौरान यहां भीड़ कुछ कम हो जाती है।
खास तौर पर उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्रों में जुलाई और अगस्त के महीनों में भारी बारिश होती है और कई तरह की परेशानियां पैदा कर सकती है। जैसे कि भारी बारिश के कारण सड़कों के धंसने से रास्ते बंद हो जाते हैं।
केदारनाथ घाटी में बारिश के दौरान कई बार पैदल यात्रा को रोक दिया जाता है। इसलिए यहां इस बात का भी ध्यान रखें कि महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के साथ इस यात्रा में बारिश के मौसम में जाने से बचें।
dharmwani.com