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अजय सिंह चौहान || अगर आप भी केदारनाथ जी की यात्रा पर जाने का मन बना रहे हैं तो ध्यान रखें कि आप जहां जा रहे हैं वहां का तापमान दिन के समय 3 से 4 डिर्गी तक होता है जबकि रात के समय यह तापमान शून्य से से भी 2 या 3 डिग्री नीचे तक चला जाता है और ठण्डी और बर्फिली हवाएं चलती रहती हैं। इसलिए ठंड से बचने के लिए कुछ जरूरी गरम कपड़े जैसे स्वेटर, जेकेट, मफलर, गरम टोपी, हाथों के दस्ताने, रेन कोट, अच्छी क्वाली के जूते, गरम जुराबें, कुछ चाॅकलेट्स और टाॅफियां, सर दर्द, बदन दर्द के लिए कुछ जरूरी दवाईयां, एक टाॅर्च, अपना आधार कार्ड या कोई भी सरकारी आईडी, उसकी दो फोटोकाॅपी और अपनी तीन फोटो भी जरूर रख लें ताकि वहां यात्रा करने से पहले आप आपको यात्रा-पास या यात्रा-परमिट मिल सके। इसके अलावा ध्यान रखें कि केदारनाथ यात्रा में रात को ठहरने के लिए बिस्तर और कंबल आदि आसानी से मिल जाते हैं इसलिए साथ में लेकर जाने की जरूरत नहीं होती।
आप भले ही देश के किसी भी भाग में रहते हों, या कहीं से भी इस यात्रा में शामिल होना चाहते हों, केदानाथ जी की यात्रा सही उत्तराखण्ड में स्थित अन्य सभी प्रकार की धार्मिक यात्राओं के लिए भी प्रमुख प्रवेश द्वार हरिद्वार-ऋषिकेश ही कहलाता है। यानी इस यात्रा की असली शुरूआत ही हरिद्वार-ऋषिकेश से होती है। इसलिए कोशिश करें कि हरिद्वार में रात को ठहरने के बाद अगली सुबह यहां के बस अड्डे से सोनप्रयाग के लिए बस लें।
वैसे यह कोई जरूरी नहीं है कि एक रात हरिद्वार में रूकना ही है। लेकिन, जो लोग दूर-दूर से आने वाले होते हैं और उनके साथ बच्चे, बुजुर्ग या ऐसे लोग या फिर ऐसी महिलाएं होती हैं जो यहां के पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार इस लंबी, थकाऊ, उबाऊ और खतरनाक यात्रा को करने के लिए पुरी तरह से सक्षम नहीं होते हैं। उन्हीं के लिए यहां एक रात ठहर कर विश्राम करना बहुत जरूरी होता है ताकि, अपनी उस अगली यात्रा के लिए उन्हें संभलने का अवसर मिल सके और लंबी यात्रा के लिए साहस जूटा सकें। इसीलिए हमारे सनातन धर्म की सभी प्रमुख तीर्थ यात्राओं में भी इस तीर्थ यात्रा को सबसे कठीन यात्रा माना जाता है।
दरअसल, यह तीर्थ यात्रा सड़क मार्ग के द्वारा हरिद्वार से शुरू होकर यहां से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर जाकर सोनप्रयाग में रूकती है। इस बीच रास्ते में अनेकों उबड़-खबड़ और खतरनाक पहाड़ी रास्तों से होकर गुजरना होता है। और इस रास्ते पर यात्रा करने के दौरान कई यात्री बीमार भी हो जाते हैं। इसीलिए ऐसा कहा जाता है और माना भी जाता है कि भगवान केदारनाथ जी की यात्रा की असली शुरूआत तो सही मायनों में हरिद्वार से शुरू होती है। यह कहावत विशेष तौर पर यहां मैदानी क्षेत्रों से आने वाले यात्रियों पर लागू होती है।
हरिद्वार से शुरू होने वाली इस यात्रा मार्ग में सनातन धर्म के कई प्रमुख तीर्थ स्थान आते हैं जिनमें सबसे पहले ऋषिकेश आता है। उसके बाद देव प्रयाग भी आता है जो हरिद्वार से लगभग 75 किलोमिटर दूर है। वैसे यात्री चाहें तो रात का विश्राम यहां भी कर सकते हैं और एक दिन अधिक समय लगाकर यहां के भी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का लाभ उठा सकते हैं।
देव प्रयाग से जैसे-जैसे यह यात्रा आगे बढ़ती जायेगी रास्ते में श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, अगस्तमुखी, बंदरपूरी, कुण्ड, गुप्तकाशी और फाटा नामक सनातन धर्म से संबंधित कई प्राचीन, पौराणिक, ऐतिहासिक, प्रसिद्ध और प्रमुख तीर्थ स्थलों को पार करते हुए यह यात्रा सोनप्रयाग तक पहुंचती है।
ध्यान रखें कि केदानाथ तक जाने वाला यह पहाड़ी रास्ता बहुत ही कठीन, घुमावदार और उबड़-खाबड़ और खतरनाक पहाड़ों के बीच से होकर निकलता है जिसके कारण इसमें सबसे अधिक परेशानी उन यात्रियों को होती है जो पहाड़ी रास्तों पर यात्रा करने से डरते हैं या घबराते हैं।
हरिद्वार से इस यात्रा के लिए उत्तराखण्ड राज्य परिवहन की बसों की सुविधाएं अच्छी हैं। लेकिन, कई यात्री जो गु्रप में आते हैं वे अधिकतर टैक्सी, या अपने वाहन लेकर भी आते हैं। इसके अलावा यहां हरिद्वार या ऋषिकेश के बस अड्डे से शेयरिंग में भी जीप, टैक्सी और मिनी बसों जैसी सुविधाएं मिल जाती हैं।
श्री हेमकुंड साहिब की यात्रा पर जाने से पहले की जानकारीः भाग-1
श्री हेमकुंड साहिब की यात्रा पर जाने से पहले की संपूर्ण जानकारी: भाग 2
ध्यान रखें कि यह रास्ता बहुत अधिक लंबा, यानी लगभग 250 किलोमीटर का होने के कारण हरिद्वार से चलने वाली बसें सुबह लगभग सात से आठ बजे के बिच निकलनी शुरू हो जाती हैं और आगे का रास्ता साफ होने की स्थिति में भी सोनप्रयाग तक पहुंचने में कम से कम आठ से नौ घंटे लग जाते हैं।
इस रास्ते पर जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते जायेंगे वैसे-वैसे इसमें कभी भी और कहीं भी ट्रैफिक जाम लग सकता है, या फिर लेंडस्लाइडिंग के कारण रास्ते बंद भी मिल सकते हैं। हालांकि ऐसा बहुत ही कम होता है लेकिन चारधाम यात्रा के विशेष अवसर पर यहां ट्रैफिक जाम का नजाना देखने को मिल ही जाता है। सोनप्रयाग तक पहुंचते-पहुंचते शाम के लगभग 4 तो बज ही जाते हैं।
मैदानी इलाकों से आने वाले हर प्रकार के वाहनों को यहां निजी वाहनों की श्रेणी रखा जाता है इसलिए उन्हें सोनप्रयाग से आगे नहीं जाने दिया जाता जिसके कारण इन सभी गाड़ियों को यहीं पार्किंग में लगाकर इन पहाड़ी क्षेत्रों में चलने वाले स्थानिय वाहनों से ही यहां से 6 किलोमीटर आगे गौरी कुंड तक जाना होता है।
कई यात्री सोनप्रयाग में भी रात बिताते हैं और अगली सुबह ही अपनी आगे की यात्रा की शुरूआत करते हैं। लेकिन अधिकतर यात्री गौरीकुंड में जाकर ही रात बिताते हैं। और अगली सुबह ही यहां से आगे की यात्रा पर निकलते हैं।
सोनप्रयाग पहुंचने के बाद इस बात का ध्यान रखें कि सन 2013 में यहां जो भयंकर प्रलय आया था उसके बाद से यहां आने वाले सभी यात्रियों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार की ओर से कुछ महत्वपूर्ण और जरूरी इंतजाम किये गये हैं और उन इंतजामों के अनुसार यहां आने वाले सभी यात्रियों का बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य कर दिया गया है।
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जिस किसी भी यात्री ने हरिद्वार में या फिर ऋषिकेश में अपना बायोमेट्रिक पंजीकरण नहीं करवाया हो वे सोनप्रयाग में जाकर सबसे पहले अपना बायोमेट्रिक पंजीकरण करवा लें और हेल्थ या सेहत संबंधी चेकप करवा लें, ताकि आपकी आगे की यात्रा में कोई समस्या न आने पाये। इस प्रक्रिया में यहां से आपको एक यात्रा-पास जारी किया जाता है जिसको यात्रा-परमिट कार्ड भी कहते हैं। इस प्रक्रिया के लिए हरिद्वार से लेकर सोनप्रयाग तक 50 से अधिक काऊंटर खोले गए हैं। जिसमें हरिद्वार के रेलवे स्टेशन बस अड्डे और हरिद्वार के मार्केट में इसके काऊंटर उपलब्ध हैं। इसके अलावा ऋषिकेश में भी इसके लिए विशेष काऊंटर खोले गए हैं जिसमें आप मात्र 50 रुपये देकर बायोमेट्रिक पंजीकरण करवा सकते हैं। इसके लिए ध्यान रखें कि आपको यहां यह बताना होगा कि आपको कौन सी यात्रा पर जाना है। यानी आपको चार धाम यात्रा पर जाना है, दो धाम यात्रा पर या फिर एक धाम यात्रा पर जाना है और किस तारिख को कौन से मंदिर या धाम में पहुंचना है यह आपके उस यात्रा कार्ड पर लिखा जायेगा। और उसी के आधार पर आपको इस यात्रा का परमिशन कार्ड दिया जायेगा।
ध्यान रखें कि घर से निकलने से पहले ही कुछ जरूरी कागजात जैसे प्रत्येक यात्री का अपना बायोमेट्रिक कार्ड यानी आधार कार्ड, उसकी दो फोटोकाॅपी और अपनी दो या तीन फोटो भी आवश्य रख लें। और अगर जाने से पहले ही यह प्रक्रिया आप इंटरनेट के द्वारा आप आॅनलाईन करना चाहते हैं तो उसके लिए आपकी कोई भी आईडी जैसे आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, पान कार्ड या जिसको पेन कार्ड बोला जाता है, मोबाईल नंबर, एक ई-मेल पता होना चाहिए जिसके बाद आप इसका आॅनलाईन आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए भी आपको 50 रुपये का खर्च लगता है।
ध्यान रखें कि सोनप्रयाग में अपना बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद आगे की यात्रा में सबसे पहले लगभग एक किलोमीटर पैदल चलने के बाद एक पुल पार करना पड़ता है। उस पुल को पार करते ही वहां से आगे गौरी कुंड के लिए शेयरिंग में मिलने वाली जीप में बैठ कर लगभग 6 किलोमीटर का रास्ता तय करना होता है। ध्यान रखें कि यहां से मिलने वाली शेयरिंग जीप में बैठने के लिए भी लगभग हर रोज और हर समय एक लंबी लाईन में लगना पड़ता है। इस शेयरिंग जीप का किराया लगभग 20 या 30 रुपये प्रति सवारी का होता है। हालांकि, यहां आपको ऐसे कई यात्री मिल जायेंगे जो सोनप्रयाग से ही पैदल या फिर घोड़े पर बैठकर इस यात्रा की शुरूआत कर देेते हैं। लेकिन ऐसे यात्रियों की संख्या बहुत कम होती है।
दरअसल, सोनप्रयाग से गौरी कुंड तक का लगभग 6 किलोमीटर का यह रास्ता बेहद कठीन और खतरनाक है शायद यही कारण है कि यहां मैदानी इलाकों से आने वाले किसी भी वाहन को यहां तक नहीं जाने दिया जाता है।
गौरी कुंड पहुंचते-पहुंचते शाम हो जाती है और ठंड का एहसास होने लगता है। जैसे-जैसे रात का समय आने लगता है ठंड बढ़ती जाती है। इसलिए जितना जल्दी हो सके सीधे गौरीकुंड के बेसकैंप में पहुंचे और अपने बजट के अनुसार कमरे या तम्बू की पर्ची कटवा कर उसमें रात गुजारने की तैयारी कर लें। गौरी कुंड में गढ़वाल मंडल विकास निगम के कई सारे सरकारी लाॅज बने हुए हैं। इसके अलावा कई सारे निजी होटल, धर्मशालाएं भी मिल जाती हैं। लेकिन ध्यान रखें कि यहां गढ़वाल मंडल विकास निगम के सरकारी लाॅज की लगभग सारी बुकिंग पहले से हो आॅनलाईन हो जाती है। इसलिए आप भी जाने से पहले ही यहां जी एम वी एन एल.इन पर जाकर इसकी बुकिंग पहले से ही करवा लें ताकि बाद में परेशान होने से बचें।
इस यात्रा में गौरी कुंड वह स्थान है जहां से इस यात्रा की पैदल शुरूआत होती है। इसलिए गौरी कुंड में रात गुजारने के बाद अगली सुबह जल्दी उठकर फटाफट तैयार हो जायें और अपनी उस पवित्र यात्रा के लिए निकल पड़ें जिसके लिए आप यहां तक आये हैं।