ऋषि तिवारी | नई दिल्ली। महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर (8 मार्च 2024) को कुछ ऐसा होने जा रहा है जो किसी अलौकिक घटना से कम नहीं है। इस महाशिवरात्रि के दिन, इंसानों को मिलने जा रहा है स्वयं ईश्वर के प्रेम का संदेश। सिनेमाघरों में आ रहे हैं परमेश्वर (message of God through “Mahayogi” film) की बात आप तक पहुंचाने वाले महायोगी।
Mahayogi: एक छवि मानव एकता की –
महायोगी हाईवे एक, एक छवि है मानव एकता की। वह जो आज मानवता कहीं खोती चली जा रही है। इस हॉलीवुड पिक्चर के मास्टरमाइंड राजन लूथरा हैं, जिन्होंने इसे बनाया है। प्रिंस मूवीज के राकेश सभरवाल इस फ़िल्म को देश भर में वितरित कर रहे हैं। ज़रा ठहरकर सोचिए। जिस इंसानी प्रजाति को ईश्वर ने अपना सारा प्रेम उड़ेल कर बनाया, जिन में वह अपनी ही प्रेम की प्रतिछवि ढूंढते हैं, क्या उन्हें धर्म के नाम पर, देश के नाम पर, राजनीति के नाम पर इस क़दर आपस में लड़ते-भिड़ते देखकर, ईश्वर को आनंद मिलता होगा? नहीं मित्रों। परमेश्वर की आँखों में आज आंसू हैं।
अशांति, बम, मिसाइल और मौत का तांडव –
जिस दुनिया में लाखों लोग आज भी बेघर हैं। करोड़ों बच्चे आज भी सड़कों पर भूखे सोते हैं। उसी दुनिया में हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई सभी धर्म एक दूसरे को अपना दुश्मन समझ रहे हैं। जातिवाद, रंगभेद, नस्लभेद चरम सीमा पर है। इस्राइल और फिलिस्तीन, रूस और यूक्रेन, भारत और पकिस्तान आदि देश युद्ध पर उतारू हैं। हर जगह अशांति, बम, मिसाइल और मौत का तांडव है। जिस धरती ने हमें इतने प्यार से माँ की तरह सींचा है। आज उसके अंदर से फूट रही है क्रोध की ज्वालामुखी। हर तरफ़ मची है तबाही। कहीं सुनामी, कहीं महामारी, तो कहीं भूकंप। प्रकृति से छेड़छाड़ का आलम यह है कि कहीं पेड़ काटे जा रहे हैं तो कहीं पक्षियों और जानवरों को मारा जा रहा है। कहीं प्रदूषण का काला धुआं तो कहीं वायरस का फैलाव।
क्या हम कभी गहरी नींद से नहीं जागेंगे? –
आज हम कहीं खुलकर सांस भी नहीं ले पाते। बच्चे माँ-बाप से कटे कटे से रहते हैं। भाई भाई को मार रहा है। इंसान इंसान को काट रहा है। शैतानी ताक़तें सर उठाती ही जा रही हैं। चारों ओर घोर अँधेरा है। रोशनी कहाँ है? इंसान भूल चुका है कि वह साक्षात ईश्वर का ही स्वरूप है। क्या आज भी मानवता बस सोती ही रह जाएगी? क्या हम कभी अपनी इस गहरी नींद से नहीं जागेंगे?
इन्हीं सवालों को महायोगी फिल्म में उठाया गया है। तभी तो महायोगी हम सब से कहने आए हैं कि ऐसा नहीं होगा। अब मानवता के जागने की बारी आ गई है। कलयुग अपने अंतिम चरण में है। धरती माता, प्रकृति, पूरा ब्रह्माण्ड और स्वयं ईश्वर अब दुष्टों का दमन और शिष्टों का पालन करने को तैयार हैं।
महायोगी के माध्यम से हम सबका आह्वान किया गया है कि हम धार्मिक, सामाजिक और आंतरिक भेदभाव भूल कर आपसी प्रेम, शांति और वैश्विक एकता के पथ पर चल पड़ें। तभी कलयुग का अंत और सतयुग का आरम्भ होगा। निर्माता राजन लूथरा अपनी फिल्म महायोगी हाईवे एक के माध्यम से ईश्वर की यही वार्ता लोगों तक पहुंचा रहे हैं कि उनके प्रेम और आपसी सद्भाव में ही ईश्वर बसते हैं। और कहीं नहीं।