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वर्ष 2022 के बाद कई लोग बन गए हैं धरती पर बोझ

admin 7 January 2022
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कोरोना महामारी के आने के बाद वर्ष 2020 तो किसी तरह से बचते-बचाते गुजर गया, लेकिन वर्ष 2021 में इसने बहुत कुछ नया सीखा दिया और आने वाले समय की तरफ इशारा भी कर दिया, उसी का नतीजा है कि अब वर्ष 2022 में हमें आधुनिक विज्ञान के क्षेत्र में आज और भी तेज गति से विकास को देखने का सौभाग्य और दुर्भाग्य दोनों ही देखने को मिलेगा।

दुनियाभर में तेजी से होते तमाम प्रकार के परिवर्तनों और प्रगति के पैमानों ने बता दिया है कि कोई भी इनसे अछूता नहीं रहने वाला है। सभी को तकनीक के अनुसार ही सक्षम बनना होगा, और अगर कोई डर गया तो समझो मर गया।

वर्ष 2022 की शुरूआत से ही हमें यह एहसास होने लग गया है कि दुनियाभर के आईटी पेशेवरों ने अब उस तकनीक को सामने लाने का मन बना ही लिया है जिसके माध्यम से वे लोग आने वाले समय और समाज के सामने अच्छी और बूरी दोनों ही प्रकार की तकनीकी खोजों को अंजाम दे सकने में सक्षम हैं।

अच्छी और बूरी दोनों ही प्रकार की तकनीकों से अभिप्राय यह है कि यदि भविष्य की उन आने वाली तकनीकों में कोई व्यक्ति अपनी रूचि या इच्छा जाहिर नहीं कर पाता है तो उस उस प्रतियोगिता से बाहर होना ही होगा। और बाहर होने का अभिप्राय है कि वह इस धरती पर बोझ समझा जायेगा। साधारण भाषा में यदि कहें तो यदि किसी को वह तकनीक अच्छी नहीं लगी या उसे सिखने या अपनाने की इच्छा नहीं है तो वह आवश्यकता से बाहर हो जायेगा।

वर्तमान में तो हम ‘वर्क फ्राम होम’ और बच्चों की ‘आनलाइन क्लास’ जैसे उदाहरण को तो देख ही रहे हैं। इसमें भले ही आज मात्र 15 या 20 प्रतिशत भारतीय वयस्क या बच्चे काम कर रहे हों, लेकिन आने वाला समय संभवतः ऐसा भी हो सकता है कि मात्र मात्र 15 या 20 प्रतिशत भारतीय वयस्क या बच्चे ही इससे वंचित रहें। यानी यह आंकड़ा उल्टा भी हो सकता है। भले ही यह सब कुछ एक या दो वर्षों में या चार-पांच वर्षों में तो नहीं लेकिन, बहुत ही जल्द देखने को मिल सकता है।

यह सच है कि किसी भी विश्वव्यापी महामारी के आगे अब सभी ने झुकना स्विकार कर लिया है, खासतौर पर अधिकांश वैश्विक आईटी आबादी वाले घर-परिवारों ने तो इसकी शुरूआत कर ही दी है और उनके करीब-करीब सभी वयस्क और बच्चे ये काम कर सौ प्रतिशत नहीं तो कम से कम 80 से 90 प्रतिशत तो आईटी पर निर्भर हो ही चुके हैं।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने पिछले करीब एक दशक में पहले ही बहुत प्रगति कर ली है, बावजूद इसके यह तकनीक अभी भी एक दम नई है, क्योंकि आम आदमी से यह तकनीक अभी बहुत दूर है। हम कैसे रहते हैं, कैसे काम करते हैं और कैसे खेलते हैं, इसकी जानकारियां और इनके प्रभाव अब भी केवल शुरुआती चरणों में ही हैं। दूसरी भाषा में कहें तो सागर में एक या दो बूंदों के समान ही है वर्तमान नकनीकी और खोजें और उनका उपयोग।
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