आम तौर पर किसी भी साधारण या संपन्न परिवार में एक समस्या आम बात होती है कि उन परिवारों में रहने वाले बच्चों में से अधिकतर बच्चे या किशोर कई प्रकार के सवालों और दबावों का सामना करते हैं जो उनके लिए भविष्य की राह तय करते हैं। भविष्य की राह तय करने वाले ऐसे कई बार तो सवाल बहुत ही अधिक कड़वे और असहनीय भी हो जाते हैं।
कुछ लोग ऐसे भी होते हैं कि उनके स्वयं के जीवन के एक विशेष पड़ाव पर पहुंचने के बाद भी वे सवाल उनका पीछा नहीं छोड़ते। जैसे कि – जीवन में आगे बढ़ना है कि नहीं? कुछ बड़ा करना है कि नहीं? दुनिया में नाम कमाना है कि नहीं? कुछ अच्छा करके दिखाना है कि नहीं? या फिर तुम्हें भी करोड़ों लोगों की इस भीड़ में खो जाना है और कीड़े मकोड़ों के जैसे ही जीना और फिर मर जाना है!
तुम अब बच्चे नहीं हो, इसलिए याद रखना कि ये बातें सिर्फ तुम्हें ही सोचना है, और तुम्हें ही उस पर अमल भी करना है। आज अगर तुम पढ़ोगे-लिखोगे नहीं तो कभी आगे नहीं बढ़ पाओगे, कुछ भी बड़ा नहीं कर पाओगे। जिंदगी में कभी भी कुछ नया नहीं कर पाओगे!
तुम्हारे सब दोस्त तुमसे बहुत आगे निकल जायेंगे और तुम इसी तरह बस एक आम आदमी बन कर भीड़ में खो जाओगे! ये जो आज का कीमती समय तुम्हारे जीवन से धीरे-धीरे निकलता जा रहा है वो फिर कभी भी वापस नहीं आने वाला है!
ये स्मार्ट फोन, ये 4जी-5जी की स्पीड, ये ऑनलाइन गेम्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम, वाट्सअप, ये सब तो हमेशा रहने वाले हैं। लेकिन, तुम कहीं के नहीं रह पाओगे! एक समय आयेगा जब तुम्हारे सामने रोटी तभी आयेगी जब तुम कुछ करने के लायक रहोगे! तुम्हारे मां-बाप हर समय तुम्हारा साथ नहीं रहने वाले। और ना ही उनकी दौलत! तब तुम क्या करोगे? और न जाने क्या-क्या!
एक विद्यार्थी के संघर्षों से भरे जीवन के विषय में स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda in hindi) जी ने जो कहा था वह आज भी उतना ही प्रासंगिक लगता है जितना कि उनके जीवनकाल में हुआ करता था। तभी तो उन्होंने कहा था कि- ‘‘अपने जीवन का एक लक्ष्य निर्धारित करो और सभी दूसरे विचारों को अपने दिमाग से निकाल दो, क्योंकि यही तो सफलता की पूंजी है।’’
स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda in hindi) जी के इन विचारों से हमें यही ज्ञान मिलता है कि आज और अभी आप जो कर रहे हैं, वही आपके भविष्य का निर्माण करेगा। अपने कीमती समय की गरिमा को समझो और अभी से पढ़ना शुरू कर दो। अच्छे से मेहनत करना शुरू कर दो।
ये बात भी सच है कि पढ़ते समय नींद आने लग जाती है। लेकिन, ध्यान रखना कि पढ़ते समय जब भी तुम्हें नींद आने लगे तो यही सोचना कि तुम्हारे माता-पिता तुम्हारे लिए कितनी मेहनत करते हैं और तुमसे कितनी उम्मीदें लगा कर बैठे हैं। अगर उनके बारे में भी सोचोगे तो तुम्हारी नींद तुरंत गायब हो जायेगी।
और जब कभी भी आलस आने लगे तो यही सोचना कि अगर तुम आज मन लगाकर नहीं पढ़ोगे तो हो सकता है कि कल तुम किसी कंपनी में मजदूर बन कर रह जाओ, और तुम्हारे दोस्त जो कि आज मन लगा कर पढ़ाई कर रहे हैं उनमें से कोई वहां मैनेजर बन जाये, डायरेक्टर बन जाये या फिर ये भी हो सकता है कि कोई मालिक भी बन जाये।
तो तुम्हें भविष्य के उन भयानक सपनों से बचने के लिए आज क्या करना चाहिए ये मत सोचो। अपने भविष्य को अच्छा बनाने के लिए जुट जाओ। बस फिर क्या, आलस्य अपने आप ही खत्म हो जायेगा।
क्योंकि आज यदि तुम पढ़ाई-लिखाई कर लोगे तो भविष्य के सारे मजे तुम्हारे लिए हैं, नहीं तो सारे दुख तुम्हारे लिए होंगे। फिर तुम्हारा कोई दोस्त तुम्हें पूछने नहीं आयेगा। तुम्हें कोई भी ठीक से नहीं पहचानेगा। तुम्हारी अपनी कोई पहचान नहीं होगी। तुम चाह कर भी अपने लिए अपनी पसंद का कुछ अच्छा नहीं कर पाओगे। क्योंकि उसके लिए तुम्हारे पास उतने पैसे नहीं होंगे। ऐसे में तुम्हारी कीमत किसी कीड़े-मकोड़े से ज्यादा कुछ नहीं होगी।
आज तो तुम्हारे सिर पर तुम्हारे मा-बाप की कृपा है, इसलिए तुम जो चाहते हो मिलता जाता है। पर ध्यान रखना, प्रकृति का नियम है कि ऐसा ज्यादा दिनों तक नहीं रहता। ऐसे में तुम क्या करोगे?
तुम्हारा कहना है कि तुम मेहनत तो खुब करते हो, कोशिश भी करते हो, लेकिन, कुछ परिणाम ऐसे होते हैं कि चाहते हुए भी तुम्हारे पक्ष में नहीं आते, और तुम हार जाते हो। तो यहां इस बात का भी ध्यान रखना कि- ‘हार तो वो सबक है जो आपको बेहतर होने का मौका देगी।’
तो चलो मान लिया, कि कभी-कभी किस्मत पर भी छोड़ दिया जाना चाहिए। लेकिन हर बार ऐसा नहीं कर सकते। लेकिन, यदि तुम मेहनत ही नहीं करोगे तो फिर तो परिणाम हर बार गलत ही होंगे। ऐसे तो तुम फैल भी हर बार होते रहोगे। सफलता हर बार तुमसे दूर होती जायेगी। क्योंकि तुम तो हर बार किस्मत के भरोसे ही बैठ जाते हो।
तुम कोशिश तो करो, आदत तो डालो, खुद पर विश्वास करना सीखो। क्योंकि, खुद पर विश्वास करना एक जादू जैसा है। तो क्यों न आज ही पुरी ताकत से लग जाओ। समय ज्यादा नहीं है। परीक्षा सामने है। पुरी मेहनत करो। अपने मन पर कंट्रोल करो। तुम कर सकते हो।
भविष्य के बारे में सोचो। अपने मां-बाप के सपनों को सच करने के बारे में सोचो। उनकी मेहनत, उनकी आज की परिस्थिति के बारे में सोचो। वो तुम्हारे लिए स्कूल की फीस कहां से और कैसे लाते हैं?
कुछ करने की जिद और ताकत अपने आप अंदर से पैदा की जाती है। अपनी प्रेरणा का स्रोत तुम एक चींटी को भी बना सकते हो। चींटी अपने से सात गुणा अधिक वजन उठाने में सक्षम है, लेकिन, हमें इतना वजन नहीं उठाना है। हमें तो ज्ञान अर्जित करना है।
हमने कई बार सुना है कि -‘कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती।’ तो चलो आज हम उसी को आजमा कर देख लें।
यह बात सच है कि कुछ भी नया करने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती। और ये भी सच है कि जो समय आज और अभी है वही समय सबसे सही है। क्योंकि सही समय कभी नहीं आता है। भले ही कुछ लोग इस लायक नहीं रह पाते कि वो एक विद्यार्थी का जीवन फिर से जी सके। लेकिन, इस लायक जरूर रहते हैं कि आज भी कुछ न कुछ तो नया और सबसे अलग जरूर कर सकते हैं।
– गनपत सिंह, खरगोन मध्य प्रदेश