दुनिया के कई देश तो इस्लाम के असली स्वरूप को समझ रहे हैं लेकिन भारत के राजनेता उन्हीं को अपना सबकुछ मान कर रहे हैं। फिर चाहे इनमें कांग्रेस हो, बीजेपी हो, आप, एसपी, बीएसपी या फिर कोई भी अन्य क्षेत्रीय पार्टी हो। RSS ने तो शुरुआत से ही मुस्लिमों को पलकों पर बैठा कर रखा है। यही कारण है की RSS से निकली बीजेपी ने आज मुस्लिमों को सबसे अधिक लाभ दिया है। इतना लाभ की पिछले 64 वर्षों में उन्हें जो लाभ कांग्रेस नहीं दे पाई उतना तो मोदी सरकार ने उन्हें इन मात्र 10 वर्षों में ही दे दिया है।
दुनिया के कुछ देश ऐसे भी हैं जिनके राष्ट्र अध्यक्षों ने तो अब मुस्लिम धर्म और समाज के खिलाफ सीधे बोलना शुरू कर दिया है और उस पर अमल भी शुरू कर दिया है। उनके देश की आम जनता भी इसमें उनके साथ ही दिख रही है। हालांकि अमेरिकन लॉबी ऐसे देशों और ऐसे नेताओं का न सिर्फ विरोध करती है बल्कि उनपर किसी न किसी प्रकार से दबाव डाल कर परेश भी करती है जो मुस्लिमों से बचना चाहते हैं।
स्लोवाकिया के प्रधान मंत्री श्री रॉबर्ट फिको ने वर्ष 2016 में कहा था कि हम अपने देश में इस्लाम को राज्य धर्म के रूप में पंजीकृत करने की अनुमति नहीं देंगे तो दुनिया ने उनका विरोध किया था। लेकिन आज वे स्वयं तो खुश हैं जबकि बाकी देश परेशान हैं। उनका कहना था कि “इस्लाम का स्लोवाकिया में कोई स्थान नहीं है…। समस्या यह है कि (मुसलमान) देश का चेहरा बदलना चाहते हैं”।
उन्होंने ईयू (यूरोपीयन यूनियन) की अवहेलना करते हुए एक भी मुस्लिम प्रवासियों को अपने देश में लेने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि यहां कोई मस्जिद नहीं है और हम बनने भी नहीं देंगे। यही कारण है कि स्लोवाकिया आज world happiness index में 29वें स्थान पर है और भारत का स्थान 143 में से 126 है।