
– अजय चौहान || राजा पृथ्वीराज चौहान की प्रिय रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम और उनके विषय में गूगल पर जब मैने जानना चाहा तो उसके उत्तर में मुझे सटीक और सत्य उत्तर नहीं मिला। इसका मतलब है कि किसी ने भी इस विषय पर कोई जानकारी गूगल पर अब तक नहीं डाली है। लेकिन यदि आप भविष्य पुराण पढ़ेंगे तो उसमें स्पष्ट लिखा है कि संयोगिता की माता का नाम क्या था। संभव है कि मेरी इस पोस्ट को डालने के बाद Grok या Gpt या फिर कोई भी अन्य AI इसी जानकारी को आधार बनाकर आपको सटीक जानकारी दे सकता है।
जब मैने Chat Gpt और Grok दोनों ही AI प्लेटफार्म से इस विषय में एक ही प्रश्न किया कि – “संयोगिता की माता का नाम क्या था?” तो Chat Gpt ने इसके जवाब में एक लम्बा सा उत्तर थमा दिया जो कुछ इस प्रकार से था – “संयोगिता, जो राजा पृथ्वीराज चौहान की प्रिय रानी मानी जाती हैं, उनके पिता का नाम राजा जयचंद (कन्नौज के गहड़वाल वंश के राजा) था।”
Chat Gpt इसमें आगे लिखता है कि, “संयोगिता की माता का नाम इतिहास में स्पष्ट रूप से वर्णित नहीं है। अधिकांश ऐतिहासिक स्रोत और लोककथाएं केवल राजा जयचंद और संयोगिता के बारे में विस्तार से बताती हैं, लेकिन उनकी माता का नाम विशेष रूप से नहीं मिलता।
फिर आगे यही Chat gpt बताता है कि – “यह भी संभव है कि उनकी माता का नाम लोकप्रचलित कहानियों या साहित्य में लुप्त हो गया हो, क्योंकि उस समय महिलाओं के नाम बहुत बार दर्ज नहीं किए जाते थे, खासकर अगर वे प्रमुख राजनीतिक भूमिका में न हों।
अब देखिए कि ठीक वही प्रश्न कि – “संयोगिता की माता का नाम क्या था?” को जब मैने Groak ai से पूछा तो उसका मात्र एक छोटा और सटीक सा उत्तर था कि – “संयोगिता की माता का नाम “कान्तिमती” था।
अब मैं आपको स्पष्ट बता दूं कि संयोगिता की माता का ये नाम जो Groak ने “कान्तिमती” बताया है वह भी एकदम गलत नाम ही बताया है। तो फिर सवाल आता है कि संयोगिता की माता का वास्तविक नाम क्या रहा होगा और ये कैसे तय किया जाएगा कि वही नाम असली रहा होगा? तो इस बारे में यहां में स्पष्ट बता दूं कि जब आप भारत का वास्तविक इतिहास और हमारे शास्त्र यानी “भविष्य पुराण” में “भविष्य के राजाओं का वर्णन” नामक तीसरे खण्ड के पांचवे और छठे अध्याय में पढ़ेंगे तो वहां पृथ्वीराज चौहान की पत्नी का नाम संयोगिता नहीं बल्कि “संयोगिनी” दिया गया है। हालांकि हो सकता है कि उस समय उनका संयोगिता नाम भी प्रचलन में रहा होगा लेकिन मूलतः संयोगिनी ही दिया गया है।
अब बात करते हैं संयोगिता की माता के नाम की तो तथ्य ये है कि कन्नौज के राजा जयचन्द की 16 रानियों से एक की भी संतान नहीं हुई थी। साथ ही भविष्य पुराण में यह भी लिखा है कि पूर्व जन्म के कर्मों के कारण उनकी कोई संतान नहीं हुई थी। जबकि संयोगिता उनकी प्रधान यानी बड़ी रानी “दिव्य विभावरी” जो कि गौड़राजकन्या थीं की दासी “सुरभानवी” से जन्मी जयचंद की पुत्री थी। दासी सुरभानवी भी रूपयौवना थी, जिसे देख कर राजा जयचंद कामपीड़ित हो गया था और फिर संयोगिता का जन्म हुआ था।
यानी पृथ्वीराज चौहान की पत्नी संयोगिता या संयोगिनी की माता का सही नाम “सुरभानवी” था जो राजा जयचंद की सबसे बड़ी रानी “दिव्य विभावरी” की दासी थी। भविष्य पुराण में “भविष्य के राजाओं का वर्णन” नामक तीसरे खण्ड के पांचवे और छठे अध्याय में इस विषय में विस्तृत विवरण दिया गया है।
भविष्य पुराण में यह भी लिखा है कि राजा जयचन्द की पुत्री संयोगिता जब “12 वर्ष” की हो गई तब उसके विवाह हेतु स्वयंवर का आयोजन किया था। लेकिन उसमें पृथ्वीराज को आमंत्रण नहीं दिया गया। पृथ्वी ने क्रोधवश कन्नौज पर आक्रमण कर दिया और जयचंद की सेनाओं के साथ लगातार पांच दिन चले भयंकर युद्ध के बाद छठवें दिन संयोगिता को जीत लिया, तब संयोगिता स्वयं उनके साथ दिल्ली आई थी।
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