Skip to content
15 May 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • अवसरवाद
  • विशेष

मुफ्तखोर जनता : जैसा राजा वैसी प्रजा या फिर जैसी प्रजा वैसा राजा

admin 27 March 2022
Free ration scheme extend by Modi Government
Spread the love

अजय सिंह चौहान || हमारे देश में भले ही चुनावों के अवसर पर मुफ्त राशन के साथ-साथ अन्य कई प्रकार की वस्तुओं को भी बांटने का चलन शुरू हो चुका हो, लेकिन, जीवन में हम अमेरिका जैसे जिस संपन्न देश का अनुशरण करने का प्रयास करते हैं दुनिया के उसी सबसे शक्तिशाली और धनी अमेरिका की सरकारों द्वारा किसी भी प्रकार से आम जनता को निजी उपहार देने पर सख्त पाबंदी है। अमेरिका की सरकार मानती है कि सार्वजनिक पैसे से किसी को भी निजी गिफ्ट या अन्य सामान नहीं दिए जाने चाहिए क्योंकि इससे देश पर आर्थिक भार बढ़ता है और कुछ सबसे जरूरी योजनाएं भी बाधित हो सकती हैं, चुनाव की निष्पक्षता प्रभावित होती है। मुफ्त की वस्तुओं और धन का लाभ लेने वाले लोग आलसी होने लगते हैं जिसके कारण उत्पादकता धीरे-धीरे घटने लगती है।

अब अगर हम उदाहरण के तौर पर एक अन्य देश वेनेजुएला की बात करें तो यह भी वर्ष 1980 तक एक संपन्न देश हुआ करता था। तेल की कीमतें ऊच्च स्तर पर होने के कारणा वेनेजुएला न सिर्फ एक अमीर देश हुआ करता था बल्कि इसका मुद्रा भण्डार भी अच्छा खासा था, लेकिन इसके बाद वहां की सरकार ने खाने-पीने से लेकर पब्लिक ट्रांसपोर्ट तक सब फ्री कर दिया जबकि वेनेजुएला में 70 प्रतिशत से भी अधिक खाद्य उत्पादों का आयात किया जाता था। परिणाम यह हुआ कि धीरे-धीरे वहां आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी। इसके बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतें भी गिरती गईं। उसका नुकसान यह हुआ कि वहां अचानक मंदी आ गई। किसानों के लिए कर्जमाफी जैसे उपायों ने देश की कमर ही तोड़ दी। दशकों बाद भी वेनेजुएला इस स्थिति से उबर नहीं पाया और अब वहां के हालात बद से बदतर हो चुके हैं।

अब अगर हम अपने देश यानी भारत की बात करें तो भारत की आम जनता का एक विशेष वर्ग भले ही मुफ्त के लालच में अपने आप को चुनावी वायदों और तुष्टीकरण के तौर पर पार्टियों की मानसिकता के आधार पर गुलाम बन चुका है और खूब फायदे उठा रहा है लेकिन वहीं एक व्यक्ति ऐसा भी है जो इन पार्टियों और उनके वायदों को चुनौती देते हुए उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक के बाद एक जनहित याचिकाएं दायर करते नहीं थक रहा है। इस व्यक्ति का नाम है अश्विनी उपाध्याय।

पेशे से भले ही अश्विनी उपाध्याय एक वकील हैं लेकिन इनकी पहचान एक भाजपाई नेता के तौर पर भी है और अपने ही दल की नीतियों का वे खुल कर विरोध करते हुए देखे जा सकते हैं। अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न विषयों पर अपनी अलग-अलग प्रकार की कई याचिकाओं के माध्यम से टैक्स देने वाले वर्ग के दर्द और उनके दिल की बात को खुल कर सामने लाने का कार्य किया है।

अश्विनी उपाध्याय ने अपनी तमाम प्रकार की याचिकाओं में सभी राजनीतिक दलों की नीतियों का खुल कर विरोध किया है फिर चाहे वह उन्हीं का अपना दल ही क्यों न हो। चुनाव के दौरान फ्री में बिजली-पानी या अन्य सुविधाएं देने का वादा करने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ अश्विनी उपाध्याय ने ऐसी ही एक याचिका में पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी। उन्होंने इसके माध्यम से मांग की थी कि मुफ्तखोरी के वादे करने वाले राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द किया जाए और इनके चुनाव चिन्ह भी जब्त कर लिया जाए।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने इस याचिका पर अमल करते हुए केंद्र व भारत निर्वाचन आयोग को नोटिस भी जारी किया था और अगले चार हफ्ते में जवाब मांगा था लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। अपनी टिप्पणी में कोर्ट ने कहा था कि यह एक गंभीर मसला है और इस पर सभी को मिल कर विचार करना चाहिए क्योंकि इससे मतदाता और चुनाव दोनों ही प्रभावित होते हैं लेकिन कोर्ट ऐसे मामलों में सीधे-सीधे कोई निर्णय नहीं ले सकता।

आज हमारे सामने अमेरिका और वेनेजुएला के रूप में ऐसे दो देशों के उदाहरण हैं जिनमें से एक तो सबसे अधिक समृद्ध होते हुए भी अपने किसी भी नागरिक को किसी भी प्रकार से मुफ्त का उपहार या मुफ्त का लालच देने से बचता है जबकि दूसरे उदाहरण में हमारे सामने वेनेजुएला जैसा एक ऐसा देश भी है जो पहले कभी एक समृद्ध देश हुआ करता था लेकिन इसकी आम जनता मुफ्तखोरी के लालच में आज बद से बदतर स्थित में पहुंच चुकी है। ऐसे दोनों ही उदाहरणों से हमें भविष्य के लिए न सिर्फ बच के रहना चाहिए बल्कि सरकारों को भी इसके लिए विवश करना चाहिए कि वे इस प्रकार की नीतियों से परहेज करें।

About The Author

admin

See author's posts

1,640

Related

Continue Reading

Previous: तीनों निगमों का एकीकरण इसलिए जरूरी…
Next: सच्चे साधक हैं आदित्यनाथ योगी

Related Stories

What does Manu Smriti say about the names of girls
  • कला-संस्कृति
  • विशेष

कन्या के नामकरण को लेकर मनुस्मृति क्या कहती है?

admin 9 May 2025
Harivansh Puran
  • अध्यात्म
  • विशेष

श्रीहरिवंशपुराण में क्या लिखा है?

admin 20 April 2025
ham vah hain jinakee pahachaan gaatr (shareer) se nahin apitu gotr (gorakshaavrat) se hai
  • विशेष
  • हिन्दू राष्ट्र

कोई राजनीतिक दल गाय के पक्ष में नहीं, अब ये स्पष्ट हो गया है 

admin 16 April 2025

Trending News

कन्या के नामकरण को लेकर मनुस्मृति क्या कहती है? What does Manu Smriti say about the names of girls 1

कन्या के नामकरण को लेकर मनुस्मृति क्या कहती है?

9 May 2025
श्रीहरिवंशपुराण में क्या लिखा है? Harivansh Puran 2

श्रीहरिवंशपुराण में क्या लिखा है?

20 April 2025
कोई राजनीतिक दल गाय के पक्ष में नहीं, अब ये स्पष्ट हो गया है  ham vah hain jinakee pahachaan gaatr (shareer) se nahin apitu gotr (gorakshaavrat) se hai 3

कोई राजनीतिक दल गाय के पक्ष में नहीं, अब ये स्पष्ट हो गया है 

16 April 2025
‘MAAsterG’: जानिए क्या है मिशन 800 करोड़? Masterg 4

‘MAAsterG’: जानिए क्या है मिशन 800 करोड़?

13 April 2025
हम वह हैं जिनकी पहचान गात्र (शरीर) से नहीं अपितु गोत्र (गोरक्षाव्रत) से है ham vah hain jinakee pahachaan gaatr (shareer) se nahin apitu gotr (gorakshaavrat) se hai 5

हम वह हैं जिनकी पहचान गात्र (शरीर) से नहीं अपितु गोत्र (गोरक्षाव्रत) से है

30 March 2025

Total Visitor

077474
Total views : 140814

Recent Posts

  • कन्या के नामकरण को लेकर मनुस्मृति क्या कहती है?
  • श्रीहरिवंशपुराण में क्या लिखा है?
  • कोई राजनीतिक दल गाय के पक्ष में नहीं, अब ये स्पष्ट हो गया है 
  • ‘MAAsterG’: जानिए क्या है मिशन 800 करोड़?
  • हम वह हैं जिनकी पहचान गात्र (शरीर) से नहीं अपितु गोत्र (गोरक्षाव्रत) से है

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved