अजय सिंह चौहान || मध्य प्रदेश के नीमच शहर से लगभग 18 कि.मी. की दूरी पर स्थित ‘भादवामाता धाम‘ माता का एक ऐसा मंदिर है जिसे मालवा की वैष्णो देवी के नाम से भी पहचाना जाता है। यह मंदिर और इसमें विराजित भादवामाता अपने आप में बहुत ही चमत्कारिक और दिव्य मानी जाती है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं का ऐसा विश्वास है कि भादवामाता के आशीर्वाद से लकवा, नेत्रहीनता और कोढ़ ग्रस्त कई रोगियों को लाभ मिलता है।
मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों के अनुसार इस मंदिर की सबसे बड़ी चमत्कारिक मान्यता यह है कि यहां माता भादवा हर रात इस मंदिर के गर्भ गृह से निकलकर मंदिर के आंगन में किसी एक समय में अदृश्य शक्ति के रूप में टहलने निकलतीं हैं और यहां आने वाले अपने भक्तों को आशीर्वाद देकर निरोगी बनाती हैं। इसी आस में मंदिर के परिसर में इधर-उधर डेरा डाले लकवा, नेत्रहीनता और कोढ़ से ग्रस्त कई ऐसे रोगी देखने को मिल जाते हैं जो निरोगी होने की उम्मीद लेकर चाहे अमीर हो या गरीब सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करके भादवा धाम में आते हैं।
मान्यता यह भी है कि टहलते समय माता की दया दृष्टी सबसे पहले जिस किसी श्रद्धालु पर भी पड़ जाती है वह सदा के लिए रोग मुक्त और सुखी हो जाता है। यहां आने वाले तमाम श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां से बहुत से भक्त रोग मुक्त होकर अपने घर खुशी-खुशी वापस जाते हैं। माता के इसी अद्भूत और दिव्य चमत्कार के कारण यहां सालभर लकवा, कोढ़ और नेत्रहीनता से पीड़ित देशभर के हजारों भक्तों का आना-जाना लगा रहता है।
इसके अलावा महामाया भादवामाता मंदिर के प्रांगण में एक ऐसी अति प्राचीन और चमत्कारी बावड़ी भी है जिसके बारे में मान्यता है कि इस बावड़ी के कारण माता का यह मंदिर आरोग्य तीर्थ के रुप में प्राचीनकाल से प्रसिद्ध है।
यहां प्रचलित लोक कथाओं और किस्से कहानियों के अनुसार जब से माता यहां विराजित हुई हैं तभी से यह बावड़ी भी अस्तित्व में आई है और माता ने खुद ही यहां आने वाले भक्तों को रोग मुक्त करने के लिए यहां जमीन से जल की धारा निकाली थी, इसलिए इस बावड़ी की भी विशेष मान्यता और पवित्रता के चर्चे होते हैं।
यहां प्रचलित मान्यताओं और लोककथाओं के अनुसार इस बावड़ी का जल अमृत के समान है। माता ने स्वयं कहा है कि जो भी श्रद्धालु इस बावड़ी के जल से स्नान करेगा, वह सदा के लिए रोग मुक्त हो जाएगा। यहां आने वाले तमाम श्रद्धालुओं का मानना है कि उन्होंने यहां माता के कई ऐसे चमत्कारों को महसूस किया है जिनको याद करके रोंगटे खड़े हो जाते हैं और उनको शब्दों में बताना बहुत मुश्किल है।
इस बावड़ी के पानी से ठीक हो जाते हैं लकवा और कोढ़ | Bhadwa Mata Neemuch
इस ‘भादवामाता धाम‘ मंदिर में एक और विशेष आकर्षण के केन्द्र के रूप में माता भगवती के सिंहासन के निकट एक ऐसी दुर्लभ ज्योति है जिसके बारे में किसी को भी नहीं मालूम कि यह ज्योति कब से यहां यूं ही अखण्ड प्रज्जवलित है। जबकि मंदिर के पुजारियों का मानना है कि यह ज्योति सैकड़ों सालों से इसी तरह अखण्ड प्रज्जवलित है।
मध्य प्रदेश के नीमच जिले में स्थित भादवामाता के इस मंदिर को विशेष धार्मिक मान्यता प्राप्त है। इसी कारण यह मंदिर प्रदेश के प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थलों में विशेष रूप से गिना जाता है।
भादवामाता का यह मंदिर मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में नीमच जिले में मनासा रोड पर नीमच शहर से 18 कि.मी. दूर है। राजस्थान के कोटा से इस मंदिर की दूरी लगभग 180 किलोमीटर, भीलवाड़ा से 120 किलोमीटर, मंदसौर से 70 किलोमीटर और उदयपुर से लगभग 135 किलोमीटर है। ट्रेन से जाने वाले यात्रियों के लिए नीमच के लिए ट्रेनों की अच्छी सुविधा है। नीमच रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी मात्र 24 किलोमीटर है। सड़क मार्ग से जाने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 59 नीमच को कई पड़ौसी शहरों और राज्यों से जोड़ता है। इसके अलावा भादवामाता मंदिर के लिए बसें भी आसानी से मिल जाती हैं। कई राज्यों के प्रमुख शहरों से यहां के लिए नियमित बसों की व्यवस्था है।