Skip to content
1 July 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • शिक्षा-जगत

हे अर्जुन, तुम जो दृश्य देख रहे हो यह कर्मों का फल है

admin 15 July 2023
street shop in india
Spread the love

कहा जाता है कि प्रत्येक मनुष्य को अपने कर्मों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। और यदि कोई व्यक्ति आज बुरे कर्म करता है तो उसको अगले जन्म में इसका फल भी अवश्य ही मिलता है। हमारे शास्त्रों में भी इस विषय पर कई प्रकार से कथाओं और कहानियों के माध्यम से समझाया गया है।

कर्मों के फल से व्यक्ति को कभी भी मुक्ति नहीं मिलती। संसार के प्रत्येक प्राणी को अपने कर्मों का फल हर हाल में भोगना ही पड़ता है। फिर चाहे उसके कर्म अच्छे हैं या बुरे। अच्छे कर्म होंगे तो उसका फल भी अच्छा मिलेगा, और अगर बुरे हुए तो उसक फल भी उतना ही बुरा मिलेगा। व्यक्ति के कर्म जैसे होते हैं उसको उसी के आधार पर भुगतना भी पड़ता है। यह बात और है कि कौन से कर्म का फल कब और कैसे मिलता है। इंसानों के पास भले ही इसका पैमाना नहीं है लेकिन, ईश्वर के पास इसका सारा लेखा-जोखा रहता है।

गरुड़ पुराण के अनुसार मनुष्य के द्वारा किये गये पुण्य और पाप रूपी समस्त प्रकार के कर्मों का अति सुक्ष्म तरीके से लेखा-जोखा निर्धारित किया जाता है। गरुड़ पुराण में इस बात का भी उल्लेख है कि व्यक्ति को अपनी मृत्यु के बाद कर्मों के आधार पर ही ‘‘स्वर्ग’’ और ‘‘नरक’’ की प्राप्ति होती है, और कर्मों के आधार पर ही अगले जन्म में किस रूप में और किस योनी में कहां और कब जन्म लेना है यह भी तय किया जाता है।

इसी विषय पर एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन अपना भेष बदल कर किसी नगर में भ्रमण कर रहे थे। उस भ्रमण के दौरान वे वहां कई प्रकार से लोगों की गतिविधियों और कार्यकलापों को देख रहे थे। तभी श्रीकृष्ण और अर्जुन की नजर एक हलवाई की दुकान पर पड़ी।

हलवाई ने दुकान का कुछ बासी खाना दुकान के पास में इक्कट्ठा कर रखा था। उस खाने के ढेर को देखकर एक कुत्ता बार-बार उसके पास आता और उसे खाने के लिए उसमें मुंह मारने का प्रयास करता। लेकिन, वो हलवाई उसे डंडे से मार कर भगा देता। कुत्ता जोर-जोर से रोता हुआ भाग जाता और दूर से देखता रहता। अवसर मिलते ही वह फिर से उसे खाने आता, लेकिन, हलवाई उसे फिर से भगा देता।

यह दृश्य देख कर अर्जुन को दुःख हो रहा था, लेकिन कृष्ण मुस्कुरा रहे थे। श्रीकृष्ण को मुस्कुराते देख अर्जुन ने आश्चर्य से उनके मुस्कुराने का कारण पूछा। इसके उत्तर में श्रीकृष्ण ने कहा – हे अर्जुन! तुम जो यह दृश्य देख रहे हो यह कर्मों का फल है।

इस पर अर्जुन ने पूछा कि -हे श्रीकृष्ण! कृपया मुझे यह बतायें कि यहां जो दृश्य दिख रहा है उसमें कर्मों का फल क्या और कैसे है?

इस पर श्रीकृष्ण ने बताया कि तुम जिस हलवाई की दुकान को देख रहे हो यह दुकान एक बहुत ही प्रसिद्ध हलवाई की हुआ करती थी। उस हलवाई ने अपने इस काम से बहुत सारा धन कमाया था, किन्तु उसका बर्ताव अपने कर्मचारियों और नाते-रिश्तेदारों से बहुत बुरा था और उन्हें हर समय अपशब्द कहता रहता था। अपने कर्मचारियों को वो ठीक से भोजन भी खाने को नहीं देता था। साथ ही सभी की बहुत बेज्जती भी करता रहता था।

उसके उन्हीं पिछले जन्म के कर्मों का फल है कि आज वह अपनी ही दुकान के आगे कुत्ता बन कर भोजन के लिए तरस रहा है। यह कुत्ता वही नामी हलवाई है और इस दुकान में जो वर्तमान मालिक दिख रहा है वो उसी का बेटा है। तुम जो उस कुत्ते को अभी मार खाते देख रहे हो, ये उसके पिछले जन्म के कर्मों की सजा है जिसे वह आज भुगत रहा है।

और क्योंकि किसी भी मनुष्य और पशु या पक्षी में इतनी क्षमता नहीं है कि वह अपने पिछले जन्म और कर्मों के विषय में कुछ भी याद रख सके, इसलिए न तो उस कुत्ते को इस बात की जानकारी है कि उसने अपने पिछले जन्म में क्या किया था और न ही इस हलवाई को इस बात का आभाष हो रहा है कि वह जो आज कर रहा है उसे भी अगले जन्म में इसक फल भोगना ही पड़ेगा।

इस कहानी से हमें यहां यही शिक्षा मिलती है कि किसी भी व्यक्ति को अपने कर्मों के साथ-साथ अपनी वाणी पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि मनुष्य सिर्फ अपने शरीर से ही कर्म नहीं करता बल्कि अपनी वाणी के दम पर भी कर्म करता है, अर्थात अपशब्द कह कर भी दुसरों को दुखी कर सकता है। और हर प्रकार के पापों का फल उसे अगले जन्म में भोगना ही होता है। तभी तो एक कहावत भी है कि “जो जैसा बोता है वैसा ही काटता है”।

About The Author

admin

See author's posts

550

Related

Continue Reading

Previous: Water On Earth: जल की उत्पत्ति कब और कैसे हुई? क्या कहता है विज्ञान और सनातन
Next: पैसे कमाने और खर्च करने तक, क्या कहते हैं भगवान श्रीकृष्ण

Related Stories

Vidvaan Brahman
  • भाषा-साहित्य
  • विशेष
  • शिक्षा-जगत
  • हिन्दू राष्ट्र

विद्वान ब्राह्मण एक फलदार वृक्ष के समान होता है

admin 19 June 2024
Think about
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • शिक्षा-जगत

हमारा विनाश कव शुरू हुआ था?

admin 5 June 2024
Primary schooling method changed in European countries
  • पर्यावरण
  • विशेष
  • शिक्षा-जगत

यूरोपीय देशों में अब प्राइमरी स्कूलिंग का तरीका बदला

admin 28 May 2024

Trending News

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास Natural Calamities 1

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

28 May 2025
मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है? 2

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

27 May 2025
आसान है इस षडयंत्र को समझना Teasing to Girl 3

आसान है इस षडयंत्र को समझना

27 May 2025
नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह Nave Word Medal 4

नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह

26 May 2025
युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है? war-and-environment-in-hindi 5

युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

23 May 2025

Total Visitor

078231
Total views : 142679

Recent Posts

  • वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास
  • मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?
  • आसान है इस षडयंत्र को समझना
  • नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह
  • युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved