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Pollution: अब तो समुद्र के अंदर भी दिखने लगा जलवायु परिवर्तन का असर

admin 23 July 2023
pollution in sea water in hindi
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पिछले करीब दो दशकों से पृथ्वी के महासागरों के पानी में रंग काफी बदलता जा रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस बदलाव के पीछे जलवायु परिवर्तन एक बड़ी वजह बन रहा है। हालांकि यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया है कि समुद्र के पारिस्थितिक तंत्र में यह बदलाव क्यों हो रहे है।

हालांकि समुद्र के अंदर दिखने वाले इस जलवायु परिवर्तन के असर का पता लगाने वाली टीम का मानना है कि निश्चित रुप से इसके लिए मानव की गतिविधियां और और जलवायु परिवर्तन ही जिम्मेदार हैं। वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक और सेंटर फाॅर ग्लोबल चेंज साइंस की सह-लेखक स्टेफनी ने अपने बयान में कहा है कि ‘मैं वर्षों से यह कार्य कर रही हूं, इसलिए मुझे पता है कि समुद्र के रंग में बदलाव होते जा रहे हैं। और असल में ऐसा होते देखना मेरे हिसाब से हैरान करने वाला ही नहीं बल्कि भयानक भी है।’

देखा जाये तो आज के समय में जलवायु परिवर्तन ने हमारी पृथ्वी के महासागरों के करीब-करीब 56 फीसदी हिस्से को प्रभावित कर दिया है। हमें सोचना चाहिए कि यह प्रतिशत हमारे ग्रह की कुल भूमि और क्षेत्राफल से भी अधिक है। हमारे महासागरों का रंग और इसके पानी में मौजूद खनिजों और जीवों का रिफ्लेक्शन (प्रतिबिंब) होता है। समुद्र के पानी के रंग में होने वाले बदलाव को इंसानी आंखों से नहीं देखा जा सकता है, लेकिन आंकड़ों के अनुसार यह स्पष्ट है कि समुद्र के अंदरूनी वातावरण और परिस्थितियों में बहुत तेजी से परिवर्तन हो रहा है।

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वैज्ञानिकों का कहना है कि समुद्र के पानी की ऊपरी परतों के रंग में क्या है इसका आकलन करने के लिए हरा पानी फाइटोप्लांकटन नामक पौधे जैसे रोगाणुओं के बारे में संकेत देता है क्योंकि, इसमें पत्तों को हरा रंग देने वाला क्लोरोफिल होता है। सूर्य के प्रकाश के जरिए फाइटोप्लांकटन प्रकाश संश्लेषण करता है और ये पौधे छोटे मछलियों का भोजन बनते हैं और वे बड़ी मछलियों का पेट भरते हैं।

वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रकाश संश्लेषण के जरिये पौधे वायुमंडल से कार्बन डाइआक्साइड को खींच सकते हैं। लेकिन, क्योंकि यह एक प्रमुख ग्रीनहाउस गैस है, इसलिए वैज्ञानिकों को जलवायु परिवर्तन के कारण इसकी प्रतिक्रिया की निगरानी करनी पड़ती है। राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक और शोध के प्रमुख लेखक बी.बी. कैल का कहना है कि समुद्र के रंग में बदलाव मनुष्यों की गतिविधियों के कारण है और इससे पर्यावरण को पहुंचाए जा रहे नुकसान को साफ देखा जा सकता है। वैज्ञानिकों के कहा कि इस शोध के लिए हमने एक्वा सैटेलाइट के करीब 20 वर्षों के डेटा का आंकलन किया है।

– कार्तिक चौहान

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