अक्सर हम लोग सुनते हैं कि भारत के खिलाफ ‘डिजिटल वार’ लड़ा जा रहा है। और इस ‘डिजिटल वार’ में फेसबुक पर एक समुदाय विशेष के बारे में सच लिखने पर कोई व्यक्ति नहीं बल्कि खुद फेसबुक ही आपत्ति उठाता है और उस पेज को या उस प्रोफाइल को बंद कर देता है या फिर उस पोस्ट, फोटो को या उस वीडियो को वहां से खुद ही हटा देता है। या फिर एक और बात देखने को मिलती है कि फेसबुक उस पोस्ट को ना तो हटाता है और ना ही ब्लाॅक करता है, लेकिन, उसे जनता में यानी आम लोगों तक पहुंचने ही नहीं देता है और किसी एक कोने में स्टोर करके रख देता है। ताकि वो सामग्री या वो जानकारी ना तो आगे बढ़ सके और ना ही आम लोगों तक पहुंचा सके।
ठीक इसी प्रकार से यू-ट्यूब पर भी कई बार ऐसे वीडियोज को हटा दिया जाता है जो एक विशेष संप्रदाय या धर्म के बारे में सच लिखने पर होता है और यही समस्या ट्यूटर पर भी देखने को मिलती है। उदाहरण के लिए सोशल मीडिया पर हो रहे इस प्रकार के दूष्प्रचार और घृणा के इस खेल का अब तक का सबसे बड़ा और ताजा उदाहरण खुद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का है। जिसमें उन्हीं के देश की कंपनियों ने उन्हें फेसबुक, यू-टयूब और ट्यूटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर से हटा दिया।
दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उदाहरणों में भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी का है। प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी के बारे में बात करें तो इन्हीं फेसबुक, यू-टयूब और ट्यूटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उनके खिलाफ षड्यंत्रों वाले तमाम उदहरण हजारों नहीं बल्कि लाखों की संख्या में अपने आप ही आपके सामने आ जाते हैं। लेकिन, वहीं, अगर आप मोदी के काम की तारीफ वाले किसी उदाहरण को खोजेंगे तो वे किसी कोने में ऐसे पड़े हुए मिलेंगे जिनको कोई न तो जानता है और ना ही किसी ने देखा होगा।
अब अगर देश ही नहीं बल्कि दुनिया के कुछ महान और दिग्गज लोगों या देशों के नेताओं को लेकर इन सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर इतना घृणित दूष्प्रचार हो रहा है तो भला एक आम आदमी के बारे में आप क्या सोचेंगे?
दरअसल, हमारे सामने आज फेसबुक, यू-टयूब, ट्यूटर जैसे जितने भी सोशल मीडिया के दिग्गज प्लेटफार्म हैं वे सब के सब विदेशी कंपनियों के हैं। यानी ऐसे देशों की कंपनियों के हैं जिनकी पकड़ वामपंथी, मार्कसवादी या फिर उन विदेशी धर्म या समुदाय के लोगों के हाथों हैं, और उन विदेशी कंपनियों यानी फेसबुक, यू-टयूब, ट्यूटर की मदद वे लोग कर रहे हैं जो भारत के ही ऐसे लोग हैं जो उनकी विचारधारा ओर धर्म को शत-प्रतिशत मानते हैं।
अब बात आती है कि आखिर सोशल मीडिया के दिग्गज प्लेटफार्म पर ये खेल होता कैसे है? हर रोज इतने वीडियो और इतने पोस्ट डाले जाते हैं तो फिर क्या वे उन सब को देखकर ही फैसला लेते होंगे?
तो इसके लिए यहां सबसे सटीक उत्तर ये है कि वे लोग उन सब पोस्ट को देखकर फैसला नहीं लेते, बल्कि, उनके पास इसके लिए ऐसी साफ्टवेयर तकनीक होती है जिसके द्वारा वे लोग इन सभी प्लेटफार्म पर उनके खिलाफ होने वाले षड्यंत्रों को रोकने में वे कामयाब हो जाते हैं। जबकि अगर भारत को अपने खिलाफ होने वाले षड्यंत्रों को रोकना होता है तो उसमें सिर्फ और सिर्फ उन एप्स या प्लेटफार्म को या तो कानूनी तौर पर प्रतिबंधित करना पड़ता है या फिर उसका सामाजिक बहिस्कार करना होता है।
लेकिन, भारत में इन सब के लिए ना तो अब तक कानूनी प्रतिबंध सफल हो पाये हैं और ना ही सामाजिक बहिस्कार। कारण यही है कि उनकी विचारधारा और धर्म के लोगों की संख्या इतनी है कि न तो वे उन कानूनी प्रतिबंधों को अब मानते हैं और ना ही उनका सामाजिक बहिस्कार ही स्वीकार करते हैं।
अब अगर हम इसी सोशल मीडिया पर भारत के खिलाफ होने वाले षड्यंत्रों के बारे में बात करें तो इसमें सबसे खास और महत्वपूर्ण बात ध्यान देने वाली ये है कि अगर आप भारत से जुड़ी कोई भी ऐसी खबर, जानकरी या वीडियो अथवा फोटो आदि को इनमें से किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर डालते हैं या साझा करते हैं जिसमें भारत को बदनाम करने वाली होती है या फिर हिन्दू धर्म को बदनाम करने वाली होती है अथवा मोदी सरकार को नीचा दिखाने वाली होती है तो ना तो उस सामग्री को हटाया जाता है और ना ही उसे ब्लाॅक किया जाता है। बल्कि इन प्लेटफार्म के सर्च इंजन या टैग प्रबंधन इतने शक्तिशाली होते हैं कि भारत विरोधी ऐसी किसी भी सामग्री को वे मिनटों में दूनिया के सामने खुद ही पहुंचा देते हैं।
अब यहां सवाल ये उठता है कि ऐसा कैसे संभव है? और ये सर्च इंजन और टैग प्रबंधन क्या होता है? कैसे इनके माध्यम से भारत विरोधी सामग्री को फैलाया जाता है और कैसे इनके माध्यम से पश्चिमी देशों की सच्चाई को जानने से रोका जाता है? तो यहां हम सबसे आसान और सबसे कम शब्दों में बताने की कोशिश करें तो वो ये कि, दरअसल, इन सोशल मीडिया के दिग्गज प्लेटफाॅर्म पर इन्हीं पश्चिमी देशों के पूंजीपतियों का कब्जा या मालिकाना हक है। इसीलिए सोशल मीडिया के ये प्लेटफाॅर्म उन पश्चिमी देशों की ऐसी घृणित मानसिकता की उपज है जो हर अवसर पर भारत का विरोध करते रहते हैं।
ये सच है कि पश्चिमी देश हर उस अवसर की तलाश में रहते हैं जिससे कि भारत को कमजोर किया जा सके, और उनकी इन्हीं गतिविधियों में आजकल सोशल मीडिया भी एक बहुत बड़ा हथियार बनता जा रहा है।
अब सवाल आता है कि ‘सर्च इंजन’ और ‘टैग’ क्या होता है और कैसे इनके माध्यम से वे इतने बड़े सोशल मीडिया नेटवर्क को भारत विरोधी गतिविधियों में इस्तमाल करते हैं और कैसे वे अपने देशों का बचाव करते हैं?
दरअसल, इंटरनेट की भाषा में यही है भारत के खिलाफ लड़ा जा रहा ‘डिजिटल वार’। और इसी ‘डिजिटल वार’ में इन कंपनियों का जो सबसे मजबूत हथियार है वो है इन सोशल मीडिया प्लेटफार्मस के ‘सर्च इंजन’ और ‘टैग्स’।
‘टैग’ इंटरनेट की दुनिया के लिए एक ऐसा सिस्टम है, जिसकी मदद से हममें से कोई भी व्यक्ति या संस्थान अपनी वेबसाइट, ट्यूटर, फेसबुक या यू-टयूब पर डाली गई ऐसी किसी भी जानकारी या सामग्री को खोजते हैं। इसे और आसान शब्दों में कहें तो कुछ विशेष प्रचलित शब्दों या प्रश्नों या उत्तरों के माध्यम हम देश या दुनिया के किसी भी हिस्से की जानकारी को खोज सकते हैं, और उसी को इंटरनेट की भाषा में ‘टैग’ कहा जाता है। जैसे की किसी दूकान में बिक रहे सामन के साथ उस सामन के बारे में जानकारी वाला लेबल होता है, वही दूसरी भाषा में टैग है। और क्योंकि सोशल मीडिया के ये प्लेटफाॅर्म उन्हीं ‘टैग्स’ के साथ कुछ इस तरह से खेलते हैं कि हम और आप इसको कभी जान ही नहीं पाते कि आखिर ऐसा क्यों होता है?
– अजय चौहान