Skip to content
7 July 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • भ्रष्टाचार
  • राजनीतिक दल
  • विशेष

काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती…

admin 4 September 2022
Drinking water in Delhi and problems
Spread the love

देश की राजधानी दिल्ली में सियासत ऐसे मुकाम पर पहुंच गई है जिसे ‘छिछोरगिरी’ की पराकाष्ठा कहा जा सकता है। जो लोग कभी डीगें मारते हुए कहते थे कि वे सिर्फ देश एवं समाज बनाने के लिए आये हैं, किन्तु राजनीति में आने के बाद उनकी कार्यप्रणाली एवं सोच पहले से स्थापित राजनीतिक दलों से भी बहुत गई-गुजरी निकली। पहले से स्थापित दलों में लाख कमियों के बावजूद कुछ तो राजनीतिक संस्कार हैं ही किन्तु दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार एवं पूरी पार्टी राजनीतिक मर्यादाओं एवं संस्कारों को एकदम ताक पर रख चुकी है।

आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल जब से पार्टी बनी है, तब से पार्टी का मुखिया बने हुए हैं। इस दौरान भारतीय जनता पार्टी में कई लोग अध्यक्ष बन चुके हैं। इस दृष्टिकोण से देखा जाये तो व्यक्तिवादी राजनीति को आगे बढ़ाने में अरविंद केजरीवाल एवं आम आदमी पार्टी की भूमिका अन्य दलों से कम नहीं है।

हिन्दुस्तान की राजनीति में अभी तक जितने भी घिसे-पिटे फार्मूले रहे हैं, उन पर आम आदमी पार्टी न सिर्फ चलने का काम कर रही है बल्कि उन्हें आगे बढ़ाने में अन्य दलों से बहुत आगे है। आजकल धर्मनिरपेक्षता के नाम पर तुष्टीकरण का खेल देश में बहुत तेज चल रहा है। अल्पसंख्यक समाज के किसी व्यक्ति के साथ यदि कोई दुर्घटना हो जाती है तो वहां अरविंद केजरीवाल जरूर पहुंचते हैं, साथ ही आर्थिक मदद भी करते हैं किन्तु बहुसंख्यक यानी हिंदू समाज के किसी व्यक्ति या बहन-बेटी के साथ कोई अप्रिय घटना हो जाती है तो वहां जाने में ऐसे भयभीत हो जाते हैं जैसे उनकी राजनीति ही समाप्त हो जायेगी या फिर अल्पसंख्यक समाज के वोटर नाराज हो जायेंगे।

राजधानी दिल्ली में अल्पसंख्यक समाज के मतदाताओं को साधने के लिए मौलवियों को वेतन दे रहे हैं किन्तु मंदिरों के पुजारियों के लिए उनके पास कोई योजना नहीं है। ऐसी स्थिति में कहा जा सकता है कि मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति या यूं कहें कि सांप्रदायिकता को आगे बढ़ाने में अरविंद केजरीवाल अन्य सेकुलर दलों को बहुत पीछे छोड़ चुके हैं। कुल मिलाकर कहने का आशय यही है कि अलग रजनीति का दंभ भरने वाली पार्टी के पास पहले से चली आ रही घिसी-पिटी राजनीति या यूं कहें कि रूटीन राजनीति पर चलने के अलावा कुछ भी नया नहीं है।

जहां तक दिल्ली के विकास की बात की जाये तो दिल्ली सरकार राजधानी दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी के साथ-साथ राष्ट्रीय शराबी राजधानी बनाने पर तुली हुई है। विपक्ष कितना भी शराब के ठेकों का विरोध कर ले किन्तु दिल्ली सरकार को शराब सिर्फ कमाऊ पूत के रूप में ही नजर आता है। आबकारी नीति के संदर्भ में दिल्ली सरकार ने अपना स्तर इतना गिरा लिया कि उसने शराब उत्पादकों को ही वितरक बना दिया जबकि शराब उत्पादक वितरक नहीं हो सकता है। सारे नियमों-कानूनों को ताक पर रखकर पंजाब के शराब उत्पादकों को वितरक बनाया गया।

MUFTKHOR-DELHI-KI-JANTAपूरे देश में सबसे बड़े विज्ञापनबाज के रूप में शुमार अरविंद केजरीवाल बांग्लादेशी एवं रोहिंग्या घुसपैठियों की मदद करने में सबसे आगे हैं किन्तु उन्हें इस बात की जरा भी परवाह नहीं है कि इन्हीं घुसपैठियों की वजह से दिल्ली एवं पूरा देश बारूद के ढेर पर बैठा है। देश की आंतरिक सुरक्षा खतरे में है। कई स्थानों पर हुई घटनाओं में यह सब देखने एवं सुनने को मिल भी चुका है।

मुस्लिम तुष्टीकरण, मौलवियों को वेतन, घुसपैठियों एवं टुकड़े-टुकड़े गैंग के प्रति सहानुभूति की चर्चा जब सर्वत्र होने लगती है तो केजरीवाल तिरंगा झंडा लेकर कट्टर देशभक्त होने की नौटंकी करने लगते हैं जबकि कट्टर देशभक्त को कभी यह बताने की जरूरत ही नहीं पड़ती कि वह कट्टर देशभक्त है। उदाहरण के तौर पर यदि कोई अंजान व्यक्ति आधी रात को कहीं पर खड़ा होकर ‘भारत माता की जय’ एवं ‘वंदे मातरम’ के नारे लगा दे तो लोग यही कहेंगे कि भाजपा या संघ परिवार के लोग आ गये हैं।

ऐसी स्थिति में कोई यह नहीं कहेगा कि आम आदमी पार्टी एवं कांग्रेस के लोग आ गये क्योंकि सार्वजनिक स्थानों पर कांग्रेस एवं आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता ‘भारत माता की जय’ एवं ‘वंदे मातरम’ बोलने से कतराते हैं क्योंकि उन्हें यह अच्छी तरह पता है कि ऐसा करने से उनके वोटर नाराज हो सकते हैं। सही मायनों में विश्लेषण किया जाये तो इसे तुष्टीकरण नहीं तो और क्या कहा जायेगा?

राजधानी दिल्ली को शराब की राजधानी बनाकर यहां के बच्चों एवं युवाओं का भविष्य खराब करने का कार्य करने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री पूरे देश में घूम कर कह रहे हैं कि हम बच्चों का भविष्य बनाने आये हैं। यह काम तो आप दिल्ली में भी कर सकते हैं। दिल्ली तो संभल नहीं रही है, चले हैं देश संभालने। इसी को कहते हैं, ‘आधी छोड़ पूरी को धावे, न आधी मिले न पूरी पावै’ यानी जो काम दिल्ली वालों ने अरविंद केजरीवाल को दिया है, उसे करने के बजाय उन्हें पूरे देश को सुधारना है। इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है?

अपने देश में एक पुरानी कहावत है कि ‘काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती है।’ विज्ञापनों के सहारे कब तक अपनी कमियों को छिपाओगे दिल्ली के मुख्यमंत्री? जनता धीरे-धीरे अब आप को अच्छी तरह समझ चुकी है। अब आपके बहकावे में दिल्ली के लोग आने वाले नहीं हैं। जल बोर्ड़ का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। बिजली कंपनियों को दी जाने वाली सब्सिडी में भी लगातार इजाफा होता जा रहा है। मुफ्त बिजली-पानी के नाम पर लोगों को छलने का काम किया जा रहा है। बिजली एवं पानी के भारी-भरकम बिल लोगों को भेजे जा रहे हैं।

आम आदमी पार्टी से देश को एक बड़ा खतरा यह भी है कि वह लोगों की आदतें खराब करने में लगी है। यदि कोई व्यक्ति हर दृष्टि से अभाव में हो तो उसकी मदद की जा सकती है किन्तु यदि कोई व्यक्ति स्वभाव से ही अभावग्रस्त हो तो उसकी मदद किसी भी रूप में नहीं की जा सकती है क्योंकि अभाव की कमी तो पूरी की जा सकती है किन्तु स्वभाव से अभावग्रस्त व्यक्ति की समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता है।

राजधानी दिल्ली में बसों में महिलाओं के लिए यात्रा मुफ्त भले ही है किन्तु राजधानी दिल्ली की सड़कों पर दौड़ रही अधिकांश खटारा बसें दिल्ली की पहचान बन चुकी हैं। इस प्रकार यदि देखा जाये तो दिल्ली सरकार दिल्ली को सजाने-संवारने में सर्व दृष्टि से नाकाम रही है और यह सब जनता की समझ में आ भी चुका है। निश्चित रूप से दिल्ली सरकार का भांडा फूटने वाला ही है और ‘काठ की हांडी’ अब नहीं चढ़ने वाली है। दिल्ली सरकार दिल्ली से जितनी जल्दी जाये, उतना ही दिल्लीवासियों के हित में है। यह बात हर दिल्लीवासी के मन में घर कर चुकी है। केवल इंतजार है तो सिर्फ वक्त का…।

– हिमानी जैन

About The Author

admin

See author's posts

797

Related

Continue Reading

Previous: सरकारी अस्पतालों में मशीनें खराब क्यों रहती हैं?
Next: विश्व शांति के लिए दुनिया को अपने पीछे चलाना ही होगा…

Related Stories

Natural Calamities
  • विशेष
  • षड़यंत्र

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

admin 28 May 2025
  • विशेष
  • षड़यंत्र

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

admin 27 May 2025
Teasing to Girl
  • विशेष
  • षड़यंत्र

आसान है इस षडयंत्र को समझना

admin 27 May 2025

Trending News

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास Natural Calamities 1

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

28 May 2025
मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है? 2

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

27 May 2025
आसान है इस षडयंत्र को समझना Teasing to Girl 3

आसान है इस षडयंत्र को समझना

27 May 2025
नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह Nave Word Medal 4

नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह

26 May 2025
युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है? war-and-environment-in-hindi 5

युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

23 May 2025

Total Visitor

078375
Total views : 143058

Recent Posts

  • वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास
  • मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?
  • आसान है इस षडयंत्र को समझना
  • नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह
  • युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved