अजय सिंह चौहान || संपूर्ण उत्तर भारत और खास तौर से हिन्दी प्रदेशों में श्री मेहंदीपुर बालाजी धाम राम भक्त श्री हनुमान जी का एक सिद्ध और बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है। यह मंदिर सबसे अधिक इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि मान्यता है कि यहां के बालाजी यानी हनुमान जी में कुछ अद्भूत चमत्कारी शक्तियां निवास करतीं है और उन्हीं चमत्कारी शक्तियों के द्वारा यहां कई महिलाओं और पुरूषों को ऊपरी बाधा यानी प्रेतआत्माओं से मुक्ति मिल जाती है। अपनी इन्हीं मान्यताओं और चमत्कारी शक्तियों के कारण देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर से कई श्रद्धालु यहां मत्था टेकने और भगवान बालाजी के दर्शन करने आते हैं।
श्री बालाजी का यह मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित मेंहदीपुर नामक एक छोटे से स्थान पर है, इसीलिये यहां बालाजी को मेंहदीपुर बालाजी कहा जाता है। यह मंदिर कब और कैसे अस्तित्व में आया इस बारे में कोई निश्चित प्रमाण नहीं है। हालांकि, मंदिर का इतिहास लगभग 1,000 वर्ष से भी अधिक का बताया जाता है। श्री बालाजी की मूर्ति को स्वयंभू माना जाता है, यानी भगवान बालाजी की यह मूर्ति यहां अपने आप प्रकट हुई थी।
दो पहाड़ियों के बीच स्थित यह मंदिर बहुत ही आकर्षक लगता है। इसके अलावा शहरों की भीड़ से दूर यह स्थान और यहां की जलवायु एक दम शुद्ध है इसलिए यह स्थान मन को आनंद प्रदान करती है। इसके अलावा यहां राजस्थान की कला और संस्कृति और खान-पान को भी नजदीक से देखने और जानने का अवसर मिलता है।
यदि आप श्री मेहंदीपुर बालाजी धाम के दर्शनों के लिए जाने का मन बना रहे हैं तो सबसे पहले तो हम आपको बता दें कि यहां जाने के लिए आपको सबसे पहले तो ध्यान देना होगा कि प्रत्येक मंगलवार और शनिवार के दिन इस मंदिर में श्रद्धालुओं और भक्तों की भीड़ बहुत अधिक होती है। इसके अलावा मंदिर में प्रति दिन आरती के समय सुबह 6 बजे और शाम को 6 बजे भी यहां भारी भीड़ जमा हो जाती है। अगर आपको यहां की भीड़-भाड से बचना हो तो शनिवार और मंगलवार के दिन को छोड़कर बाकी दिनों में ही यहां जाना चाहिए।
श्री मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का माहौल और यहां के दृश्य, देश के अन्य मंदिरों से कुछ हट कर दिखाई देते हैं और कुछ अलग ही महसूस भी होते हैं इसलिए इस मंदिर के कुछ नियम भी अन्य मंदिरों से हटकर हैं।
श्री बालाजी धाम पहुंचकर यहां मुख्य मंदिर में श्री बालाजी महाराज के दर्शन करने के बाद मंदिर से बाहर निकले ही पास ही में भैरव बाबा का मंदिर भी है। इस मंदिर की परंपरा के अनुसार भैरव बाबा के मंदिर में दर्शन करने के बाद कुछ कदम आगे बढने पर सीढिया चढ़कर श्री प्रेतराज सरकार के मंदिर में भी जाना होता है जहां श्री प्रेतराज सरकार के दर्शन होते हैं। श्री प्रेतराज सरकार के मंदिर का नजारा थोड़ा डरावना सा लगने लगता है। यहां कई महिलाओं और पुरूषों को प्रेतआत्माओं से जूझते हुए देखा जा सकता है।
दरअसल श्री मेंहदीपुर बालाजी धाम का यह मंदिर ऊपरी हवा और भूत-प्रेत जैसे कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला हनुमान जी का एक विशेष मंदिर माना जाता है। इसलिए, यहां कई पीड़ित महिलाओं और पुरुषों को तरह-तरह की हरकतें करते हुए और चिल्लाते या बड़बड़ाते हुए भी देख सकते हैं। खास कर जब मंदिर में श्री बालाजी की आरती होती है उस समय तो ऐसे पीड़ितों की छटपटाहट यहां आने वाले कई लोगों को विचलित भी कर देती है। भूत-प्रेत और ऊपरी हवा के कष्टों से पीड़ित लोगों को यहां जंजीरों में जकड़े हुए देखना भी आम बात है।
मंदिर के बारे में कहा जाता है कि सैकड़ों साल पहले अरावली पर्वत पर संकटमोचक श्री हनुमान व प्रेतराज की मूर्तियां एक साथ प्रकट हुई थीं। स्थानिय लोगों को जब यहां चमत्कार के तौर पर भूत-प्रेत और ऊपरी हवा के कष्टों से धीरे-धीरे छुटकारा मिलने लगा तो दूर-दूर तक इसकी चर्चा और आस्था बढ़ती चली गई, और आज तो यह एक विश्व प्रसिद्ध मंदिर बन चुका है।
श्री प्रेतराज सरकार के मंदिर में हर दिन दोपर के 2 बजे से 4 बजे तक श्री प्रेतराज सरकार की अदालत लगती है। मान्यता है कि उस अदालत के माध्यम से श्री प्रेतराज सरकार उन महिलाओं और पुरूषों के शरीर से प्रेतआत्माओं को बाहर निकलकर उन्हें ठीक कर देते हैं इसलिए यहां ऐसे पीढ़ितों को इलाज के लिए दूर-दूर से लाया जाता है।
जो श्रद्धालु इस मंदिर में पहली बार आये होते हैं उनमें से अधिकतर तो यहां भगवान श्री प्रेतराज सरकार के मंदिर के दृश्यों को देखने के बाद विचलित होकर जल्दी से जल्दी यहां से निकलने की कोशिश करते हैं।
यहां हम आपको बता दें कि दूर दराज से आने वाले अधिकतर लोग अपने पीढ़ित रिश्तेदारों को इस मंदिर में आस्था और मजबुरी के कारण प्रेत आत्माओं से छूटकारा दिलाने के लिए यहां लाते हैं। लेकिन, यहां हमने कुछ ऐसी महिलाओं को भी देखा है जिनको देखकर लगता है मानो वे महिलायें यहां पैसे लेकर इस मंदिर का प्रचार करने के लिए अपने ऊपर भूत-पे्रत या ऊपरी हवा होने का दिखावा कर रहीं थीं। और इस विषय पर कई बार स्थानीय अखबारों में कुछ खबरें भी प्रकाशित हो चुकीं हैं।
आपको बता दें कि अगर आप भी यहां किसी प्रेत आत्माओं से संबंधित महिला या पुरूष को इलाज के लिए ले जाते हैं तो ध्यान रखें कि यहां किसी भी प्रकार का कोई पंडित, पुजारी या ओझा जैसा कोई विशेष व्यक्ति या फिर ऐसी कोई पूजा-पाठ किसी भी व्यक्ति के द्वारा नहीं करवाई जाती है और ना ही कोई सामग्री का खर्च करना पड़ता है इसलिए आप यहां किसी भी पंडित, पुजारी या ओझा जैसे व्यक्ति के झांसे में ना पड़े और अपने उस पीड़ित व्यक्ति को श्री प्रेतराज सरकार के मंदिर में सीधे लेकर जायें और मंदिर में लगी दान पेटी में आप कम से कम 11 रुपये का या जो भी आपसे बन सकता है उतना दान के रूप में डाल दें।
यहां मान्यता है कि अगर आप ने यदि अपने घर पर किस भी समय कोई दरख्वास्त या मन्नत मांगी हो तो उसके लिए भी आप इस मंदिर में पहंुच कर मात्र 11 रुपये या अपनी श्रद्धा के अनुसार कुछ राशि उस दान पेटी में डाल दें और बालाजी महाराज का धन्यवाद कर दें।
खास तौर पर बालाजी के इस मंदिर में जाकर ध्यान रखें कि वहां आप किसी और के द्वारा दिया गया प्रसाद ना खायें और ना ही अपना प्रसाद किसी दूसरे को खिलायें। क्योंकि हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि किसी भी प्रकार की मिठाई या फिर सुगंधित चीजें उन नकारात्मक शक्तियों को सबसे अधिक आकर्षित कर सकती हैं।
यहां यह मान्यता है कि जो भुत प्रेत से बाधित या संकट ग्रस्त लोग हैं, उन्हें और उनके परिजनों को किसी भी प्रकार की कोई मीठी चीज या प्रसाद लेकर मंदिर में नहीं जाना चाहिए, और ना ही वहां का प्रसाद भी अपने साथ घर पर लाना चाहिए, इसलिए आप वहां प्रसाद उतना ही खरिदें जितना की आप स्वयं वहां उसे खा सकें।
इस मंदिर से जुड़ी एक और मान्यता है कि अगर आप मेंहदीपुर बालाजी धाम के इस मंदिर के दर्शनों के लिए जा रहे हैं तो उसके बाद आप वापसी में कहीं ओर ना जाकर सीधे घर ही पहुंचे। हालांकि, इस मान्यता के पीछे का कारण क्या है यह ज्ञात नहीं है, इसलिए यह आपकी अपनी श्रद्धा और आस्था का विषय है कि आप इसे माने या ना माने।
इस मंदिर के आस-पास और भी कई छोटे-बड़े मंदिर देखने को मिल जाते हैं, जिनमें अंजनी माता मंदिर, काली माता का मंदिर, पंचमुखी हनुमान जी का मंदिर और भगवान गणेश जी का मंदिर प्रमुख हैं। इसके अलावा यहां पास ही में एक और महत्वपूर्ण स्थान है, वह है समाधि वाले बाबा। यह समाधि श्री बालाजी मंदिर के सबसे पहले महंत की मानी जाती है।