अमृति देवी | हर व्यक्ति जन्म से मृत्यु तक के अपने सफर में अलग-अलग प्रकार की उलझनों से घिरा रहता है। व्यक्ति के मन में न जाने ऐसी कितनी ही आकांक्षाएं यानी इच्छाएं होती हैं जिनका पीछा या तो वह खुद कर रहा होता है या फिर वे इच्छाएं खुद भी उसका पीछा कर रही होती हैं। लेकिन, व्यक्ति का मन आकांक्षाओं से कभी भी खुश नहीं हो पाता।
यदि उन सभी आकांक्षाओं के प्रति अपने जीवन को समर्पित करना ही है, यानी उन इच्छाओं में उलझ कर ही रह जाना है, तो फिर इसके लिए एक नया रास्ता भी तो खोजा जाना चाहिए, जिसके माध्यम से उन आकांक्षाओं की पूर्ति भली प्रकार की जा सके और वह व्यक्ति अपने स्वयं के मोक्ष के लिए भी अपने आप को समर्पित कर सकें। तो इसके लिए एक नया रास्ता जो आप की सभी आकांक्षाओं पूर्ति भी कर सके और मोक्ष भी दिला सके वह है दस महाविद्याओं वाला रास्ता।
इन दस महाविद्याओं की शरण में जा कर, और इनकी साधना के माध्यम से मनुष्य इस लोक को ही नहीं, बल्कि परलोक को भी सुधार सकता है और अपनी हर प्रकार की उलझनों और आकांक्षाओं से छुटकारा पा कर प्रकृति की सभी शक्तियों और ब्रह्मांड के मूल रहस्यों को समझ सकता है।
देवी भागवत पुराण में वर्णित 108 शक्तिपीठ | List of 108 Shaktipeeth
दरअसल, महाविद्या, संस्कृत के दो शब्दों ‘महा‘ तथा ‘विद्या‘ से मिल कर बना है। इसमें ‘महा‘ अर्थात महान, विराट और विशाल, और ‘विद्या‘ का अर्थ ज्ञान से है। इन महाविद्याओं ने सदैव अच्छे विचारों का विकास किया है और शक्तिवाद के इतिहास में एक नया अध्याय लिखा है और इस संपूर्ण संसार को पोषित किया और बताया कि एक नारी ही सर्व शक्तिमान है।
इन 10 महाविद्याओं में 10 की संख्या का अपना एक महत्व है। ये सभी 10 महाविद्याएं आदि शक्ति माता पार्वती का ही रूप मानी जाती हैं। इन 10 महाविद्याओं के यानी देवियों के नाम- काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुरभैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला हैं।
हालांकि, कहीं-कहीं हमें इसमें 24 विद्याओं का भी वर्णन देखने को मिलता है। लेकिन, मुख्यरूप से ये दस महाविद्या ही प्रचलन में हैं और ये सभी देवियां साधारण से साधारण भक्तों को भी अचूक सिद्धि प्रदान करने वाली शक्तियां हैं।
हमारे शास्त्रों के अनुसार इन सभी दस महाविद्याओं में से यदि आप किसी भी एक देवी की यानी किसी भी एक देवी की नियमित तौर पर पूजा अर्चना करते हैं तो आप के जीवन में लंबे समय से चली आ रही किसी भी प्रकार की बाधा या फिर कोई भी बीमारी, शनि का बुरा प्रभाव, बुरी घटनाएं या फिर तनाव जैसे तमाम तरह के संकट धीरे-धीरे अपना रास्ता बदल लेते हैं और दूर होते जाते हैं और आप खुद ही परम सुख और शांति का अनुभव करने लगते हैं।
हमारे अनेकों महान ऋषि-मुनियों तथा कई आम और साधारण व्यक्तियों ने भी इन दस माताओं की नियमित साधना की है और उन्होंने इसे कल्प वृक्ष के समान शीघ्र फलदायक और कामनाओं को पूर्ण करने में सहायक माना है।