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गढ़ मुक्तेश्वर के प्राचीन गंगा मंदिर का इतिहास | History of Ganga temple of Garh Mukteshwar

admin 17 February 2021
गढ़ मुक्तेश्वर के प्राचीन गंगा मंदिर का इतिहास History of Ganga temple of Garh Mukteshwar
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अजय सिंह चौहान || हर साल कार्तिक महिने के अवसर पर आयोजित होने वाले गंगा मेले के दौरान गढ़मुक्तेश्वर में गंगा स्नान करने के लिए आस-पास के लाखों श्रद्धालु ब्रिज घाट पर पहुंचते हैं, स्नान करते हैं और येां के प्राचीन गंगा मंदिर में दर्शन करते हैं।

उत्तर प्रदेश का गढ़मुक्तेश्वर शहर वैसे तो गंगा नदी के तट से करीब 4 किलोमीटर दूर है लेकिन, सनातन धर्म और संस्कृति के लिए ये स्थान भी हरिद्वार की तरह ही एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है। इसलिए येां भी हरिद्वार की तरह ही विभिन्न प्रकार के धार्मिक कर्मकांड, पूजा-पाठ और स्नान आदि आयोजित किए जाते हैं।

गढ़ मुक्तेश्वर के प्राचीन गंगा मंदिर का इतिहास  History of Ganga temple of Garh Mukteshwarगंगा मंदिर के बारे में –
गढ़मुक्तेश्वर में स्थित प्राचीन गंगा मंदिर के बारे में कहा जाता है कि ये मंदिर एक अति प्राचिन और पौराणिक समय का मंदिर है और ये भी बताया जाता है कि इस मंदिर का उल्लेख पुराणों में भी देखने को मिलता है। माता गंगा का ये मंदिर शहरी आबादी के एक छोर पर लगभग 80 फीट ऊंचे टीले पर बना हुआ है। जबकि गंगा नदी यहां से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर है।

स्थानिय लोगों के अनुसार लगभग 600 से 700 वर्ष पहले तक गंगा नदी का बहाव इतना विस्तार में हुआ करता था कि नदी का किनारा इस मंदिर के ठीक सामने तक होता था।

गंगा मंदिर का वर्तमान –
लेकिन, अब समय के साथ-साथ गंगा नदी ने अपने स्थान और विस्तार में इतनी कमी कर ली है कि अब नदी का किनारा इस मंदिर से करीब 4 किलोमीटर दूर तक जा चुका है और मंदिर के इस ऊंचाई वाले वाले स्थान से देखने पर गंगा नदी की हल्की सी झलक ही दिख पाती है। जबकि गंगा मईया के द्वारा छोड़े गए उस खाली और मैदानी क्षेत्र में अब खेती होने लगी है।

गंगा मंदिर का इतिहास –
इस मंदिर की स्थापना कब और किसने की इसका कोई निश्चित प्रमाण उपलब्ध नहीं है। लेकिन स्थानीय लोग इस मंदिर का इतिहास हजारों वर्ष पुराना बताते हैं, जबकि वर्तमान में यहां जो मंदिर बना हुआ है उसकी संरचना को बने हुए भी लगभग 600 वर्ष हो चुके हैं। मंदिर से संबंधित मूल इतिहास के बारे में कोई विशेष जानकारी भी शायद किसी के पास नहीं है।

गंगा मंदिर की मूर्तियां –
मंदिर में स्थापित मां गंगा की प्रतिमा का आकार लगभग आदमकद है। इसके अलावा यहां एक चार मुख वाली ब्रह्मा जी की सफेद प्रतिमा भी है। ब्रह्मा जी की ठीक इसी तरह की दूसरी प्रतिमा राजस्थान के पुष्कर में स्थित मंदिर में भी है, जो काले रंग की है। इसके अलावा इस मंदिर में एक चमत्कारी शिवलिंग भी है।

इस शिवलिंग के बारे में बताया जाता है कि इसके ऊपर प्रतिवर्ष कार्तिक माह में अपने आप ही एक विशेष आकृति अंकुरित होती देखी जाती है।

मंदिर के पुजारी के अनुसार इस शिवलिंग के ऊपर वह आकृति हर बार अलग आकार एवं रूप में निकलती हैं। पुजारी का कहना है कि कई जानकार अभी तक इस रहस्य का खुलासा नहीं कर पाए हैं कि आखिर ऐसा क्यों और कैसे होता है?

गंगा मंदिर की अनदेखी –
मंदिर के देखभाल और रखरखाव की वर्तमान स्थित के बारे में बताया जाता है कि जब तक इसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन ने संभाल रखी थी और गंगा स्नान के दौरान आयोजित होने वाले मेले से प्राप्त आय का एक हिस्सा यहां के सभी मंदिरों के रखरखाव में खर्च किया जाता था तब तक तो सब कुछ ठीक चल रहा था। लेकिन, उस आर्थिक सहायता के बंद होने के बाद से इस मंदिर के रखरखाव और मरम्मत का कार्य लगभग ठप हो गया है और अब मंदिर की हालत दिनोदिन बदतर होती जा रही है।

गंगा मंदिर के रहस्य –
इसके अलावा 80 फिट ऊंचे टीले पर बने इस मंदिर तक जाने के लिए जो सीढियां बनी हैं वे प्राचीनकाल के निर्माण से जुड़े इंजीनियरिंग का ऐसा नमुना है जो किसी आश्चर्य से कम नहीं हैं।

मंदिर की इन सीढ़ियों की सबसे आश्चर्य वाली बात है ये है कि इनको बनाने के लिए पत्थरों को कुछ इस प्रकार से लगाया गया है कि अगर कोई भी व्यक्ति इन सीढियों पर तेजी से ऊपर की ओर चढ़ता है या उतरता है, या फिर किसी पत्थर की सहायता से सीढ़ियों के उन पत्थरों पर चोट मार कर बजाते हैं तो इसके अंदर से ऐसी मधुर आवाज निकलती है जैसे कि पानी में पत्थर मारने पर आवाज आती है।

लेकिन, आज इस मंदिर और यहां की इन चमत्कारी सीढ़ियों की खस्ता हालत ये है कि आज इसमें कई प्रकार के मरम्मत और रखरखाव के कार्यों की सख्त आवश्यका है।

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